चुटका परमाणु संयंत्र से उत्पादित बिजली की दर को किया जाए सार्वजनिक
बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ के सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार सिन्हा का आलेख
Ashok Chaturvedi
प्रदेश की जनता परमाणु संयंत्र से बनने वाली बिजली का दर जानना चाहती है। जो नहीं बताया जा रहा है, जबकि उत्पादित बिजली का 50 % मध्यप्रदेश सरकार को खरीदना है। ज्ञात हो कि रीवा सोलर प्लांट से मिलने वाली बिजली की अधिकतम दर 2.97 रुपए है। जो दिल्ली मेट्रो को बेचा जा रही है।
वर्ष 2020 के सरकारी आंकड़े के अनुसार प्रदेश में नवीकरणीय उर्जा की क्षमता 3965 मेगावाट है। जबकि प्रदेश के विभिन्न अंचलो में 5 हजार मेगावाट की सोलर पावर प्लांट निर्माणाधीन है। रिसर्च फाउंडेशन दिल्ली रिपोर्ट के अनुसार परमाणु बिजली की लागत 9 से 12 रुपये प्रति यूनिट आएगी। लगभग चालीस वर्ष तक चलने वाली परमाणु उर्जा संयत्र का डी- कमिशनिंग (संयंत्र को बंद करना) आवश्यक होगा। जिसका खर्च स्थापना खर्च के बराबर होगा।
मध्यप्रदेश पावर मेनेजमेन्ट कम्पनी ने पिछले पांच साल में बिना बिजली खरीदे विद्युत् कम्पनियों को 12834 करोङ रुपए का भुगतान बतौर फिक्स चार्ज कर दिया है। साल 2014 से 2020 विद्युत् कम्पनियों का घाटा 36812 करोड़ रुपए और कर्ज 50 हजार करोड़ रुपए पार हो गया है।
इस कारण प्रदेश के हर बिजली उपभोक्ता पर 25 हजार का कर्ज है। अगर विद्युत कम्पनिया चुटका परमाणु संयंत्र से महंगी बिजली खरीदी अनुबंध करती है तो प्रदेश की 1.30 करोड़ बिजली उपभोक्ताओ को ही आर्थिक बोझ उठाने के लिए तैयार रहना होगा। बरगी बांध विस्थापित एवं विस्थापित संघ मांग करता है कि चुटका परमाणु संयंत्र से उत्पादित बिजली की दर सार्वजनिक की जाए।
(आलेख- राजकुमार सिन्हा, बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ)