मध्यप्रदेश में समिति प्रबंधकों को धन वर्षा के प्रतापी कहा जाने लगा है। चंद हजारों की नौकरी करने वाले समिति प्रबंधक के घर छापे में लोकायुक्त अकूत दौलत बरामद करता है। बेशुमार धन प्रताप से उसकी गजब सेटिंग का तानाबाना है कि सरकार तक उसके सामने हरिओम करती नजर आती है। लोकायुक्त आय से अधिक सम्पत्ति का मामला दर्ज कर लेता है, फिर चालान पेश करने के लिये भटकता दिखाई देता है।
दो दिन पहले सोमवार 8 अगस्त को जबलपुर क्षेत्र में कुंडम के इमलई में आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के सहायक प्रबंधक पन्नालाल उइके के कार्यालय और जमागांव स्थित घर पर EOW ने छापा मारा। जिसके पास से करोड़ों रुपए की अघोषित सम्पत्ति मिली। आखिर इन समिति प्रबंधको के घर लक्ष्मी जी की कृपा क्यों और कैसे बरस रही है, यह गंभीर जाँच का विषय है।
पिछले एक वर्ष में सेवा सहकारी समिति से जुड़े लोगो पर छापा मार कार्यवाही में EOW और लोकायुक्त को करोड़ों रुपये की बेनामी और अघोषित सम्पत्ति मिली है। इसी साल 22 फरवरी को उज्जैन ईओडब्ल्यू की टीम ने कन्नोद के पास डोकाकुई में सहकारी समिति प्रबंधक गोविन्स बागवान के तीन ठिकानो पर छापा मार बेनामी सम्पति जप्त की। पिछले साल 23 फरवरी 2021 को सतना जिले सहकारी समिति प्रबंधक राजमणि मिश्रा के सीतापुर आवास सहित अन्य ठिकानो से बेशुमार अघोषित संम्पत्ति मिली।
10 फरवरी 2021 को ईओडब्ल्यू ने रीवा जिले में सेवा सहकारी प्रबंधक राजेश त्रिपाठी के खैरी गांव स्थित आवास पर छापा मारा जहाँ करोड़ों रुपए की सम्पत्ति का पर्दाफाश हुआ। करीब तीन माह पहले जबलपुर और सागर EOW ने संयुक्त कार्यवाही कर छतरपुर जिले में सहायक समिति प्रबंधक प्राणसिंह के छतरपुर बारीगढ़, जोगा स्थित आवास पर छापा मारा तो बेशुमार सम्पत्ति बरामद हुई।
यह कुछ मामले बताते है कि सेवा सहकारी समितियों की आढ़ में भ्र्ष्टाचार पनप रहा है। कुछ हजारों में वेतन पाने वालो के घर जब छापे पढ़ते है तो अकूत सम्पत्ति बरामद होती है तो सरकार इस सर्व विदित भ्र्ष्टाचार के सिस्टम को सुधारना क्यों नहीं चाहती? इस सवाल का जवाब भी चौकाने वाला है। इस आर्थिक गड़बड़ी में पूरा सिस्टम लिसा हुआ है। समिति प्रबंधक इतने ताकतवर है कि उनके सामने सरकार के ताकतवर मंत्री सहित पूरा तंत्र चरणवंदन करता दिखाई देता है।
हाल ही में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के समय मुख्यमंत्री, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की एक तस्वीर चर्चा का विषय बनी। जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज एक उस समिति प्रबंधक के सामने हाथ जोड़े खडे दिखे जिसके पास से 6 अगस्त 2015 को लोकायुक्त सागर ने छापा मार करोड़ों रुपए की सम्पत्ति का खुलासा किया था।
लोकायुक्त के घेरे के आरोपी समिति प्रबंधक हरिओम अग्निहोत्री का दबदबा कहा जायेगा कि उसके खिलाफ सात साल बीतने के बाद भी लोकायुक्त चालान तक पेश नहीं कर सका है।यहाँ तक कि अपने धनबल पर उसने अपनी पत्नी विद्या अग्निहोत्री को जिला पंचायत अध्यक्ष जैसे ताकतवर पद के लिये बीजेपी से अधिकृत प्रत्याशी घोषित कराया और निर्वाचित भी करा दिया। अब जब प्रदेश के मुख्यमंत्री एक आरोपी के सामने हाथ जोड़े खडे होंगे तो पूरा सिस्टम ही नतमस्तक माना जायेगा।
मध्यप्रदेश में भ्र्ष्टाचार के खिलाफ जीरो टोरलेंस होने का दावा किया जाता है लेकिन सेवा सहकारी समितियों के कर्ताधर्ता के ठिकानो से जब अकूत दौलत जप्त होती है तो यह जीरो टोरलेंस जीरो ही दिखाई देता है। फिर आय से अधिक सम्पत्ति के दर्ज मामले में आरोपी की ताकतवर और वजनदारी जैसे मामले भ्र्ष्टाचार के साथ शिष्टाचार की बानगी सामने लाकर सरकार का असली चेहरा बेनक़ाब करते हैं।
(लेखक – धीरज चतुर्वेदी,छतरपुर)