डॉ. राकेश पाठक
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने गत दिवस संसद में कहा है कि हमने कभी चुनाव हारने पर ईवीएम का रोना नहीं रोया। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि जब वो चुनाव में जीतता है तब कुछ नहीं कहता और हारने पर ईवीएम का रोना रोने लगता हैं।
हैरानी की बात है कि नड्डा भूल गए कि 2014 से पहले उनकी पार्टी लगातार दो लोकसभा चुनाव हारने पर मोटे मोटे आंसुओं से रोती थी।
तब के लौहपुरुष लालकृष्ण आडवाणी से लेकर पूरी पार्टी खिसियानी बिल्ली की तरह EVM का खम्बा नोचती थी। यहां तक कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव ने ईवीएम के खिलाफ़ मोटी पोथी लिख डाली थी।
- सबसे पहले आडवाणी ने निर्वाचन आयोग
को चिट्ठी लिख कर इसे गड़बड़ बताया था - राष्ट्रीय महासचिव GVL नरसिम्हाराव ने
तो पोथी लिखी है ईवीएम के खिलाफ़ - 2009 तक EVM को लोकतंत्र के लिए
ख़तरा मानती थी भारतीय जनता पार्टी
आइए तथ्यों पर गौर कीजिए…
भारतीय जनता पार्टी 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव अटल-आडवाणी के नेतृत्व, इंडिया शाइनिंग, फील गुड के भौकाल के बावज़ूद हार गई थी। पार्टी लगातार दो बार की हार से भैरायी हुई थी तब उसने EVM का खम्बा ढूंढा और उसे रो रो कर नोंचना शुरू किया।
भारतीय जनता पार्टी देश की पहली पार्टी है जिसने बाक़ायदा ईवीएम का खुलकर विरोध किया।
- उसके बाक़ायदा अभियान शुरू हुआ 2009 में बीजेपी (एनडीए) की हार के बाद।
आरोप वही थे, जो आज कांग्रेस, सपा,बसपा आदि लगा रहीं हैं।
सबसे पहले लालकृष्ण आडवाणी ने निर्वाचन आयोग को चिट्ठी लिखी और कहा कि ईवीएम सुरक्षित नहीं हैं।
इसके बाद इन इलेक्ट्रॉनिक मशीनों के खिलाफ बोलने की कमान सम्हाली थी किरीट सौमैया और जीवीएल नरसिम्हाराव ने। सौमैया और नरसिम्हाराव दोनों को ही बीजेपी के ज़िम्मेदार नेता हैं।
किरीट सौमैया तो बाकायदा EVM में गड़बड़ी की कहानी अलग-अलग शहरों में जाकर सुनाया करते थे। किरीट सौमैया के साथ में एक आईटी विशेषज्ञ भी हुआ करता था, जो कम्प्यूटर-लैपटॉप पर दिखाता था ईवीएम मशीनों में कैसे गड़बड़ी कैसे हो सकती है।
बाद में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव,प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने एक किताब लिखी।
कुल 246 पेज़ की इस किताब का नाम है– ‘Democracy at Risk,Can We Trust Our Electronic Voting Machines?’
यह किताब 2010 में प्रकाशित हुई थी। इसकी भूमिका और प्रस्तावना लालकृष्ण आडवाणी ने लिखी।इसमें एन.चंद्रबाबू नायडू का संदेश भी छपा।
जैसा कि शीर्षक ही बता रहा है बीजेपी को EVM पर बिलकुल भरोसा नहीं था और पार्टी इन मशीनों को ‘लोकतंत्र के लिए खतरे’ के रूप में देख रही थी।
इस किताब में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी का विस्तार से खुलासा किया गया। दावा किया था कि ईवीएम मशीन हैक की जा सकती है।
इस किताब के जरिये स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड डिल ने बताया है कि ईवीएम का उपयोग पूरी तरह से सुरक्षित तो बिल्कुल भी नहीं है। डेविड ईवीएम के विशेषज्ञ हैं।
जीवीएल नरसिम्हाराव ने इस पुस्तक में उस मामले की भी चर्चा की है जिसमें हैदराबाद के तकनीकी विशेषज्ञ हरि प्रसाद ने मिशिगन यूनिवर्सिटी के दो शोधार्थियों के साथ मिलकर ईवीएम को हैक करने का दावा किया था।
इसमें नरसिम्हाराव ने मांग की थी कि दुनिया के तमाम विकसित देशों की ही तरह EVM से मतदान बंद कराया जाए या इसके साथ अमेरिका की तरह Voter Verified Paper Audit Trail (VVPAT) प्रणाली की व्यवस्था की जाए।क़िताब में निर्वाचन आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं।
और सुनिये…
- एक हैं प्रोफेसर सुब्रह्मण्यम स्वामी..बीजेपी और नरेंद्र मोदी जी के खासमखास। (आजकल विरोध में ट्वीट करने के शग़ल में लगे हैं)
प्रो. स्वामी ने बाकायदा सुप्रीम कोर्ट में EVM के खिलाफ याचिका लगाई और इसके जरिए गड़बड़ी की संभावनाएं विस्तार से बताईं। प्रो. स्वामी के दसियों वीडियो नेट पर उपलब्ध हैं, जिनमें वे EVM के खिलाफ जमकर बोलते हुए दिखाई दे जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने तो ब्रह्मण्यम स्वामी.से सुझाव भी मांगा था कि EVM में गड़बड़ी न हो इसके लिए क्या किया जा सकता है? प्रो. स्वामी अमेरिका और यूरोप के कई देशों के नाम गिनाते हैं, जहां आज भी बैलेट पेपर से मतदान होता है।
मज़े की बात यह है कि जब मई 2019 में 21 विपक्षी दलों ने EVM पर सवाल उठाए थे तब अमित शाह ने भी इसी तरह खिल्ली उड़ाई थी। तब उन्हें भी याद नहीं रहा कि उनकी पार्टी ही सबसे पहले ईवीएम के खिलाफ़ ताल ठोक कर मैदान में आई थी।