भ्रष्टाचार और गलत निर्णयों से भाजपा की राष्ट्रवादी-हिंदुत्ववादी छवि हो रही धूमिल

पार्टियों के पतन होने में भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा रहा है, भ्रष्टाचार के आगे राष्ट्रवादी सरकार की छवि बेअसर मानी जाएगी।

शैलेन्द्र राजपूत

वोट कब कहां पड़ जाएं यह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अच्छे से जान समझ चुके हैं। अनुभव के लिए दिल्ली में हुआ विधानसभा चुनाव इसका बड़ा उदाहरण बना हुआ है। हाल ही में हुए बिहार चुनाव में भी जनता ने सबको हैरान कर ही दिया था। जैसे तैसे करके वहाँ बीजेपी की सरकार बन पाई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमित शाह, योगी आदित्यनाथ के सत्ता में काबिज रहते हुए निर्णयों को लेकर जनता में मदभेद तो देखे गए हैं पर उनकी राष्ट्रवादी छवि पर तनिक भी आंच नही आने पाई है। नोटबंदी, जीएसटी, किसान बिलों के अलावा प्रदेश में योगी को तानाशाह बनी पुलिस, अधिक हिंदूवादी सोच के होने जैसे मुद्दों पर घेरा गया है। निर्णयों में कमियां भी देखी गईं हैं।

बड़े मुद्दों में इस पार्टी के प्रदेशों में बैठे मुखियों की भ्रष्टाचार से धूमिल हो रही छवि पर ध्यान देना होगा। पार्टियों के पतन होने में भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा रहा है, भ्रष्टाचार के आगे राष्ट्रवादी सरकार की छवि बेअसर मानी जाएगी।

कहा जाता रहा है कि दिल्ली की जनता सही निर्णय नही ले पाती है। बीजेपी की बात करें तो अभी तक केजरीवाल का उनके पास कोई तोड़ नही है। केजरीवाल जैसे तेजस्वी को भी अलग-अलग तरह से घेरा गया जिसका उल्टा लाभ उन्ही को मिलता नजर आया है।

केन्द्र की अपेक्षा प्रदेशों में गिरता जनाधार बीजेपी के बनाए मुद्दों को खुद अपनी ओर धकेल रहा है। राष्ट्रवाद, हिंदुत्व के मुद्दे पर भ्रष्टाचार में लिप्त होना कालिख के समान है। समय रहते हुए यह पार्टी अपनी गलतियों में सुधार कर लें, नहीं तो ‘‘चोर-चोर मौसेरे भाई वाली कहावत‘‘ पूरी पार्टी को गर्त में ले जाने की जिम्मेदार मानी जाएगी।

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