मीडिया संस्थानों ने अपने आकाओं को खुश करने खोला ‘चोर दरवाज़ा’
लेखक-पत्रकार राकेश कायस्थ की मीडिया और सत्ता तंत्र के गठजोड़ पर FB पोस्ट
Ashok Chaturvedi
अगर मैं कहूँ कि इस वक़्त देश में संगठित भ्रष्टाचार का epicenter मीडिया संस्थान हैं तो बहुत लोगों को बुरा लगेगा लेकिन सच यही है। कॉरपोरेट मीडिया के मालिक सत्ता तंत्र के साथ गठजोड़ करके तमाम संस्थाओं को नष्ट कर रहे हैं जो बहुत मेहनत से बरसों में बनाई गई थीं और जिनमें अभी भी सुधार की काफ़ी ज़रूरत थी।
सत्तातंत्र ने मीडिया के साथ मिलकर चुनाव आयोग जैसी संस्था को निष्प्रभावी किया है, वह अपने आप में केस स्टडी है। चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक़ प्रचार बंद हो चुका है, मगर चोर दरवाज़े से प्रचार धड़ल्ले से जारी है।
मीडिया संस्थानों ने अपने आंकाओं को फ़ायदा पहुँचाने के लिए इंटरव्यू का चोर दरवाज़ा खोला है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बेशर्मी से अख़बार और टीवी चैनलों को दिये गये इंटरव्यू ट्वीट कर रहे हैं। सरकार समर्थक सैकड़ों पत्रकारों की फ़ौज रात-दिन सोशल मीडिया पर चुनाव प्रचार में जुटी है।
जिन मीडिया हाउस या बड़े पत्रकारों को सरकार अपना दुश्मन समझती है, बिना किसी अपवाद के उन्हें आईडी और ईडी जैसी संस्थाओं के ज़रिये डराया जा रहा है। सिद्धार्थ वरदराजन से लेकर सुजीत नायर जैसे अनगिनत उदाहरण मौजूद हैं। आईटी सेल ट्रोल आर्मी रात-दिन सत्तातंत्र के हर पाप को जायज़ ठहराने में जुटे हैं।
सबसे ज़्यादा निराशा बीजेपी के उन पढ़े लिखे समर्थकों से है, जो इस पूरी प्रक्रिया को अपनी जीत के तौर पर देख रहे हैं। वे यह मानकर बैठे हैं कि मोदी सरकार अनंतकाल तक रहेगी। उन्हें इस बात की फ़िक्र भी नहीं है कि अगर सत्तातंत्र अगर तमाम संस्थाओं की रीढ़ तोड़ देगा तो फिर जो भी सरकार में आएगा वो जनहित को पाँवों तले रौंदेगा।