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चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी: फिर उठा सवाल, निजता पर हमला अपराध या रोग ?

निजता में दखल कोई नई समस्या नहीं है। कल यही सब चंडीगढ़ विश्व विद्यालय में हुआ। भविष्य में कहीं और नहीं होगा इसकी कोई गारंटी नहीं है।

चीतों से हटकर पूरे देश को चिंतित करने वाली खबर चंडीगढ़ से आयी ,जहां विश्व विद्यालय में स्नान करती लड़कियों के अंतरंग वीडियो बनाकर वायरल किये गए .इस वारदात के बाद अनेक छात्राओं ने ग्लानिवश ख़ुदकुशी करने की कोशिश भी की। इस मामले को लेकर प्रकरण भी कायम हुआ और गिरफ्तारी भी लेकिन इससे विश्विद्यालय परिसर में जारी असंतोष खत्म नहीं हो रहा है।

गौरतलब है कि पंजाब पुलिस ने चंडीगढ़ विश्वविद्यालय की छात्रा को दिन में गिरफ्तार किया था। छात्रा पर आरोप है कि वह हॉस्टल में लड़कियों के नहाते हुए वीडियो बनाती थी और फिर शिमला में रहने वाले अपने बॉयफ्रेंड को भेजती थी। हालांकि पुलिस और विश्वविद्यालय ने इस दावे को खारिज किया है। आरोपों को ख़ारिज करने में पुलिस और नेताओं का चरित्र एक जैसा है। यदि वे आरोपों को स्वीकार कर मामलों की जाँच करने लगें तो दूध का दूध और पानी का पानी न हो जाये ?

राकेश अचल

इस घिनौनी वारदात के बाद छात्रजगत में असंतोष की आग लगी हुई है। रविवार रात को भी छात्रों का प्रदर्शन जारी रहा। इस दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से उन्हें समझाने की कोशिश की गई, लेकिन वह टस से मस नहीं हुए। विश्वविद्यालय में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं धरने पर बैठे हैं। उनके मुताबिक इस केस में अभी भी कई सवाल बाकी हैं।

मोहाली के एसएसपी विवेक सोनी ने कहा कि यह एक छात्रा द्वारा शूट किए गए और वायरल किए गए वीडियो का मामला है। प्राथमिकी दर्ज की गई है और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस घटना से संबंधित किसी मौत की सूचना नहीं मिली है। मेडिकल रिकॉर्ड के अनुसार, कोई आत्महत्या का प्रयास नहीं किया गया है। एम्बुलेंस में ले जाई गई एक छात्रा चिंतित थी। हमारी टीम उसके संपर्क में है। वहीं पंजाब के उच्च शिक्षा मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने रविवार को मामले की गहन जांच के आदेश दिए हैं।

ये तो बातें हो गयीं लीपापोती की। असल सवाल ये है की क्या हम और हमारे देश में निजता नाम की कोई चीज है,जिसे क़ानून से संरक्षण मिला हो ? ताकझांकि एक पुराना रोग है, यही रोग बाद में अपराध में तब्दील हो जाता है। भारत में निजता का क़ानून कितना लचर है ये बताने की जरूरत नहीं है। आपके हाथ में कुछ हजार रूपये का ऐंड्रॉयड मोबाइल है तो आप इसके जरिये किसी की भी निजता में अतिक्रमण कर सकते हैं। इसकी शिकायत कर भी दी जाये तो न पुलिस इसे गंभीरता से लेती है और न अदालतें ,क्योंकि खुद सरकार व्यक्ति की निजता का सम्मान नहीं करती। .

जहाँ तक मुझे याद आता है कि पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में निजता को व्यक्ति का मौलिक अधिकार माना था। तब डेटा की सुरक्षा और निजता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिये नौ जजों की संविधान पीठ ने सामूहिक सहमति से फैसला दिया था। न्यायालय ने कहा था कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रत्येक व्यक्ति को जीने और व्यक्तिगत स्वतंत्रता यानी निजता का अधिकार है। जस्टिस के.एस. पुत्तुस्वामी बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2017 के अपने निर्णय में निजता को मौलिक अधिकार तो माना, लेकिन यह भी कहा कि यह अधिकार निरंकुश और असीमित नहीं है।

निजता में दखल कोई नई समस्या नहीं है। पहले जब मोबाइल नहीं थे तब भी निजता में दखल के दूसरे तौर-तरिके इस्तेमाल किये जाते थे। जासूसी कराई जाती थी,लेकिन अब ये समस्या विकराल हो गयी है। अब समाज में निजता के अधिकार का इतनी बेशर्मी से उललंघन किया जा रहा है कि कुछ कहना भी कठिन लगता है। मध्यप्रदेश के बहुचर्चित ‘ हनी ट्रेप काण्ड ‘ में दर्जनों अधिकारीयों,नेताओं और व्यापारियों के रति चित्र वायरल किये गए किन्तु किसी ने उन्हें निजता का हनन मानकर कार्रवाई नहीं की। खुद पुलिस इन दृश्यों को वायरल कराती रही। कल यही सब चंडीगढ़ विश्व विद्यालय में हुआ। भविष्य में कहीं और नहीं होगा इसकी कोई गारंटी नहीं है।

तत्कालीन केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री सुषमा स्वराज ने एक बार इन खतरों की और इंगित किया था लेकिन उन्होंने कहा था कि इस खतरे की वजह से हम तकनीक का इस्तेमाल तो नहीं छोड़ सकते। .ये बात सही भी है कि हम निजता के सबसे बड़े औजार मोबाइल को फेंक नहीं सकते। 130 करोड़ की आबादी वाले इस देश में जहां सौ करोड़ स्मार्ट फोन और 40 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट के उपयोगकर्ता हों वहां निजता कि सुरक्षा एक बहुत बड़ी चुनौती है। दुनिया का कोई कानून इस खतरे से निजता को बचा नहीं सकता,सिवाय एहतियात के .और ये आपको खुद बरतना पड़ेगी।

भारत के बाहर अनेक छोटे बड़े देशों में निजता की सुरक्षा को लेकर क़ानून से ज्यादा समाज जाग्रत है। विदेशों में आप किसी का फोटो या वीडियो उसकी अनुमति के बिना ले नहीं सकते और ले भी लिया तो उसका इस्तेमाल नहीं कर सकते। यदि आपने ऐसा किया भी तो आपको भारी सजा और जुर्माना अदा करना पड़ता है लेकिन हमारे यहां आप जो जी में आये कर सकते हैं। आप किसी के शयन कक्ष तक आसानी से झांक सकते हैं। हमारे यहां निजता का अतिक्रमण प्राय किसी को बदनाम करने या उसका भयादोहन करने के लिए किया जाता है। महिलाओं के अंतरंग दृश्य तो अब कारोबार का हिस्सा बन चुके हैं।

पिछले वर्षों में आपने होटलों, मॉल्स के ट्रायल रूम में ख़ुफ़िया कैमरों के जरिये इस तरह के अपराधों की दर्जनों खबरें सुनीं होंगी ,लेकिन इन सबके बावजूद इस मुद्दे को लेकर न सरकार गंभीर है और न समाज। जबकि ये मुद्दा बलात्कार और हत्या जैसा ही संगीन है। चंडीगढ़ में भले ही पुलिस न मानती हो किन्तु ये हकीकत है कि स्नान के नग्न वीडियो वायरल होने के बाद कुछ छात्राओं ने ख़ुदकुशी का प्रयास किया। देवयोग से वे बच गयीं ,लेकिन यदि वे मर जातीं तो कौन जिम्मेदार होता?

निजता कोई काल्पनिक चीज नहीं है। एक वास्तविकता है और व्यापक विषय है। अकेले रहने का अधिकार, किसी भी अनुचित सार्वजनिकता से मुक्त होने का व्यक्ति का अधिकार। उन मामलों में जनता द्वारा बिना किसी अनुचित हस्तक्षेप के जीने का अधिकार, जिनसे जनता का संबंध आवश्यक नहीं है। निजता के दायरे में आते हैं। संविधान निजता के अधिकार को संरक्षित करता है लेकिन सरकार, पुलिस और समाज इस विषय को लेकर लगातार उदासीन है। इसे तत्काल गंभीरता से न लिया गया तो आज जो एक विश्वविद्यालय में हुआ है वही कल किसी कार्मिक छात्रावास में होगा,परसों किसी और स्थान पर। इसलिए इस मुद्दे पर चीताप्रिय सरकार और समाज को पहल करना ही चाहिए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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