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प्रेशर पाॅलिटिक्स या सत्ता-संगठन से आर पार के मूड में BJP के असंतुष्ट नेता ?

भाजपा के दिग्गज नेता अनुशासन और पार्टी फोरम को साइडलाइन कर मीडिया और सोशल मीडिया में खुलकर अपनी ही सरकार पर सवाल उठा रहे हैं?

भोपाल (जोशहोश डेस्क) मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी में क्या नए समीकरण बन रहे हैं? क्या भाजपा के असंतुष्ट नेता अब सत्ता और संगठन से आर पार के मूड में हैं? यह सवाल इसलिए कि लगातार मेल मुलाकातों के बीच अब प्रदेश के दिग्गज नेता अनुशासन और पार्टी फोरम को साइडलाइन कर मीडिया और सोशल मीडिया में खुलकर अपनी ही सरकार पर सवाल उठा रहे हैं? वहीं सियासी गलियारों में इसे इन नेताओं की प्रेशर पाॅलिटिक्स भी कहा जा रहा है।

ताजा मामला पाटन विधायक और पूर्व मंत्री अजय विश्नोई से जुड़ा है। लगातार सत्ता और संगठन पर सवाल उठा रहे अजय विश्नोई का सोशल मीडिया पर विज्ञापननुमा पत्र वायरल है। विश्नोई ने यह पत्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम लिखा है। इस पत्र में उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति को लेकर अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए हैं।

उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति और मेंटनेंस की ओर ध्यान दिलाते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से ग्रामीण क्षेत्रों की बिजली व्यवस्था के मेंटनेंस के लिए 800 से 900 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराने की अनुरोध किया है।

उन्होंने लिखा- मप्र सरकार प्रत्येक वर्ष 21,000 करोड़ रुपयो की सब्सिडी का तिलक प्रदेश के अन्नदाताओं के माथे पर लगाती है। परंतु किसानों तक बिजली पहुँचने के तंत्र के रखरखाव के लिए आवश्यक 800-900 करोड़ रूपये खर्च नही करती लिहाजा ग्रामीण क्षेत्र में बिजली ट्रिपिंग ट्रांसफार्मर जलने की शिकायत आती है

यह कहा जा रहा है कि ध्यान आकर्षित करने के लिए अपने खुद के पत्र को ही विज्ञापन रूप में जारी करने का यह तरीका भाजपा विधायकों की सरकार में पूछ परख ना होने के कारण उनकी निराशा को दर्शा रहा है और निराश विधायक इस तरह के हथकंडों से सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं।

दूसरी ओर भाजपा में अब अजय विश्नोई जैसे पार्टी के सीनियर और उपेक्षित माने जा रहे नेता एकजुट भी होते दिख रहे हैं। इस श्रेणी में जयंत मलैया, कुसुम मेहदले, राजेंद्र शुक्ला, केदारनाथ शुक्ला, गौरीशंकर बिसेन, गौरीशंकर शेजवार, दीपक जोशी और यशपाल सिसोदिया का नाम लिया जा रहा है। यह कहा जा रहा है कि ये दिग्गज नेता एक साथ आकर सत्ता और संगठन के सामने अपनी ताकत का एहसास कराना चाहते हैं। हाल ही में कैलाश विजयवर्गीय की भुट्टा पार्टी में भी इनमें से अधिकांश नेता मौजूद थे।

बताया जा रहा है कि अजय विश्नोई के निवास पर मंत्री पद के दावेदार नेता एक अहम मीटिंग भी कर चुके हैं। इस मीटिंग में शामिल विधायक यशपाल सिसोदिया ने हालांकि यह कहा है कि मीटिंग में शामिल नेताओं को पार्टी से नाराज नहीं कहना चाहिए। उन्होंने इस मुलाकात को औपचारिक बताते हुए कहा है कि मंत्रिमंडल में किसे शामिल करना है किसे नहीं? यह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का विशेषाधिकार है।

इससे पहले विश्नोई दमोह में हुई हार के लिए सीनियर नेता जयंत मलैया पर अपनी ही पार्टी के नेताओं द्वारा लगाए आरोपों का विरोध भी कर चुके हैं। दमोह उपचुनाव हुई हार के लिए केंद्रीय मंत्री और दमोह के सांसद प्रह्लाद पटेल और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा अप्रत्यक्ष रूप से जयंत मलैया को जिम्मेदार बता रहे थे। तब अजय विश्नोई खुलकर मलैया के समर्थन में आ गए थे। पूर्व मंत्री कुसुम मेहदेले ने भी अजय विश्नोई का साथ दिया था। इससे पहले शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार में विंन्ध्य क्षेत्र की उपेक्षा को लेकर भी विश्नोई ने पार्टी पर तीखे तंज किए थे।

भाजपा की इस अंदरूनी उठापटक पर कांग्रेस की भी निगाह है। कांग्रेस का मानना है कि जिस तरह भाजपा में ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद सत्ता और संगठन में अपनी और अपने समर्थकों की जगह बनाते जा रहे हैं ऐसे में भाजपा के मूल नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है। कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता का मानना है कि भाजपा की अंदरूनी राजनीति अब किसी भी दिन ज्वालामुखी का रूप ले सकती है।

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