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पूरे कुएं में भांग: गृहमंत्री MP के हों या महाराष्ट्र के, उनका अपना ही क़ानून

पत्रकार राकेश अचल का महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की घटनाओं के संदर्भ में आलेख

महाराष्ट्र के गृहमंत्री हों या मध्यप्रदेश के गृहमंत्री, जब बोलते हैं तो सुनने वाले के होश फाख्ता हो जाते है। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने भोपाल में फिल्म निर्माता प्रकाश झा की टीम पर हमला करने वालों की तरफदारी की थी और महाराष्ट्र के गृहमंत्री नवाब मालिक ड्रग्स मामले में फंसे शाहरुख खान के बेटे के बहाने तमाम सिने अभिनेताओं की ढाल बनने की कोशिश कर रहे हैं।

महाराष्ट्र में नवाव मलिक का आर्यन खान और उन जैसे तमाम दुसरे कथित आरोपियों के पीछे खड़े होना इस बात की गवाही देता है की वे ये सब किसी न किसी मजबूरी में कर रहे हैं। भारतीय सिनेमा जगत एक समानांतर अर्थ व्यवस्था है, जो सियासत के काम भी आती है। सिनेमा की दुनिया के तमाम लोग सियासत में सीधे सक्रिय हैं,भले ही उनके राजनीतिक मंच अलग-अलग हों। इस समय भी आर्यन का माला आपराधिक से ज्यादा सियासी होता जा रहा है।

महाराष्ट्र के गृहमंत्री नवाब मलिक ने एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े पर कई तरह के आरोप लगाए हैं। नवाब मलिक ने हाल ही में एक पत्र जारी किया है और उन्होंने दावा किया है कि ये पत्र उन्हें एनसीबी के ही एक अधिकारी से मिला है। नवाब मलिक के द्वारा जारी किए गए इस पत्र में बॉलीवुड इंडस्ट्री से जुड़ी कई हस्तियों के नाम शामिल हैं। पत्र में श्रद्धा कपूर, रकुल प्रीत सिंह, सारा अली खान, दीपिका पादुकोण और अर्जुन रामपाल समेत कई सेलेब्स के नाम हैं। लेटर में समीर वानखेड़े की जांच पर कई तरह के सवाल खड़े किए गए हैं और इसमें ऐसा भी लिखा हुआ है कि वो (समीर वानखेड़े) हर किसी पर झूठा केस लगा रहे हैं।

राकेश अचल

नवाव के आरोपों के बारे में वानखेड़े तो सामने नहीं ए लेकिन उनकी पत्नी ने मोर्चा संभाल लिया। संकट के समय जब कोई साथ नहीं देता ,तब पत्नियां ही सामने आतीं हैं।समीर वानखेड़े की पत्नी क्रांति रेडकर वानखेड़े ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए अपनी बात सामने रखी है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने नवाब मलिक के लेटर का भी जवाब दिया है। क्रांति रेडकर वानखेड़े का कहना है, ‘इस तरह का लेटर तो कोई भी लिख सकता है। सभी आरोप गलत हैं। मेरे पति गलत नहीं है और हम ये सब बर्दाश्त नहीं करेंगे।

आपको याद होगा की समीर वानखेड़े की वजह से पूरी एनसीबी कलंकित हुई है। वानखेड़े पर आर्यन मामले में 18 करोड़ की रिश्वत मांगने का आरोप लगा है। आरोप लगा तो एनसीबी को समीर के खिला जांच का नाटक भी करना पड़ा। तीन सदस्यों की एक टीम बनाना पड़ी लेकिन दुनिया जानती है की कोई अपनी जांघ उघाड़ना नहीं चाहता। एनसीबी भी नही। एनसीबी की कोशिश नवाव मलिक के साथ ही दूसरे लोगों द्वारा समीर पर लगाए गए आरोपों की कालिख को साफ़ करने की है।

बेहद दुर्भाग्य की बात ये है कि एनसीबी समेत तमाम केंद्रीय एजेंसियां संदिग्ध हो गयीं हैं। इन तमाम जांच एजेंसियों में भारतीय पोलिस सेवाओं के नाम चीन्ह अधिकारी होते हैं और ये ही इन एजेंसियों की बदनामी की वजह बनते हैं। महाराष्ट्र में तो ये सिलसिला अब पुराना पड़ चुका है। यहां पुलिस महानिदेशक से लेकर सहायक निरीक्षक तक रिश्वत के आरोपों की कालिख अपनी वर्दी पर लगाए घूमते हैं,लेकिन किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती। इस तरह के मामलों में देश की माननीय अदालतों को खामखां अपनी ऊर्जा खर्च करना पड़ती है।

ड्रग मामले में आर्यन आज नहीं तो कल जमानत पर छूट जायेंगे। मामला चलता रहेगा। समीर वानखेड़े का भी कुछ बिगड़ने वाला नहीं है। मध्यप्रदेश में हुड़दंगियों का भी कुछ बिगड़ने वाला नहीं है। प्रकाश झा भी हुड़दंगियों कि सामने हाथ जोड़कर खड़े हो जायेंगे ,क्योंकि वे भी शिखाधारी हिन्दू हैं और हिन्दू मतावलम्बी सरकारों कि संरक्षण में काम करना चाहते हैं। बिगड़ रहा है तो देश का माहौल। देश की क़ानून और व्यवस्था। पुलिस का इकबाल। इन सबकी फ़िक्र किसी को नहीं है। इस बारे में यदि कोई बोलेगा तो उसे राष्ट्रद्रोही कहने में देर नहीं लगती।

कुल जमा भांग अब पूरे कुएं में घुल चुकी है। क़ानून असहाय है। क़ानून की रक्षा करने वाले मंत्री ही अब कानून के सहारे नहीं हैं। उनका अपना क़ानून है। वे उसे अपने ढंग से परिभाषित करते हैं। वे जिसे निर्दोष मानते हैं वो दोषी होकर भी दोषी नहीं हो सकता। अब क़ानून ,क़ानून से और सरकारें सरकार से लड़ रहीं हैं। आम आदमी तमाशबीन है। उसके हाथ में कुछ है ही नहीं। लोकतंत्र का यही अन्धेरा पक्ष है। इस अँधेरे से बाहर आने के लिए पहले पॉलिटिक्स और बाद में सड़ा-गला सिस्टम सुधारना होगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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