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उपचुनाव का प्रचार थमा: दिग्गजों ने छोड़ा मैदान, क्या नतीजे करेंगे हैरान?

प्रचार के लिए पहुंचे दिग्गज नेता अब चुनावी मैदान से लौट चुके हैं और निगाह अब मतदान के बाद नतीजों पर है।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) प्रदेश में एक लोकसभा सीट के साथ तीन विधानसभा सीटों पर 30 अक्टूबर को मतदान होना है। बुधवार शाम को 5 बजे इन सीटों पर प्रचार थम गया। प्रचार के लिए पहुंचे दिग्गज नेता अब चुनावी मैदान से लौट चुके हैं और निगाह अब मतदान के बाद नतीजों पर है। ये नतीजे किसके पक्ष में होंगे ये तो आने वाली 2 नवंबर को पता चलेगा लेकिन दोनों दलों के साथ भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं के साथ लिए चुनाव नतीजे बेहद पसोपेश वाले साबित हो सकते हैं।

मध्यप्रदेश की पृथ्वीपुर, जोबट और रैगांव विधानसभा सीटों व खंडवा लोकसभा सीट पर उपचुनाव होना है। उपचुनावों में भाजपा ने दो विधानसभा सीटों पर अन्य दलों से आये नेताओं पर भरोसा जताया है। पृथ्वीपुर विधानसभा सीट पर भाजपा ने शिशुपाल सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। बड़ी बात यह है कि शिशुपाल सिंह यादव पिछली बार सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में थे जो कांग्रेस के बृजेन्द्र सिंह से केवल 8000 वोटों से चुनाव हारे थे।

बीजेपी की बीते चुनाव में इस सीट पर बुरी गत हुई थी और पार्टी चौथे नंबर पर रही थी। ऐसे में भाजपा ने अपने संगठन को मजबूत करने की बजाय शिशुपाल को टिकट दे दिया है। उनके सामने पूर्व विधायक और मंत्री बृजेन्द्र सिंह के बेटे नितेन्द्र सिंह हैं। प्रदेश के साथ स्थानीय भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए शिशुपाल सिंह यादव की जीत-हार बेहद मायने रखेगी।

जोबट विधानसभा सीट पर भी भाजपा ने अपने मूल नेता पर दांव लगाने की बजाय ऐसे उम्मीदवार पर भरोसा किया है जो कांग्रेस छोड़कर आई हैं। मतलब वर्षों से पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं को यहां भी भाजपा ने निराश किया है। यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। पिछले 13 में से 10 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बाजी मारी है। दो बार भाजपा ने और एक बार प्रज्ञा सोशलिस्ट पार्टी ने विजय हासिल की है।

ऐसे में भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर आई सुलोचना रावत को टिकट दिया है। सुलोचना यहाँ दो बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक रह चुकी हैं। बीते चुनाव् में सुलोचना के बेटे विशाल रावत कांग्रेस से बाएगी होकर निर्दलीय मैदान में थे और 30 हजार से ज्यादा मत हासिल भी किये थे। इसे देखते हुए भाजपा ने सुलोचना रावत को एन मौके पर पार्टी में शामिल करा मैदान में उतार दिया है। सुलोचना का टिकट फाइनल होते ही यहां विरोध के स्वर बुलंद हो गए थे ऐसे में भाजपा को इस सीट पर भितरघात का ख़तरा भी सता रहा है लेकिन पार्टी दमोह की हार के बाद सतर्क भी है। देखना यह है कि नतीज़ा क्या होता है और उसके बाद भाजपा के स्थापित नेताओं की इस सीट पर क्या प्रतिक्रिया रहती है।

रैगांव विधानसभा सीट पर जरूर भाजपा ने अपने ही नेता पर दांव खेला है। वहीं खंडवा लोकसभा सीट पर नतीजे में सबसे दिलचस्प यह देखना होगा कि कांग्रेस से भाजपा में आए विधायक सचिन बिरला अपनी बड़वाह सीट से भाजपा को जिता पाते हैं या नहीं? सचिन बिरला के दलबदल से यहां भी उपचुनाव होना है। यह भी तय है कि भाजपा यहां सचिन बिरला को ही अपना उम्मीदवार बनाएगी। यानी भाजपा कार्यकर्ताओं को एक बार फिर मन मारकर ही सही लेकिन कांग्रेस से आए दलबदलू के लिए पसीना बहाना होगा।

दूसरी ओर कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपनी दो सीट जोबट और पथ्वीपुर को बचाना है। कांग्रेस के लिए प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ मोर्चा संभाले हैं। वहीं खंडवा लोकसभा सीट का नतीजा पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव की प्रतिष्ठा से जुड़ा है। खंडवा लोकसभा सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में नंदकुमार सिंह चौहान ने अरुण यादव को करीब पौने तीन लाख मतों से हराया था।

अरुण यादव उपचुनाव की घोषणा से पहले ही यहां सक्रिय थे लेकिन अपने नाम की आधिकारिक घोषणा में हो रहे विलंब के बाद अचानक उन्होंने चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया था। देखना यह है कि क्या कांग्रेस पौने तीन लाख मतों के अंतर को पाट यहां कोई करिश्मा कर पाएगी या नहीं?

उपचुनाव के नतीजों प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए भी अहम होंगे। भाजपा की जीत सूबे में शिवराज को मजबूत बनाएगी। वहीं भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली तो दमोह के बाद दूसरी हार भाजपा की अंदरूनी राजनीति को बहुत ज्यादा प्रभावित करेगी। आयातित उम्मीदवारों के लिए कारण जोबट और पृथ्वीपुर के नतीजे पर भाजपा की खास नजर है। जो उसके भविष्य की राजनीति की दिशा भी तय करेंगे।

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