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एक और गांधी की जरूरत, जो सरकार से लड़ सके आम आदमी की लड़ाई

92 साल पहले 12 मार्च को शुरू किये गए महात्मा गांधी के नमक आंदोलन की प्रासंगिकता पर राकेश पांडेय की फेसबुक पोस्ट।

आज 12 मार्च है। आज से 92 साल पहले 1930 में आज के ही दिन गाँधी ने नमक आंदोलन की शुरुआत करने हुए गुजरात के साबरमती आश्रम से दांडी मार्च की शुरुआत की थी। 24 दिन और 240 मील की यह यात्रा इतिहास के पन्नो में दर्ज हो गयी। नमक जैसी छोटी सी चीज के लिये गाँधी ने दांडी मार्च क्यों किया ? अंग्रेज हुकूमत का नमक कानून गाँधी क्यों तोड़ना चाहते थे। नमक कानून तोड़कर नमक बनाकर गाँधी आजादी की लड़ाई को कौन सी दिशा देना चाहते थे ? यह समझने के लिये गाँधी को समझना होगा।

नमक का प्रयोग प्रत्येक भारतीय घर में अपरिहार्य था लेकिन इसके बावजूद अंग्रेज सरकार द्वारा उन्हें घरेलू उपयोग के लिये भी नमक बनाने से रोका गया और इस तरह उन्हें दुकानों से ऊँचे दाम पर नमक खरीदने के लिये बाध्य किया गया था। उस समय बिना कर (जो कभी-कभी नमक के मूल्य का चौदह गुना होता था) अदा किये नमक के प्रयोग को रोकने के लिये सरकार उस नमक को नष्ट कर देती थी जिसे वह लाभ पर नहीं बेच पाती थी।

राकेश पांडेय

यह पहली राष्ट्रवादी गतिविधि थी, जिसमें औरतों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 6 अप्रैल,1930 को वे दांडी पहुँचे और वहाँ मुट्ठीभर नमक बनाकर ‘नमक कानून’ का उल्लंघन किया और कानून की नज़र में स्वयं को अपराधी बना दिया। यहीं से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई। नमक सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी सहित 60,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

गांधी जी ने नमक कानून तोड़कर खुद नमक बनाकर नमक हाथ में लेकर कहा था कि इसके साथ मैं ब्रिटिश साम्राज्य की नींव को हिला रहा हूँ। इस आंदोलन ने भारतीयों को एक हिम्मत दी, उम्मीद जगाई और इसके बाद भारत में आज़ादी की चिंगारी भड़क गयी। इस आंदोलन के बाद ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ की शुरुआत हुई। जिसने संपूर्ण देश में अंग्रेजी हुकूमत के विरोध में व्यापक जन संघर्ष को जन्म दिया।

नमक का एक मतलब अंग्रेज सरकार को उखाड़ फेंकना था तो आज नमक का एक मतलब सरकार की सत्ता में वापसी का तरीका बना दिया गया। तब नमक पर कर लगाने, नमक बनाने से रोक और सरकार की मुनाफाखोरी का विरोध किया गया था। आज नमक के दामो को लेकर विरोध न होकर फ्री नमक बाँटकर नमक की कीमत वोट देकर चुकाने को कहा गया। आज नून और कानून सरकार की वापसी का रास्ता बना तब नून बनाकर कानून तोड़कर सरकार को उखाड़ फेंकने का रास्ता बना।

नमक एक ऐसी वस्तु है जो गरीब से लेकर अमीर तक हर एक के उपयोग में आती है। तत्कालीन अंग्रेज सरकार ने नमक के मूल्य का करीब 14 गुना कर लगाकर आम आदमी के लिये नमक मंहगा कर दिया था। आज बहुत सी ऐसी वस्तुएं है जिनपर उनके मूल्य का कई गुना कर लगाकर आम आदमी के लिये बहुत मंहगा कर दिया गया है।

हमें आज फिर गाँधी की जरूरत है। देश को एक और गाँधी चाहिए। जो सरकार से आम आदमी की लड़ाई लड़ सके। वह सारी चीजें जो हमारे दैनिक उपयोग की हैं उन्हें न्यूनतम कर पर मिलनी चाहिए। गरीब को मुफ्त नहीं सस्ती चीजे मिलनी चाहिये। गाँधी का नमक सत्याग्रह आज बहुत प्रासंगिक है।

(लेखक उत्तरप्रदेश बैंक कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारी हैं)

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