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अयोध्या-मथुरा से पलायन,गोरखपुर से लड़ेंगे योगी, क्या करे अब गोदी मीडिया?

वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार का बड़ा सवाल? जब गोरखपुर से लड़ना था तो क्यों बनाया गया अयोध्या और मथुरा के नाम पर माहौल?

बीजेपी धर्म के नाम पर माहौल बनाने में उस्ताद है। इस पार्टी के एक सांसद हैं हरनाथ सिंह यादव। इन्होंने तीन जनवरी को अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखा। उसमें लिखा कि यह पत्र भगवान श्रीकृष्ण ने लिखने के लिए प्रेरित किया है कि योगी जी मथुरा से चुनाव से लड़ें। क्या अब हरनाथ सिंह यादव राज्य सभा से इस्तीफ़ा दे देंगे या अपनी पार्टी से कि भगवान श्रीकृष्ण ने पत्र लिखने के लिए प्रेरित किया और पार्टी ने नहीं माना?

क्या उन्हें उस पार्टी को छोड़ नहीं देना चाहिए जहां इतनी मुश्किल से टाइम निकाल कर भगवान एक सांसद को प्रेरित करते हैं कि आप मुख्यमंत्री की पैरवी करें और पार्टी भगवान की प्रेरणा को ठुकरा देती है।

योगी आदित्यनाथ उसी गोरखपुर से चुनाव लड़े हैं जहां उनका गढ़ है। इसे जानने का कोई मतलब नहीं है कि यह उनका फ़ैसला था या पार्टी का लेकिन हरनाथ सिंह यादव बताएं कि उन्हें भगवान कृष्ण कब और कैसे प्रेरित किया? यह भी बताएं कि उनकी पार्टी ने भगवान श्रीकृष्ण की प्रेरणा से लिखे पत्र का अनादर कर भगवान का अनादर किया है या आदर किया है? नौटंकी की भी हद होती है। चुनाव के लिए भगवान का भी इस्तेमाल करने लगते हैं।

गोदी मीडिया के पास कोई टापिए नहीं था। कोई रिपोर्ट नहीं थी तो वह बीजेपी के लिए क्या प्रोपेगैंडा करता? तो उसे कंटेंट की आपूर्ति कराई गई कि योगी अयोध्या से चुनाव लड़ सकते हैं। कहीं पर यह ख़बर सूत्र के रुप में तो कहीं पर अंतिम फ़ैसले के रुप में चलवाई गई और छपवाई गई। इस तरह से अयोध्या के नाम पर गोदी चैनलों ने जनता को बेवकूफ बनाया। क्या सबके पास ही यह पुख़्ता ख़बर थी कि योगी अयोध्या से लड़ रहे थे? कुछ चैनलों ने प्रश्नवाचक चिन्ह लगाकर चालाकी का यह खेल खेला है। कई महीने से इस बात को लेकर बहस की गई है और जिसे अलग अलग तरीक़े से हवा दी गई है।

जनवरी के पहले सप्ताह में जागरण और उजाला जैसे अखबार एक ही दिन पहले पन्ने पर छापते हैं। उजाला ने तो दबा दबा सा छापा लेकिन जागरण ने भौंकता शीर्षक लगाया कि योगी अयोध्या से चुनाव लड़ेंगे। इस ख़बर में यह भी जोड़ा कि अस्सी बनाम बीस फ़ीसदी की लड़ाई का मतलब हिन्दू बनाम मुस्लिम है। इस अख़बार को आप सावधानी से पढ़ा कीजिए। बहरहाल अब यही फ़ैसला हुआ है कि योगी आदित्यानाथ गोरखपुर से ही चुनाव लड़ेंगे। जब वहीं से लड़ना था तब फिर अयोध्या और मथुरा के नाम पर माहौल क्यों बनाया गया?

यह ठीक है कि बीजेपी चुनावी रेस में आगे हैं लेकिन उसके पास माहौल बनाने के लिए भगवान के नाम पर झूठ बोलने के अलावा कुछ और क्यों नहीं है? पांच साल में जो भव्य विकास हुआ है उसकी तस्वीर पर बहस हो सकती थी, जिन चैनलों और अख़बारों को करोड़ों के विज्ञापन मिले हैं वही घूम घूम कर विकास की तस्वीर दिखा देते? वो क्यों नहीं दिखा पाए? अगर इतना ही विकास हुआ है तो उन दावों का क्या हुआ कि पार्टी जहां से कहेगी वहीं से चुनाव लड़ेगी? क्या बीजेपी अब एक एक सीट बचाने की लड़ाई में आ गई है?

उत्तर प्रदेश का इतना विकास हुआ है कि पंद्रह करोड़ लोगों को महीने में दो बार मुफ्त राशन देना पड़ रहा है। सात करोड़ से अधिक श्रम कार्ड बनवाए गए हैं लेकिन डेढ़ करोड़ कार्डधारकों के खाते में हज़ार रुपये डाले गए, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर श्रम कार्ड बनाने वाले के खाते में कोई पैसा नहीं दिया गया है। क्या यह कार्ड इसलिए बनाया गया है ताकि एक नए सेग्मेंट को जोड़ा जाए और उसके खाते में पाँच सौ हज़ार रुपये देकर वोट ख़रीदा जाए? यूपी में पिछले पाँच महीने में कई वर्गों के मानदेय और भत्ते बढ़ाए गए, लाखों नौकरियां देने का दावा किया गया, जनता के पैसे फूंक कर अखबारों में एक्सप्रेस वे और हाईवे के विज्ञापन छापे गए, इसके बाद भी अयोध्या और मथुरा के नाम पर माहौल बनाने की कोशिश हुई। दरअसल अयोध्या से चुनाव लड़ने के नाम पर राम मंदिर से जुड़े नए पुराने मुद्दों और दावों को सामने लाया गया। उन्हें जनता के बीच खपाया गया ताकि जनता को धर्म के नाम पर बेवकूफ बनाया जा सके। पता नहीं ये लोग भगवान के नाम पर झूठ बोलते हैं या विकास के नाम पर।

गोदी मीडिया को समझ नहीं आ रहा होगा कि अब क्या करें। वह बेशर्म है। वह अपने दर्शकों को यह भी याद नहीं दिलाएगा कि हम पाँच महीने से अयोध्या के नाम पर माहौल बना रहे थे लेकिन योगी जी पलायन कर गए। गोरखपुर से ही चुनाव लड़ रहे हैं। गोदी मीडिया बताए कि किस आधार पर यह माहौल बनाया जा रहा था? क्या अपने आप राम और कृष्ण का इस्तेमाल कर रहा था या बीजेपी के इशारे पर कर रहा था?

इस तरह से हिन्दी अखबार और गोदी मीडिया के चैनल दर्शकों को बेवकूफ बना रहे हैं। गोदी मीडिया के ऐंकरों की वो क्लिप निकाल कर ज़रा देखिए कि किस तरह से महौल बना रहे थे। इतनी मेहनत जनता के असली मुद्दों को लेकर करते तो हज़ारों लोगों की समस्या का समाधान हो गया होता। इस खेल को समझना ज़रूरी है।इन चैनलों ने यूपी और बिहार के राजनीतिक माहौल का सत्यानाश कर दिया है। योगी कहीं से भी चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन लड़ तो रहे हैं गोरखपुर से ही।

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