रुचि सोया: 1000 करोड़ लगा 25000 करोड़ के मालिक बन गए रामदेव
कॉर्पोरेट की लूट और बैंकों को खोखला करने की सरकारी छूट का ज्वलंत उदाहरण रुचि सोया और पतंजलि।
Ashok Chaturvedi
रुचि सोया-जिस दिवालिया कंपनी को बाबा रामदेव की पतंजलि ने दिसंबर 2019 में खरीदा था, उसी का पब्लिक इशू बाजार में आ रहा है। पतंजलि इसके ज़रिए 4300 करोड़ जुटाना चाहती है। जनता के इस पैसे का इस्तेमाल 4350 करोड़ का क़र्ज़ उतारने में किया जाएगा।
रुचि सोया और पतंजलि-दोनों इस देश में कॉर्पोरेट की लूट और बैंकों को खोखला करने की सरकारी छूट का ज्वलंत उदाहरण है। रुचि सोया के दिवालिया होने पर कंपनी के ऊपर 12146 करोड़ का क़र्ज़ था। SBI ने 933 करोड़ का कर्ज माफ किया। PNB, सेंट्रल बैंक और बाकी बैंकों ने भी क़र्ज़ माफ किया।
आधे से ज़्यादा लोन माफ करने के बाद NCLT ने कंपनी की बोली लगाई और अडाणी के पीछे हटते ही पतंजलि ने 4350 करोड़ में रुचि सोया को खरीद लिया। ये 4350 करोड़ बाबा ने अपनी जेब से नहीं लगाए, बल्कि अपने रसूख का इस्तेमाल कर बैंकों से 3250 करोड़ का क़र्ज़ लिया।
यानी SBI जैसे जिन बैंकों ने रुचि सोया का कर्ज माफ किया, उन्हीं बैंकों ने उसी कंपनी को दोबारा लोन दिया। यह एक बेमिसाल घोटाले की शुरुआत थी। लोन की सिक्योरिटी रुचि सोया की स्टॉक वैल्यू थी, जो दिवालिया होने के कारण घटकर 0 रह गयी थी लेकिन बाबा रामदेव से सत्ता की किरपा से सब मैनेज कर लिया।
सेबी का नियम कहता है कि किसी भी कंपनी का 25% शेयर स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड होना चाहिए, ताकि पैसे की तरलता बनी रहे। बाबा ने NCLT को चूना लगाकर 1% शेयर ही जारी किए। सेबी चुप रहा। फिर बाबा और उनके भक्तों ने शेयर मार्केट में कंपनी के शेयर की कीमतों में भारी घोटाला किया। इसके चलते 3.50 रुपये का एक शेयर दो साल में 1053 पर आ गया।
यानी जिस रुचि सोया को बाबा ने सिर्फ 1000 करोड़ में खरीदा था, उसकी कीमत शून्य से 31190 करोड़ हो गई। अब इसी कंपनी का 20% हिस्सा पब्लिक इशू के रूप में सामने आ रहा है। इससे आया 4300 करोड़ रुपया क़र्ज़ चुकाने के काम आएगा। यानी बाबा रामदेव सिर्फ 1000 करोड़ लगाकर 25000 करोड़ के मालिक बन गए।
अब न कहना कि 2+2=8 नहीं होते। अवाम मूर्ख हो तो 10 भी हो सकते हैं।