कर्नाटक विधानसभा चुनाव कोई तारीखों की घोषणा के साथ ही अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। तमाम संस्थाओं के ‘ओपिनियन पोल’ आने लगे हैं जो बता रहे हैं कि कर्नाटक में भाजपा को तगड़ा नुकसान होने वाला है। इन अटकलों और ओपीनियन पोल से लोग भले ही खुश हो लें किन्तु भाजपा ने इन टोटकों की न कभी परवाह की है और न शायद आगे करेगी, क्योंकि भाजपा जानती है कि बिना जनादेश के भी कैसे सरकार बनाई जा सकती है।
भारत में कर्नाटक राजनीतिक नाटक का सबसे बड़ा और पुराना गढ़ रहा है। यहां कांग्रेस और भाजपा में लगातार नाटक होते रहते है। कभी भाजपा कांग्रेस का खेल बिगाड़ती है तो कभी कांग्रेस भाजपा का। कभी भाजपा के येदुरप्पा बाग़ी हो जाते हैं तो कभी कांग्रेस में बगावत होती है। कभी कोई सन्यासी हो जाता है तो कभी कोई। दलबदलुओं का पुराना आश्रय स्थल रहा है कर्नाटक, इसलिए कर्नाटक विधानसभा के चुनाव हमेशा की तरह रोचक होंगे। यहां के सियासी ऊँट पर कभी कोई भरोसा नहीं किया जाता, क्योंकि वो कभी भी,कोई भी करवट ले सकता है।
कर्नाटक की 224 सदस्यों वाली विधानसभा के भावी चुनावों को लेकर एबीपी न्यूज-सी वोटर के इस सर्वे में कर्नाटक में कांग्रेस को बहुमत मिलने की संभावना जताई गई है। सर्वे के अनुसार, कांग्रेस की 115-127 सीटें और कुल वोट शेयर का 40.1 फीसदी हासिल करने की संभावना है। बीजेपी को 34.7 फीसदी वोट शेयर के साथ 68-80 सीटें मिलती दिख रही हैं जबकि जेडीएस को 17.9 फीसदी के वोट शेयर के साथ 23-35 सीटें मिलने का अनुमान है। अन्य दलों को 7.3 फीसदी वोट शेयर और 0-2 सीटें मिलने की उम्मीद है।
उम्मीदों के इस आसमान में सबके लिए कुछ न कुछ है। कांग्रेस और भाजपा के लिए सबसे ज्यादा है। कर्नाटक में भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा येदुरप्पा थे, जिन्होंने सन्यास की घोषणा कर दी है,ऐसे में हमेशा की तरह कर्नाटक विधानसभा का चुनाव भी भाजपा ‘डबल इंजिन’ वाली सरकार का नारा देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ेगी। पिछले आठ साल में भाजपा में कोई दूसरा नरेंद्र मोदी पैदा हुआ ही नहीं है। होना भी नहीं है।
आपको याद होगा कि कर्नाटक के पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 38 प्रतिशत वोट शेयर मिला था. सर्वे के अनुसार इस बार कांग्रेस के वोट शेयर में 2 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हो सकती है। बीजेपी को पिछले चुनाव में 36 प्रतिशत वोट शेयर मिला था जोकि इस बार 1.3 फीसदी कम होता दिख रहा है. जेडीएस को पिछली बार 18 प्रतिशत वोट शेयर मिला था जिसमें इस बार मामूली गिरावट की संभावना है। ये गिरावट सर्वेयरों को ही नजर आती है ,राजनीतिक दलों को नहीं।
चुनाव से पहले जीतने-हारने वाले चेहरे हवा में उड़ने वाले गुब्बारों की तरह उड़ते दिखाई देने लगते हैं। सर्वे में कर्नाटक में मुख्यमंत्री की पहली पसंद को लेकर बेहद हैरान करने वाले नतीजे सामने आए हैं। ओपिनियन पोल के मुताबिक कर्नाटक में मुख्यमंत्रीके लिए पहली पंसद कांग्रेस नेता सिद्धारमैया हैं। जिन्हें 39 प्रतिशत लोगों ने अपनी पहली पसंद बताया। इसके बाद कर्नाटक के मौजूदा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई हैं जिन्हें 31 प्रतिशत लोगों ने अपनी पहली पसंद बताया। जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी 21 प्रतिशत के साथ तीसरे नंबर पर रहे। कांग्रेस के डीके शिवकुमार को 3 प्रतिशत जबकि 6 प्रतिशत लोगों ने अन्य को चुना है। असली चुनाव मतदाता करेंगे सर्वेयर नहीं।
कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा चुनाव के लिए अयोग्य ठहराए जाने की घटना से ज्यादा राज्य सरकार का कामकाज नतीजों को प्रभावित करने वाला है। कनार्टक की मौजूदा सरकार के कामकाज को लेकर ज्यादातर लोग मौजूदा सरकार से असंतुष्ट नजर आ। करीब 50 प्रतिशत लोगों ने सरकार का कामकाज खराब बताया। 28 प्रतिशत ने सरकार के काम को अच्छा बताया और 22 प्रतिशत ने इसे औसत माना। यानि सत्ता प्रतिष्ठान विरोधी लहर ही निर्णायक होगी बशर्ते कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की करुण पुकार कोई जादू न करे तो।
विधानसभा चुनावों में हमेशा स्थानीय मुद्दे ही ज्यादा प्रभावी होते है। इस बार भी होंगे, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, कोरोना, बिजली, पानी जैसे मुद्दे। कर्नाटक में बेरोजगारी सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है। बिजली, सड़क और पानी के मुद्दे भी चुनावों को प्रभावित करने वाले हैं। राज्य के 19 प्रतिशत लोगों ने शिक्षा सुविधाओं, 2.9 प्रतिशत ने कानून और व्यवस्था, महिला सुरक्षा, 12.7 प्रतिशत ने सरकारी कार्यों में भ्रष्टाचार को, 4 प्रतिशत लोगों ने कोरोना महामारी के मुद्दे को, 3.5 प्रतिशत ने किसानों से संबंधित मुद्दे को, 1.2 प्रतिशत लोगों ने राष्ट्रवाद के मुद्दे को बड़ा बताया। पोल में हिस्सा लेने वाले 6.1 प्रतिशत लोगों ने अन्य मुद्दों को प्रमुख मुद्दा मानते हैं।
मुझे लगता है कि इन ओपीनियन पोल के बारे में भाजपा पहले से जानती है ,इसीलिए उसने अपनी तैयारी भी की है। जनादेश को पलटने के सारे तर-तरीके भाजपा के आजमाए हुए हैं। कर्नाटक में भी इनका इस्तेमाल करने से भाजपा पीछे हटेगी नहीं ,क्योंकि यदि पीछे होती तो आम चुनावों में भी उसका बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा। प्र्धानमंत्री जी कभी नहीं चाहेंगे कि उनके सपनों का भारत बनाने में कोई पराजय बाधा साबित हो। देश को प्रधानमंत्री जी के पुरषार्थ पर पहले से पूरा यकीन है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)