चंद्रशेखर सिंह, क्यों हैं हीरो मध्यप्रदेश के?

मिलिए मध्यप्रदेश के एक ऐसे शख्स से जो रोजाना 2000 लोगों का पेट भरने का काम कर रहा है।

चित्रांशी सक्सेना /निमिष दुबे

भोपाल. जब देश में मध्यप्रदेश समेत 11 राज्यों के 45 प्रतिशत लोग अपनी भूख मिटाने के लिए कर्ज लेने पर मजबूर हो चुके हैं। भुखमरी के चलते देश वर्ल्ड हंगर इंडेक्स की सूची में पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देश से भी नीचे लुढ़क रहा हो। ऐसे वक़्त में मिलिए मध्यप्रदेश के एक ऐसे शख्स से जो रोजाना 2000 लोगों का पेट भरने का काम कर रहा है। आइए, जानते हैं जोशहोश की स्पेशल सीरीज मध्यप्रदेश के हीरो में भोपाल के हीरो चंद्रशेखर सिंह की कहानी

किसी का दुख लेना, बुरे वक़्त में काम आना इससे अच्छा काम दुनिया में कोई और हो ही नहीं सकता- यह शब्द हैं गरीबों का पेट भरने वाले 45 वर्षीय चंद्रशेखर सिंह के। चंद्र शेखर प्रतिदिन 2000 से अधिक असहाय लोगों को न केवल भोजन बांटते हैं, बल्कि गरीबों की हर ज़रूरत को पूरा करने की कोशिश भी करते हैं। इस नेक काम को करने के पीछे  चंद्रशेखर सिंह की वजह है कि अगर आपके जिले या प्रदेश में कोई भी व्यक्ति भूखा सोता है, तो कहीं  न कहीं उसके दिल से हाय  निकलती है। जिससे वो जिला और प्रदेश कभी उन्नति नहीं कर पाता। चंद्रशेखर ने गरीबों को खाना खिलाने की शुरुआत साल 2018 में की, जब उनकी मुलाकात जयश्री गायत्री प्रोडक्ट्स के मालिक किशन मोदी से हुई।

चंद्रशेखर बताते हैं कि जब किशन मोदी से उनकी मुलकात हुई तब उन्होंने मुझे बताया की मैं व्यापार में इतना उलझा रहता हूँ कि सामाजिक कार्य चाहते हुए भी नहीं कर पाता। बस यहीं से गाँधी-आलय की नींव रखी गयी। मात्र 100 लोगों से हुई इस सामाजिक कार्य की शुरुआत आज 2 हज़ार लोगो तक पहुंच गयी है। दो साल बाद भी गाँधी-आलय हर रोज़ हज़ारों लोगों को मुफ्त में भोजन उपलब्ध करा रहा है, चंद्रशेखर की मानें तो इन दो सालों  में उन्होंने किसी से भी एक रुपए भी दान नहीं लिया। यह सब काम संभव हो सका तो सिर्फ और सिर्फ गायत्री प्रोडक्ट्स के मालिक किशन मोदी की वित्तीय सहायता के जरिये। किशन मोदी की सहायता के ज़रिये ही चंद्रशेखर ने रोटी बनाने की आधुनिक मशीन भी ले राखी है, जो हज़ारों रोटियां कुछ ही घंटों में बनाकर तैयार कर देती है।

खाना बनाने का काम भी कोलर की सर्वधर्म कॉलोनी स्थित चंद्रशेखर के घर पर ही होता है। जहाँ उनके 6 अन्य सहयोगी भी इस नेक काम में मदद करते हैं। जिनकी तनख्वाह का दारोमदार भी किशन मोदी के जिम्मे ही होता है। गाँधी-आलय और चंद्रशेखर सिंह की सामाजिक कार्य करने की ललक इस हद तक है कि कोरोनाकाल में लगा लॉकडाउन भी गाँधी-आलय को रोक न सका। चंद्रशेखर ने प्रशासन के सहयोग से लॉकडाउन में भी प्रवासी मजदूरों और असहाय लोगों तक मास्क और खाना पहुँचाने का काम जारी रखा।

गांधी-आलय बनने की कहानी 

पिछले 20 वर्षों से सामाजिक काम कर रहे चंद्रशेखर कभी गरीब और असहाय लोगों के प्रवक्ता हुआ करते थे। समय के साथ हुए बदलाव में चंद्रशेखर ने  गाँधी के पदचिन्हों  पर चलना शुरू किया और यहीं से गाँधी-आलय की स्थापना हुई। चंद्रशेखर की मानें तो हर काम के पीछे स्वार्थ होता है और स्वार्थ को हमेशा नकरात्मकता से जोड़ा जाता है। लेकिन शेखर इसे एक सकारात्मक शब्द मानते हैं और बताते हैं कि  मेरा स्वार्थ यह है कि मुझे लोग दुआएं देते हैं। जिससे मुझे यह काम करने की शक्ति मिलती है। जिन्हें लोग भिखारी असहाय बोलते हैं। शेखर उन्हें अलग नज़रिये से देखते हैं और उनको भगवान मानते हैं।

मेडिकल बॉक्स द्वारा आयुर्वेदिक उपचार 

गाँधी-आलय की दूसरी मुहीम है जन-जन तक आईटीआरएफ के माध्यम से आयुर्वेदिक उपचार पहुँचाना।  जिसके लिए चंद्रशेखर शहर में वालंटियर नियुक्त कर रहे हैं। यह पूरा काम डिजिटल ऐप के जरिये किया जाता है, जहां वालंटियर को मरीज की जानकारी ऍप पर डालनी होती है। जिसके बाद डॉक्टर फ़ोन कर मरीज की बीमारी का हाल चाल लेते हैं। बाद में निशुल्क पार्सल के माध्यम से आयुर्वेदिक मेडिकल बॉक्स मरीज के पते पर पहुंचाए जाता है। इस सेवा के जरिये गांधीआलय अब तक करीब 10 हज़ार लोगों तक मदद पहुंचा चुका है और यह प्रयास सतत जारी है।

इन जगहों पर बाँटते हैं गरीबों को भोजन

चंद्रशेखर की मानें तो हर शाम गाँधी-आलय द्वारा 6 बजे भोजन वितरण की शुरुआत भोपाल के 1100 क्वाटर्स से होते हुए बोर्ड ऑफिस चौराहे , PHQ वाली मज़ार , कालीमाता मंदिर, सुल्तानिया जनाना अस्पताल होते हुए भोपाल स्टेशन पर जाकर ख़त्म होती है।

चंद्रशेखर सिंह का कहना है कि जब हमने इस नेक काम की शुरुआत की तब हमें अंदाजा हुआ कि गरीब और असहाय लोगों को अपनी जिंदगी में किन कठनाईयों का सामना करना पड़ता है। लोग गरीबों को हीन भावना की नजरों से देखते हैं, लेकिन चंद्रशेखर उनकी मदद इसलिए करते हैं क्योंकि वह गरीबों में भगवान देखते हैं। सरकारें जहां अपना काम करती हैं वहीं समाज का भी दायित्व बनता है कि वह अपनी तरफ से भी कुछ करे। ऐसे में चंद्रशेखर सिंह जैसे लोगों का आगे आना समाज को बेहतर बनाने के लिए एक अच्छा कदम है।

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