तो क्या मिलीभगत से निजी गोदामों तक पहुंच गया 890 मीट्रिक टन यूरिया?

मुख्यमंत्री शिवराज के निर्देश के कुछ घंटों बाद ही 130 मीट्रिक टन यूरिया की निजी गोदामों से बरामदगी सवालों के घेरे में

जबलपुर (जोशहोश डेस्क) संस्कारधानी जबलपुर से गायब 890 मीट्रिक टन यूरिया अब निजी गोदामों से बरामद हो रहा है। यूरिया गायब होने की खबर पर मचे बवाल और सीएम शिवराज की नाराजगी के कुछ घंटों बाद जांच दल ने शुक्रवार को दो निजी गोदामों से करीब 130 मीट्रिक टन यूरिया बरामद किया है।

जांच दल ने जबलपुर में ही एक निजी गोदाम और वेयरहाउस से यह बरामदगी की है। सवाल यह उठ रहा है जिलों में आवंटन किए जाने वाला यूरिया आखिर निजी गोदाम तक किसकी मिलीभगत से पहुंचा? दोनों स्थानों से करीब 130 मीट्रिक टन यूरिया बरामद हुआ है।

बताया जा रहा है कि 25 अगस्त को ट्रेन से करीब 2600 मीट्रिक टन टन यूरिया जबलपुर आया था। यूरिया को मंडला, डिंडोरी, सिवनी और दमोह भेजा जाना था, लेकिन तय की गई मात्रा के बदले महज 10 से 25 प्रतिशत की यूरिया इस जिलों में पहुंचा और करीब 890 मीट्रिक टन यूरिया गायब बताया जाने लगा था।

मामले के तूल पकड़ते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने शुक्रवार सुबह सात बजे जबलपुर संभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। बैठक में जबलपुर संभाग आयुक्त ने बताया था कि 25 अगस्त को जबलपुर में 2600 मीट्रिक टन के रैक लगे थे। यूरिया खाद के आवंटन की जिम्मेदारी कृभको की थी और खाद्य डाइवर्ट करने पर फर्टिलाइजर मूवमेंट कंट्रोल ऑर्डर का वायलेशन हुआ है।

बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज ने दोषियों पर तत्काल एफआईआर कर गिरफ्तार करने के निर्देश दिए हैं, साथ ही कड़ी कार्रवाई करने को कहा था। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज के निर्देश के कुछ घंटों बाद ही 130 मीट्रिक टन यूरिया की निजी गोदामों से बरामदगी सवालों के घेरे में आ गई है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी यूरिया गायब होने पर शिवराज सरकार पर सवाल उठाये है। उन्होंने कहा कि

इधर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जबलपुर पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि खाद वितरण में लगी कंपनियों को समझाने से काम नहीं चलेगा। दोषियों के विरुद्ध एक्शन लिया जाये। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से समन्वय कर राज्य के लिए पर्याप्त आवंटन सुनिश्चित किया गया है। किसान तक खाद की आपूर्ति पर कड़ी नजर रखी जाए। जरूरत के समय किसान को खाद की कमी नहीं होना चाहिए। देखना यह है कि इस मामले में वास्तविक दोषियों तक सरकार पहुँच पाती है या नहीं?

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