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छतरपुर पुलिस कर रही पत्रकारों का उत्पीड़न, भोपाल से दिल्ली तक शिकायत

छतरपुर पुलिस पर जिले के पत्रकारों पर झूठे अपराध दर्ज कर अनैतिक दबाव बनाने का आरोप,पत्रकारों ने एकजुट हो खोला मोर्चा।

छतरपुर (जोशहोश डेस्क) छतरपुर पुलिस पिछले कुछ समय से जिले के पत्रकारों पर झूठे अपराध दर्ज कर अनैतिक दबाव बना रही है जिससे पुलिस व्यवस्था की लचर और अनैतिक कार्यों में लिप्तता की ख़बरें प्रकाशित और प्रसारित न हों सके। पत्रकारों पर कई ऐसे मामलों में केस दर्ज किये गये जो पुलिस की पत्रकारों के प्रति दुर्भावना को प्रकट करते हैं। यह आरोप लगते हुए जिले के पत्रकारों ने एकजुट हो पुलिस की दमनात्मक कार्रवाई की शिकायत दिल्ली में प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया के साथ राजधानी भोपाल में जनसंपर्क मंत्री और राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से की है।

पत्रकारों ने एकजुट स्वर में कहा है कि मप्र सरकार पत्रकारों को संरक्षण और उनकी सुरक्षा के लिये कई नियम लागू किये हैं पर छतरपुर पुलिस लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की आवाज़ को कुचलने का कुत्सिक प्रयास कर रही है जो बेहद गंभीर है। इन मामलों के उच्च अधिकारियो से जाँच कराने के लिये पत्रकारों ने पत्र भी लिखा है। पत्र में पत्रकार धीरज चतुर्वेदी और दबंग मीडिया समाचार पत्र अख़बार के संपादक पर दर्ज केस का हवाला भी दिया गया है।

छतरपुर जिला मुख्यालय से करीब 4 किमी दूर टडेरा हार में 26 अक्टूबर 21 को एक महिला बेहोशी हालत में मिली जिसकी अस्पताल में मृत्यु हो गई। पीड़ित परिवार ने बलात्कार बाद हत्या के आरोप लगाये थे। इस खबर को सभी न्यूज़ चैनल, बेब पोर्टल और दैनिक अखबारों के साथ अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित किया गया। प्रदेश स्तर और स्थानीय समाचार पत्रों ने प्रमुखता से 28 अक्टूबर को खबर प्रकाशित की। 29 अक्टूबर को दबंग मीडिया समाचार पत्र ने भी पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने खबर का प्रकाशन किया। छतरपुर पुलिस ने बिना कोई नोटिस जारी किये खबर को लिखने वाले पत्रकार धीरज चतुर्वेदी और अख़बार के संपादक पर 228 क आईपीसी के तहत अपराध दर्ज कर दिया।

पत्रकारों का आरोप है कि पुलिस के व्यक्तिगत द्वेष के कारण इस केस में अपराध दर्ज किया गया क्यों कि जिन अखबारों में 28 अक्टूबर को खबर प्रकाशित हुई उन पर कार्यवाही ना कर 29 अक्टूबर को प्रकाशित खबर पर अपराध दर्ज किया गया। पुलिस की फर्जी और दुर्भावना से प्रेरित कार्यवाही के दायरे में आये पत्रकार धीरज चतुर्वेदी मप्र शासन से राज्य स्तरीय स्वतंत्र अधिमान्य पत्रकार हैं और मप्र शासन से गठित सागर संभाग की अधिमान्य समिति के सदस्य भी हैं। अधिमान्य पत्रकार को नोटिस जारी कर उनके पक्ष को शामिल किये बिना अपराध दर्ज कर दिया गया। जबकि पीड़ित परिवार की लिखित सहमति के आधार पर मृतका का नाम व उसकी फोटो का प्रकाशन सभी समाचार पत्रों खबर में उपयोग कर किया था।

इस मामले में उठे सवाल –

  1. राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार धीरज चतुर्वेदी को बिना नोटिस जारी किये और उनका पक्ष जाने बिना किस आधार पर उनके खिलाफ कोतवाली पुलिस ने अपराध दर्ज किया। अधिमान्य पत्रकार के विरुद्ध अपराध दर्ज करने से पूर्व वरिष्ठ अधिकारी की सहमति क्यों नहीं ली गई और सहमति है तो कौन अधिकारी ने पूरे मामले के संज्ञान बिना सहमति दी।
  2. मृतक महिला के पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने जब 28 अक्टूबर को सभी मीडिया साधनों से खबर प्रसारित और प्रकाशित की गई तो 29 अक्टूबर को दबंग मीडिया की प्रकाशित खबर पर हीं पुलिस ने क्यों संपादक और संवाददाता पर अपराध दर्ज किया? 28 अक्टूबर को खबर प्रसारित और प्रकाशित करने वालो को क्यों कार्यवाही से मुक्त रखा गया। जो दर्शाता है पुलिस अधिकारियो की पूर्वग्राह से प्रेरित मानसिकता के कारण केवल एक समाचार पत्र पर कार्यवाही की गई है।

*तथ्य है कि दबंग मीडिया सहित सभी समाचार पत्र और मीडिया साधनों ने मृतका के परिवार की सहमति पर मृतका का नाम, पता, फोटो इत्यादि अपनी खबर में प्रसारित और प्रकाशित किये थे। फिर किस आधार पर पत्रकारों पर अपराध दर्ज किया गया।

छतरपुर जिले के पत्रकार समूह ‘आवाज दो हम एक हैं’ के धीरज चतुर्वेदी ने बताया कि इससे पहले भी छतरपुर में आँचलिक पत्रकारों पर कई फर्जी मामले दर्ज हों चुके हैं। पुलिस के अपराधिक कृत्यों में सबूत के साथ शामिल होने की तथ्य के साथ खबर प्रसारित और प्रकाशित होने के बाद भी उन पर अनैतिक दवाब का कानूनी प्रयोग करते अपराध दर्ज है, जिनके कुछ उदहारण समक्ष है

  • छतरपुर जिले के आँचलिक पत्रकार नौगांव नगर के गजेंन्द्र साहू के खिलाफ 20 जुलाई 21 को हरिजन एक्ट के तहत अपराध नौगांव पुलिस ने केस किया। पत्रकार गजेंन्द्र साहू अपने मीडिया साधनों के जरिये पुलिस की जुआ फड में संलिप्तता सहित बालू रेत के अवैध खनन में पुलिस के अनैतिक भ्र्ष्टाचार का खुलासा कर रहे थे। जिन पर अपराध दर्ज कर दिया गया। पत्रकार गजेंन्द्र साहू के पास सभी प्रमाण है। जिन्होंने प्रमाण सहित पुलिस अधिकारियो को आवेदन भी सोंपे पर पुलिस अधिकारियो के टारगेट पर पत्रकारों की कोई सुनने वाला नहीं है।
  • हरपालपुर थाना के ग्राम परेथा में जहरीली शराब से कई लोगो की मौत हों गई थी। छतरपुर प्रशासन ने इस गंभीर मामले में जो साफगोई पेश की हों पर पत्रकार सच सामने लाते रहे। हरपालपुर के पत्रकार कुलदीप वर्मा ने भी यह सच सामने लाया तो उन पर धारा 354 सहित अन्य मामलो में अपराध दर्ज कर दिया गया। इसके विरोध में पत्रकारों के प्रतिनिधि मण्डल ने एसपी छतरपुर को ज्ञापन भी सौंपा पर न्यायोचित जाँच नहीं की गई।
  • राजनगर क्षेत्र में भी एक पीड़ित परिवार की जंग लड़ते पत्रकारों पर अपराध दर्ज कर दिया गया।

छतरपुर पत्रकार मोर्चा के मुख्य संयोजक सुरेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि इससे साफ़ है छतरपुर पुलिस के पत्रकारों का उत्पीड़न कर रही है। जिससे चौथे स्तम्भ की आवाज को कुचला जा सके। छतरपुर जिले के पत्रकारों ने 2 अक्टूबर 21 को सड़को पर उतरकर पुलिस के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया था। पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर ना जाने क्यों पत्रकार समाज के भारी समूह के सामना नहीं कर पाये, इसलिए अधीनस्थ को ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।

एकजुट पत्रकारों ने कहा है कि पत्रकार समाज के उत्पीड़न और उनके अपमान की सुनवाई जरुरी है। इन मामलों में उच्च स्तरीय जाँच की जानी चाहिए। ताकि छतरपुर जिले में पत्रकारों की सच की आवाज को दबाने का सरकारी दबंग पोषित तंत्र फर्जी अपराध दर्ज ना कर सकें। पत्रकारों ने कहा है कि जाँच दौरान पत्रकारों पर उत्पीड़न के सभी साक्ष्य जांच उपलब्ध करा दिये जायेंगे।

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