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क्या MP में PM मोदी पर नज़र आ रही कर्नाटक में मिली हार की बौखलाहट?

पीएम मोदी के भोपाल और शहडोल में दिए संबोधनों पर उठ रहे सवाल

भोपाल/शहडोल (जोशहोश डेस्क) कर्नाटक में मिली करारी शिकस्त के बाद भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर आशंकित नज़र आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ख़ुद एक सप्ताह में दो बार मध्यप्रदेश आ चुके हैं। मध्यप्रदेश में पीएम मोदी जिस तरह का संबोधन दे रहे हैं उसे सियासी पंडित कर्नाटक में मिली हार की बौखलाहट बता रहे हैं।

दरअसल पीएम मोदी बीते पांच दिनों में दो बार मध्यप्रदेश आ चुके हैं। पहले भोपाल और फिर शहडोल में उनके सम्बोधन पर गौर किया जाये तो पीएम मोदी का पूरा ज़ुबानी हमला कांग्रेस की गारंटियों पर ही है। कमोबेश ऐसी ही गारंटियां कर्नाटक में कांग्रेस की जीत का आधार साबित हुई थीं। इन गारंटियों की दम पर ही कांग्रेस ने कर्नाटक में पीएम मोदी द्वारा बहुप्रचारित डबल इंजन सरकार के भ्रमजाल को खोखला साबित कर दिया था।

ऐसे में पीएम मोदी का पूरा प्रयास है कि कर्नाटक के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस की गारंटियों से पार पाया जाय अन्यथा यहाँ भी भाजपा की डबल इंजन सरकार का वही हश्र होना है जो कर्नाटक में हुआ था। यही कारण माना जा रहा है कि पीएम मोदी बेहद ही आक्रामक तरीके से कांग्रेस की गारंटियों को काउंटर करते नज़र आ रहे हैं। सियासी गलियारों में तो इसे कर्नाटक में मिली हार की बौखलाहट तक बताया जा रहा है।

यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधनों को तथ्यात्मक रूप से गलत भी बताया जा रहा है। शहडोल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह पाँच लाख के स्वास्थ्य बीमा को लेकर दावे किए उस पर भी कांग्रेस हमलावर है। कांग्रेस का कहना है कि राजस्थान में गहलोत सरकार 25 लाख का बीमा कवर पहले ही दे रही है।

सिर्फ़ प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष JP नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह के भाषणों पर भी बौखलाहट नज़र आने की बात कही जा रही है। दोनों ही नेताओं की ग़लत बयानी पर कांग्रेस ने सवाल भी उठाए हैं। कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत में लिखा है कि मोदी शाह और नड्डा इतने बौखलाए और घबराए क्यों नज़र आ रहे हैं? साथ ही सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया पर इन तीनों नेताओं पर झूठी बयानबाजी का भी आरोप लगाया है-

कहा यह भी जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी वाले बयान प्रदेश की शिवराज सरकार के लिए ही दुविधा भरी स्थिति उत्पन्न कर रहे हैं। भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने भ्रष्टाचारियों पर एक्शन की गारंटी लेने की बात कही थी तब भी सोशल मीडिया पर सवाल उठाए थे कि मध्यप्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर PM मोदी कब एक्शन लेंगे? यहाँ तक कि महाकाल लोक के निर्माण में भ्रष्टाचार पर भी प्रधानमंत्री से तीखे सवाल पूछे गए थे।

अब शहडोल में पाँच लाख के उपचार और आदिवासी हित की दावों को लेकर भी प्रधानमंत्री की गारंटी सवालों के घेरे में है। इसका कारण यह बताया जा रहा कि केंद्र सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक़ ही आदिवासी अत्याचारों में मध्यप्रदेश शीर्ष स्थान में है और बीते 18 सालों में अब तक आदिवासियों के लिए नासूर बन चुके सिकल सेल एनीमिया के उन्मूलन को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया है।

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