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पेसा में फर्जी नियुक्तियां, BJP-संघ ने हाईजेक किया सरकारी सिस्टम?

मप्र युवा कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया ने तथ्यों के साथ लगाये शिवराज सरकार पर बड़े आरोप

भोपाल (जोशहोश डेस्क) आदिवासियों के हितों के नाम पर प्रारंभ की गई पेसा कॉर्डिनेटर भर्ती योजना सवालों के घेरे में है। योजना के तहत आदिवासी बाहुल्य 89 ब्लाकों में पेसा कॉर्डिनेटर की भर्ती होनी थी लेकिन एनवक्त पर साक्षात्कार रद्द कर की गईं नियुक्ति पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस ने इसे बड़ा फर्जीवाड़ा करार देते हुए जांच की मांग की है।

शनिवार को मप्र युवा कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया ने मीडिया से चर्चा में आरोप लगाया कि एमपीकॉन के माध्यम से आउटसोर्स से गोपनीय तरीके से एक विचारधारा विशेष से जुड़े 89 ब्लाक और 20 डिस्ट्रिक कॉर्डिनेटर के पद भर दिये गये। इन चयनित लोगां को सरकारी खजाने से जहां 25 हजार रुपये मासिक वेतन ब्लॉक कॉर्डिनेटर और 45 हजार डिस्ट्रिक कॉर्डिनेटर को दिया जायेगा। ये चयनित लोग पेसा कानून का प्रचार करने के बजाय भाजपा के चुनावी बूथ मैनेजमेंट का काम करेंगे। इससे स्पष्ट है कि भाजपा सरकार ने शिक्षित बेरोजगार युवाओं के साथ छल किया है।

विक्रांत भूरिया ने कहा कि 500 से 600 रुपये प्रति आवेदक फीस भी वसूली गई। इसके बाद साक्षात्कार हेतु आवेदकों की मेरिट लिस्ट तैयार की गई और 890 आवेदकों को छांटकर फरवरी 2022 में साक्षात्कार के लिये बुलाया भी गया, किंतु बिना कारण बताये साक्षात्कार रद्द कर दिया गया।

कांग्रेस के सवाल :-

  • यदि एमपीकॉन से ही भर्ती करना था, तो सेडमैप से विज्ञापन क्यों निकाला? क्यों आवेदकों की मेरिट सूची जारी करने और साक्षात्कार पत्र भी जारी करने के बाद अपरिहार्य कारण बताकर साक्षात्कार निरस्त क्यों कर दिया?
  • आज तक वह अपरिहार्य कारण उन आवेदकों को क्यों नहीं बताया गया, जिन्हांने फीस जमा कर आवेदन किये थे? आखिर सरकार ऐसा क्या छुपा रही है? -आवेदकों से जो करोड़ों रूपये की राशि सरकार के खजाने में आई उस राशि का क्या हुआ? अभी तक उन आवेदकों की फीस क्यों नहीं लौटायी गई? भाजपा सरकार का क्या यही सुशासन है?
  • जो 119 नियुक्तियां हुई उसमें एक भी महिला को शामिल नहीं किया गया, क्या एक भी महिला इस पद के काबिल नहीं थी? क्या भाजपा महिलाओं को चुनावी वोट के लिए इस्तेमाल करती है? क्या लाड़ली बहना योजना भी भाजपा का चुनावी प्रोपेगंडा है?
  • व्यापमं / कर्मचारी चयन आयोग एवं लोक सेवा आयोग से चयन न करवाते हुये आउटसोर्सिंग एजेंसी एमपीकॉन के माध्यम से ये भर्तियां क्यों करवायी गईं? क्या उसमें आरक्षण का पालन हुआ है? एमपीकॉन द्वारा करायी गई अब तक की भर्तियों की सीबीआई से जांच करायी जाये? क्या उसमें आरक्षण के नियमों और मेरिट के नियमों का पालन हुआ अथवा नहीं हुआ?

कांग्रेस की मांग

  • गोपनीय तरीके से की गई इन भर्तियां को निरस्त कर पुनः सेडमेप के आधार पर बनी मेरिट लिस्ट के माध्यम से भर्ती प्रक्रिया को संपन्न कराया जाये? साथ ही इस प्रक्रिया में आरक्षण के तहत महिलाओं को भी अवसर प्रदान किया जाये
  • जिन लोगों के चयन हुये वे सोशल मीडिया, फेसबुक अकाउंट भाजपा और संघ विचारधारा से ही क्यों जुड़े हुये पाये जाते है।
  • ये भर्तियाँ किसके निर्देश पर और किस नियम के आधार पर की गई? इस अपारदर्शी भर्ती प्रक्रिया की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए? ताकि इस तरह के षड्यंत्र का पर्दाफाश हो सके और भविष्य में इसे दोहराया न जाये, जिससे योग्य अभ्यर्थियों के साथ छलावा न हो सके।
  • एमपी सेडमैप द्वारा 17500 अभ्यर्थियों से आवेदन शुल्क के नाम पर वसूले गयी एक करोड़ रुपये की राशि को वापस न करना गबन की श्रेणी में आता है, इसलिए ईओडब्ल्यू द्वारा सेडमैप के अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा के तहत एफआईआर दर्ज की जाये।
  • इस फर्जीवाडे़ में संलिप्त और भर्ती प्रक्रिया को अंजाम देने वाले मुख्यमंत्री के चहेते अधिकारियां पर एफआईआर दर्ज की जाये। जिन लोगों को नियुक्तियां दी गई हैं, उनकी मेरिट लिस्ट सार्वजनिक की जाये?

विक्रांत भूरिया ने सवाल किया कि वास्तव में शिवराजसिंह चौहान आदिवासी वर्ग के इतने हितेषी थे, तो पिछले 20 वर्षों तक इन पेसा रूल्स को बनाने का इंतजार अब तक क्यों किया? लड़ाई यह नहीं है कि सभी आदिवासियों को इसमें नियुक्ति दी गई। लड़ाई यह है कि मेरिट में शामिल आवेदकों को दरकिनार कर भाजपा के एजेंटों को इन नियुक्तियां दी गई।

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