ओबीसी आरक्षण पर सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों एक्टिव, 20 सितंबर को अंतिम सुनवाई
Ashok Chaturvedi
भोपाल (जोशहोश डेस्क) प्रदेश में ओबीसी वर्ग को आरक्षण को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही एक्टिव नजर आ रहे हैं। सरकार की ओर से हाईकोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पक्ष रख चुके हैं। वहीं अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी देश के नामचीन वकीलों इंद्रा जयसिंह और अभिषेक मनु सिंघवी को कोर्ट में उतारने का फैसला कर लिया है। बड़ी बात यह है कि कमलनाथ खुद इन वकीलों का खर्च उठाएंगे।
कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा के मुताबिक प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस के नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और इंद्रा जयसिंह से चर्चा की है। चर्चा के बाद यह निर्णय हुआ है कि ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिलाने सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी जाएगी। हालांकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट जाएगा या नहीं यह भविष्य की बात है।
इस मुद्दे पर 1 सितंबर को हुई सुनवाई में शिवराज सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखा था। साथ ही मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने भी दलीलें दी थीं। कोर्ट ने अंतिम सुनवाई के लिए 20 सितंबर की तारीख तय की है। कोर्ट इस दिन याचिका के पक्ष और विपक्ष दोनों को अलग-अलग सुनेगा और उसके बाद अपना फैसला देगा।
वहीं प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के मुताबिक 20 सितंबर को सुनवाई में हम एक बार फिर सभी तथ्यों को कोर्ट के सामने रखेंगे। हमें विश्वास है कि फैसला सरकार के पक्ष में आएगा। अगर कोई दिक्कत आती है तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। ओबीसी को 27% आरक्षण दिए जाने को लेकर शिवराज सरकार पूरी तरह से संकल्पित है।
गौरतलब है कि साल 2018 में कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में ओबीसी आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का निर्णय लिया था। इसे विधानसभा में भी सर्वानुमति से मंजूरी मिल गई थी। इसके बाद कुछ छात्रों ने इस हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और कोर्ट ने मामले में स्टे दे दिया था।