उमा भारती के तेवरों पर BJP सख्त, अब पार्टी लेवल पर बात-मुलाकात भी बैन!

सियासी गलियारों में चर्चा,-शिवराज सरकार के बाद उमा भारती का मोदी सरकरर और केंद्रीय नेतृत्व को निशाने पर लेना पार्टी को गुजरा नागवार

भोपाल (जोशहोश डेस्क) प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और फायरब्रांड भाजपा नेता उमा भारती के तीखे तेवर अब भाजपा को कतई रास नहीं आ रहे हैं। शिवराज सरकार के बाद उमा भारती का मोदी सरकरर और केंद्रीय नेतृत्व को निशाने पर लेना पार्टी को नागवार गुजरा है। भाजपा ने अब यह निर्णय लिया कि अब उमा भारती से पार्टी फोरम पर न तो किसी नेता की बात होगी और न ही मुलाक़ात।

बताया जा रहा है कि उमा भारती को लेकर सभी नेताओं को यह संदेश तक भी भिजवा दिया गया है कि उमा भारती के कार्यक्रम में कोई भी शामिल नहीं होगा। इसके बाद उमा भारती का अकेले पड़ना तय माना जा रहा है।

उमा भारती अब तक शराबबंदी की मांग को लेकर शिवराज सरकार की मुश्किलें ही बढ़ा रही थीं लेकिन अब उन्होंने हिमालय क्षेत्र में गंगा एवं उसकी सहयोगी नदियों पर 72 पॉवर प्रोजेक्ट बनाए जाने को लेकर मोदी सरकार को भी कटघरे मी खड़ा कर दिया है। यही नहीं उमा भारती ने भाजपा संगठन तक पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठा दिए थे।

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उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में यह तक कहा है कि हरियाणा में व्यभिचार एवं दो महिलाओं की मृत्यु के लिए आरोपित (गोपाल कांडा) के समर्थन से सरकार बनाने के फैसले का विरोध किये जाने के कारण मुझे पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से मुक्त किया गया था।

उमा ने प्रदेश में 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती से शराबबंदी को लेकर आंदोलन की चेतावनी भी दी है। इससे पहले भी उमा भोपाल की सड़कों पर उतरने का ऐलान कर चुकी हैं लेकिन बार बार अपने आंदोलन की तारीख में बदलाव किये जाने जाने से उमा की खुद भी किरकिरी हो रही है।

वहीं उमा भारती की इस बेबाकी का कारण अब भाजपा में उनका उपेक्षित होना भी बताया जा रहा है। उमा भारती राम मंदिर आंदोलन का बड़ा भगवा चेहरा थीं लेकिन इसके बाद भी राम मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्हें प्रचार से दूर रखा। यही नहीं मध्यप्रदेश की सियासत में भी अब पार्टी उमा भारती से दूर ही नजर आ रही है। कहा जा रहा है कि उमा शराबबंदी जैसे घर-घर से जुड़े मुद्दे से अपनी प्रदेश में अपनी खोई जमीन फिर हासिल करना चाहती हैं।

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