पुस्तक विमोचन: दिग्विजयी संकल्प की सिद्धि का दस्तावेज ‘नर्मदा के पथिक’

दिग्विजय सिंह की चार साल पहले की गई नर्मदा परिक्रमा पर आधारित पुस्तक 'नर्मदा के पथिक' का विमोचन।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह की चार साल पहले की गई नर्मदा परिक्रमा पर आधारित पुस्तक ‘नर्मदा के पथिक’ का गुरुवार को विमोचन हुआ। मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसरोवर ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने नर्मदा परिक्रमा से जुड़े अनुभवों को साझा किया। यात्रा में दिग्विजय सिंह के सहयोगी और सहयात्री रहे ओपी शर्मा पुस्तक के लेखक हैं। कार्यक्रम में कांग्रेस के कई नेता और आध्यात्मिक गुरु समेत शहर गणमान्यजन मौजूद रहे।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कार्यक्रम में नर्मदा तट पर रहने वालों को नमन किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि नर्मदा जी के सदा वृत की प्रथा है, लोगों के घर में खाना नहीं होगा, दाना नहीं होगा तो मांग कर लायेगा खिलायेगा लेकिन भूखा नहीं सोने देगा। उन सब के प्रति आभार बहुत बहुत धन्यवाद। पूर्व दिग्विजय सिंह ने परिक्रमा में साथ चलने वाले उन साथियों को भी याद किया जो अब इस दुनिया में नही हैं।

इस दौरान दिग्विजय सिंह ने बताया कि नर्मदा परिक्रमा के दौरान की बहुत सी ऐसी बात हैं जो लोगों को मालूम नहीं है राजनीतिज्ञों में वैचारिक मतभेद होते हैं, कटुता भी कई बार आ जाती है लेकिन मैं एक ऐसा उदाहरण आपको देने वाला हूँ जिसके बारे में आप कभी सोच भी नहीं सकते। जिन दिनों हम गुजरात से निकल रहे थे गुजरात के विधानसभा चुनाव चल रहे थे। महाराष्ट्र से गुजरात में हमने जब प्रवेश किया शाम हो गई थी । पहाड़ चढ़कर 10 बजे रात मुकाम पर पहुंचे।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह

दिग्विजय सिंह ने कहा कि अब मैं आपको बताना चाहता हूँ उन जंगलों में गुजरने के लिए न रास्ता था न ठहरने की कोई व्यवस्था थी। एक फॉरेस्ट ऑफिसर साहब मेरे पास आये और कहा कि फला-फला हूँ और आपको अश्चर्य होगा उस अधिकारी ने कहा कि अमित शाह जी के निर्देश है कि हम आपका पूरा सहयोग करें और उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा के दौरान उन्हें कोई भी दिक्कत नही आनी चाहिए। उसके बाद हमारे लिए पहाड़ काट कर रास्ते बनाये गए और परिक्रमावासियों के लिए रहने खाने की व्यवस्था की गई। दिग्विजय सिंह ने कहा कि जबकि उनकी अमित शाह जी से वन टू वन कोई मेल मुलाकात नही है लेकिन हमने उन्हें धन्यवाद भेजा और आभार व्यक्त किया। यही एक राजनीतिक समन्वय, सामंजस्य और मित्रता का प्रमाण है जिसको हम कभी कभी भूल जाते हैं।

किसने क्या कहा-

कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की धर्मपत्नी व नर्मदा परिक्रमा में सहयात्री रहीं अमृता राय ने भी अनुभव सुनाए। साथ ही पर्यावरण संरक्षण की बात की। पूर्व नेता प्रतिपक्ष एनपी प्रजापति ने अपने उद्बोधन में बरमान की महिमा का वर्णन किया। पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने दिग्विजय सिंह की तुलना महात्मा गांधी से कर कहा कि जिस तरह महात्मा गांधी जी चलते हुए कभी नही थकते थे उसी तरह दिग्विजय सिंह ने इतनी लंबी दूरी की परिक्रमा कर सभी को प्रेरणा दी। राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने अपने संबोधन में कहा कि कोई माने या न माने मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार दिग्विजय सिंह जी की नर्मदा परिक्रमा करने के बाद ही बनी।

इस तरह संकलित हुई “नर्मदा के पथिक”

परिक्रमा में दिग्विजय सिंह के साथ उनके अनेकों सहयोगी और सहयात्री भी पैदल परिक्रमा कर रहे थे उन्हीं में से एक सहयोगी व सहयात्री ओमप्रकाश शर्मा ने पहले ही दिन की परिक्रमा के बाद रोज के अनुभवों को अपने डायरी में लिखना शुरू कर दिया था। बाद में उन्होंने अपने सारे अनुभवों को एक पुस्तक की शक्ल दी। इस तरह “नर्मदा के पथिक” नामक करीब 410 पृष्ठों की किताब की रचना हुई।

दुर्गम रास्ते, 3200 किलोमीटर की दूरी

दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा 30 सितंबर 2017 को प्रारम्भ हुई थी। करीब 6 महीने में दुर्गम रास्तों से 3200 किलोमीटर की दूरी तय कर 09 अप्रैल 2018 को पूरी परिक्रमा सम्पन्न हुई थी।

पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का शुभारंभ आमंत्रित गणमान्य अतिथियों द्वारा नर्मदा जी की तस्वीर पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। होशंगाबाद से पधारे ब्राह्मणों ने नर्मदाष्टक का संगीतमय पाठ किया। “नर्मदा के पथिक” पुस्तक के लेखक ओपी शर्मा ने पुस्तक का परिचय और उससे संबंधित वृत्तांत सुनाए।

विमोचन समारोह में हिंगलाज सेना की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूज्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के प्रतिनिधि लक्ष्मीमणी शास्त्री, गुजरात के मंगलेश्वर आश्रम से ज्योति दीदी, करुणाधाम आश्रम के शांडिल्य महाराज, खंडवा के दादा धुनि दरबार के छोटे सरकार भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन करिश्मा प्रधान देवेंद्र ने किया। वहीं पुस्तक के प्रकाशक पंकज सुबीर ने सभी अतिथियों को सम्मान स्वरूप पुस्तक भेंट की।

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