कमलापति महल में कांग्रेस टीम को नहीं मिली एंट्री, क्या छुपा रही सरकार?

वन विभाग ने बाघ मूवमेंट और बाघ गणना का दिया हवाला, कांग्रेस बोली- भाजपा का चरित्र उजागर।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृहक्षेत्र में स्थित रानी कमलापति के जर्जर महल के निरीक्षण की अनुमति नहीं मिल पाई है। सरकार ने बाघ मूवमेंट का हवाला देकर कांग्रेस टीम को जाने से रोक दिया। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार महल की दुर्दशा को छुपा रही है। इसके बाद प्रदेश में आदिवासी सियासत एक बार गर्मा गई है।

गिन्नौरगढ़ स्थित गोंड रानी कमलापति का महल फॉरेस्ट रेंज में स्थित है। महल तक पहुंचने के लिए वन विभाग की अनुमति आवश्यक होती है। सीहोर कांग्रेस द्वारा 13 दिसंबर को गिन्नौरगढ़ में प्रवेश की अनुमति के लिए आवेदन वनमंडल अधिकारी औबेदुल्लागंज को सौंपा था।

वनमंडल अधिकारी से मिले जवाब में कहा गया है कि इस इलाके में बाघ का मूवमेंट है जिसके चलते विधायकों को खतरा हो सकता है। साथ ही बाघ गणना का हवाला भी देते हुए कांग्रेस के दल को गिन्नौरगढ़ जाने की अनुमति नहीं दी गई।

अनुमति न दिए जाने पर कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर महल की दुर्दशा को छिपाने का आरोप लगाया है। समिति में शामिल विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने ने गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में कहा कि सरकार महल की बदहाली को जनता के सामने लाने देना नहीं चाहती थी इसलिए कांग्रेस की टीम को अनुमति नहीं दी गई। सज्जन सिंह वर्मा ने यह भी कहा कि सरकार कितना ही प्रयास करे लेकिन कांग्रेस गोंड रानी कमलापति के महल की दुर्दशा को जनता के सामने लाकर रहेगी।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने महल के जीर्णोद्धार का संकल्प लिया है और उसे वह पूरा करके रहेगी। सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि शिवराज सरकार आदिवासियों की इस गौरवशाली धरोहर को सहेजने में पूरी तरह से असफल साबित हुई है, इसलिए वो किले पर जाने की अनुमति न देकर इस असफलता को छुपाना चाहती है और अब धरोहर रानी कमलापति के नाम पर की जा रही राजनीति से भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा पुनः उजागर हुआ है।

गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने रानी कमलापति महल की दुर्दशा को सामने लाए जाने के लिए एक समिति बनाई है जो महल का निरीक्षण कर रिपोर्ट सौंपेगी। समिति में विधायक सज्जन सिंह वर्मा, ओमप्रकाश मरकाम, हीरालाल अलावा, पांचीलाल मेढा और बलवीर सिंह तोमर शामिल हैं। इससे पहले शिवराज सरकार द्वारा हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम पर रखे जाने के बाद कांग्रेस ने कमलापति महल की दुर्दशा का हवाला देकर भाजपा पर नाम बदलने की सियासत का आरोप लगाया था। कांग्रेस ने कहा था कि भाजपा को आदिवासी हितों से कोई लेना देना नहीं है वह केवल मुद्दों को भटकाने के लिए रानी कमलापति के नाम पर सियासत कर रही है।

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