MP गजब है: CM-मंत्रियों के लिए मालामाल, संविदाकर्मियों के लिए कंगाल
प्रदेश सरकार के दोहरे रवैए के खिलाफ मध्यप्रदेश संविदा कर्मचारी-अधिकारी महासंघ ने खोला मोर्चा।
Ashok Chaturvedi
भोपाल (जोशहोश डेस्क) मुख्यमंत्री शिवराज समेत अन्य मंत्रियों के लिए नए लग्जरी चार पहिया वाहनों की खरीदी पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने से प्रदेश के संविदा कर्मचारी-अधिकारी भड़क गए हैं। संविदा कर्मचारी-अधिकारियों का कहना कि बीते तीन सालों से उनकी वेतनवृद्धि खस्ता माली हालत को कारण बता टाली जा रही है वहीं सरकार अपने मंत्रियों के नए वाहनों पर करोड़ों रुपये खर्च कर हमारे जख्मों पर नमक छिड़क रही है।
प्रदेश सरकार के इस दोहरे रवैए के खिलाफ अब मध्यप्रदेश संविदा कर्मचारी-अधिकारी महासंघ ने मोर्चा खोल दिया है। महासंघ आगामी चार मार्च को सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश की प्रतियां जलाकर अपना विरोध जताएगा। चार मार्च को अरेरा हिल्स पर महासंघ प्रदर्शन के साथ नियमितीकरण और वेतनवृद्धि की अपनी मांगों को भी दोहराएगा।
संविदा कर्मचारी-अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने जोशहोश मीडिया से बातचीत में बताया कि प्रदेश में संविदा कर्मचारी और अधिकारियों के साथ सरकार असंवेदनशील व्यवहार कर रही है। संविदा कर्मचारी शिक्षा और योग्यता के साथ टैक्निकल स्किल के मामले में नियमित कर्मचारियों से कहीं आगे हैं और ज्यादा काम कर रहे हैं। इसके बाद भी सरकार अपने नियमित कर्मचारियों की तुलना में उन्हें आधा वेतन ही दे रही है।
महासंघ के अध्यक्ष रमेश राठौर के मुताबिक प्रदेश में करीब डेढ़ लाख संविदा कर्मचारी-अधिकारी कार्यरत हैं जिनका वेतन बीते तीन सालों से नहीं बढ़ाया गया है। जबकि इन तीन वर्षो में मंहगाई लगातार बढ़ी है। ऐसे में संविदा कर्मचारियों को घर चलाना मुश्किल हो रहा है। संविदा कर्मचारी-अधिकारियों को लेकर 5 जून 2018 को जारी आदेशों का पालन भी नहीं किया जा रहा है। जबकि संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिये सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा 5 जून 2018 को जो नीति बनाई गई है, उसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि जिन कर्मचारियों को 5 साल से ज्यादा संविदा पर नौकरी करते हुए हो गए हैं, उनको नियमित किया जाना चाहिए तथा संविदा के पदों को नियमित पदों पर परिवर्तन करते हुए उन्हें समान काम, समान वेतन दिया जाना चाहिए।
प्रदेश पर नहीं आना वित्तीय भार
रमेश राठौर के मुताबिक संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण और वेतनवृद्धि से प्रदेश सरकार पर वित्तीय भार भी नहीं आना है। अधिकांश संविदा कर्मचारी केंद्र सरकार की विभाग और परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं जिसका भुगतान भी केंद्र सरकार द्वारा ही किया जाता है। इसके बाद भी प्रदेश के वित्त विभाग की हठधर्मिता के चलते संविदा कर्मचारियों और अधिकारियों को अनदेखी की जा रही है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के काफिले के लिए वित्त विभाग ने 5 फॉरच्यूनर कारों की खरीदी को मंजूरी दे दी है। इसके लिए ढाई करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। सीएम के लिए सनरूफ वाली कारें रहेंगी, वहीं 9 मंत्रियों को इनोवा क्रिस्टा मिलेंगी, जिस पर सवा दो करोड़ रुपए का खर्च आना है। इसके अलावा निगम मंडलों के अध्यक्ष-उपाध्यक्षों ने भी प्रदेश सरकार से नई कारों की मांग की है। बताया जा रहा है कि इसके बाद निगम-मंडलों ने भी एक दर्जन नई कारें खरीदी जाना तय हो चुका है।