OBC आरक्षण: ‘शिव-राज’ ने ही दे दिया कमलनाथ सरकार को क्रेडिट!
शिवराज सरकार के आदेश पर दर्ज़ तारीख को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं।
Ashok Chaturvedi
भोपाल (जोशहोश डेस्क) ओबीसी आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में अंतिम सुनवाई भले ही बाकी हो लेकिन इससे पहले ही शिवराज सरकार ने आनन- फानन में आदेश जारी कर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को सरकारी भर्तियों और परीक्षाओं में 27 प्रतिशत आरक्षण लागू कर दिया। आदेश में जिस तारीख से आरक्षण प्रभावशील बताया है उस पर सियासी गलियारों ने चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
मध्यप्रदेश शासन द्वारा गुरुवार को जारी आदेश के मुताबिक जिन परीक्षाओं और भर्तियों पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई है, फिलहाल उन पर यह आरक्षण लागू नहीं होगा। आदेश को ओबीसी आरक्षण पर श्रेय की राजनीति से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
आदेश में साफ लिखा है कि अन्य पिछड़ा वर्ग को लोक सेवाओं एवं पदों में सीधी भरती के प्रक्रम में आरक्षण का प्रतिशत 14 से बढाकर 27 प्रतिशत किया गया है जो दिनांक 8 मार्च 2019 से प्रभावशील है।
आदेश में अंकित यह दिनांक को काफी अहम माना जा रहा है और इसके मायने भी निकाले जा रहे हैं-
कांग्रेस प्रवक्ता ने भूपेंद्र गुप्ता के मुताबिक सरकार द्वारा जारी आदेश पर 8 मार्च 2019 की तारीख यह बता रही है कि यह फैसला कमलनाथ सरकार का था और कमलनाथ सरकार का फैसला इस सरकार ने शिरोधार्य किया इसके लिए सरकार को धन्यवाद। भूपेंद्र गुप्ता ने यह सवाल भी उठाया कि जब बीते 17 सालों से प्रदेश में भाजपा सरकार और ओबीसी मुख्यमंत्री रहे तो ओबीसी आरक्षण की सीमा क्यों नहीं बढ़ाई गई?
ओबीसी आरक्षण पर 20 सितंबर को हाईकोर्ट में अंतिम सुनवाई है। उससे पहले प्रदेश सरकार में कहीं कोई बड़ी भर्ती भी नहीं होना है। ऐसे में सरकार का आदेश जल्दबाजी में उठाया कदम भी करार दिया जा रहा है।
गौरतलब है कि साल 2018 में कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में ओबीसी आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का निर्णय लिया था। इसे विधानसभा में भी सर्वानुमति से मंजूरी मिल गई थी। इसके बाद कुछ छात्रों ने इस हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और कोर्ट ने मामले में स्टे दे दिया था।
इस मुद्दे पर 1 सितंबर को हुई सुनवाई में शिवराज सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखा था। साथ ही मध्यप्रदेश के महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने भी दलीलें दी थीं। कोर्ट ने अंतिम सुनवाई के लिए 20 सितंबर की तारीख तय की है। कोर्ट इस दिन याचिका के पक्ष और विपक्ष दोनों को अलग-अलग सुनेगा और उसके बाद अपना फैसला देगा।