किराये पर कैसे कुर्क संपत्ति? 500 करोड़ के RTO पर BJP की नज़र?

कांग्रेस ने उठाए सवाल-जताई आशंका, BJP कोड़ियों के भाव ले सकती है लीज पर?

भोपाल (जोशहोश डेस्क) सत्तारूढ़ भाजपा का राजधानी भोपाल स्थित प्रदेश कार्यालय हाईटेक हो रहा है। इस पर 150 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो रहे हैं। नये भवन बनने तक भाजपा ने भोपाल में आरटीओ के पुराने भवन को किराए पर ले रखा है। अब इस पर विवाद शुरू हो गया है। कांग्रेस ने आशंका जताई है कि प्राइम लोकेशन की इस संपत्ति को आने वाले दिनों में भारतीय जनता पार्टी कोड़ियों के भाव लीज पर ले सकती है?

प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने शुक्रवार को भाजपा के प्रदेश मुख्यालय के नये भवन बनने तक भोपाल आरटीओ के पुराने कार्यालय हेतु करीब 68 हजार रुपए मासिक किराये पर ली गई शासकीय संपत्ति पर कड़ा एतराज जताया है। उन्होंने कहा कि जब पांच सौ करोड़ रुपए की इस संपत्ति को लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग बेचने वाला था, इसकी प्रक्रिया भी पूरी की जा चुकी थी, तब भाजपा कार्यालय को किराये पर दिये जाने हेतु इसे मौखिक रूप से क्यों रोक दिया गया?

केके मिश्रा ने कहा कि किसी भी शासकीय संपत्ति को किराये पर दिये जाने हेतु केबिनेट में प्रस्ताव पारित होने के बाद ही उस संपत्ति को किराये पर लिया जा सकता है। उन्होंने सवाल उठाया कि आरटीओ के पुराने भवन को किराए पर समय क्या इस नियम का पालन किया गया? केके मिश्रा ने यह आशंका भी जाहिर की है कि प्राईम लोकेशन की इस संपत्ति को आने वाले दिनों में भारतीय जनता पार्टी कोड़ियों के भाव लीज पर भी ले सकती है?

केके मिश्रा का कहना है कि पुराने आरटीओ कार्यालय स्थित 8 हजार वर्गमीटर में फैली इस संपत्ति का 8441 वर्गफीट हिस्सा परिवहन आयुक्त ने भाजपा को किराये पर दिया है। इसके लिए किसी भी तरह के दावे-आपत्ति व विज्ञापन प्रक्रिया की नीति भी नहीं अपनायी गई। लिहाजा,अवैध तरीके से सत्तारूढ़ दल के मुख्यालय हेतु इस संपत्ति को किराये पर क्यों और किसलिए दिया गया।

उनका आरोप था कि आर्थिक रूप से कंगाल सरकार जो करीब 3 लाख करोड़ के कर्ज में डूबी हुई है वह कई बेशकीमती जमीनें अपनी माली हालत सुधारने के लिए ओने-पोने दामों पर अपने ही लोगों को बेच कर उन्हें उपकृत कर अपना खजाना भरने की कोशिश कर रही है। यदि प्राइम लोकेशन की इस बेशकीमती भूमि को अपने ही स्वीकृत प्रस्ताव अनुसार बेचती तो सरकारी खजाने में पांच सौ करोड़ रुपये जमा हो सकते थे?

मिश्रा ने कहा कि कोर्ट द्वारा कुर्क की गई इस भूमि को बेचकर इससे होने वाली प्राप्त आय को बंद हो चुके सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों के बकाया चुकाने हेतु प्रावधान भी था, किंतु किसी राजनैतिक दल को नियम विरूद्ध ऐसी संपत्ति को किराये पर दे देना सरकार की नीयत पर शंका उत्पन्न कर रहा है। लिहाजा, इस अवैध करार को अविलंब निरस्त किया जाये।

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