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मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री शुक्ल केवल दो महीने ही पद पर रहे

नए मध्यप्रदेश में रविशंकर शुक्ल दो महीने ही मुख्यमंत्री रह पाए थे और 31 दिसम्बर 1956 को उनका दिल्ली में देहांत हो गया।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) आज स्वतंत्रता सेनानी और अविभाजित मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल (Ravishankar Shukla) की पुण्यतिथि है। सागर में जन्मे रविशंकर शुक्ल मात्र दो माह ही मुख्यमंत्री रह पाए। 1 नवंबर 1956 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 31 दिसंबर 1956 को उनका निधन हो गया।

1898 में अमरावती में हुए कांग्रेस के 13वें अधिवेशन में पंडित शुक्ल ने पहली बार अपने शिक्षक के साथ भाग लिया था और उसी के बाद से वे आजादी के आंदोलन में शामिल हो गए। पहली बार वे 1946 मे आजादी के पहले पुराने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने । उसके बाद वे नए मध्यप्रदेश के 1956 मे मुख्यमंत्री बने । चार राज्यों के विलय के दौरान चूंकि वे सबसे बड़े राज्य और सबसे सीनियर थे इसलिए नए मध्यप्रदेश के सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री वे बने ।

रविशंकर शुक्ल ने अमावस्या की रात ली थी शपथ

एक नवंबर 1956 को जिस समय मध्यप्रदेश का जन्म हुआ, वह अमावस्या की रात थी। राज्यपाल डॉ भोगराजू पट्टाभि सीतारमैया, जब आधी रात को पहले मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल को लालकोठी कहे जाने वाले,  आज के राजभवन में, शपथ दिला रहे थे तभी किसी ने याद दिलाया कि ‘‘आज तो अमावस्या की रात है’’।

शपथ ले रहे शुक्ल पहले तो थोड़ा असहज हुए, फिर बोले ‘‘पर इस अंधेरे को मिटाने के लिए हजारों दिये तो जल रहे हैं’’। वह शपथ वाली रात दीपावली की भी रात थी। अमावस्या की रात का कुछ असर था या नहीं, कौन जाने। इसे विधि का विधान ही कहा जायेगा कि उस दिन के ठीक दो महीने बाद 31 दिसम्बर 1956 को रविशंकर शुक्ल चल बसे, वह दीपावली उनकी आखिरी दीपावली बन गई।

एक नवंबर को शपथ वाले दिन ही 80 साल के शुक्ल, उसी शाम को पुराने मध्यप्रदेश की राजधानी नागपुर से भोपाल, जी.टी. एक्सप्रेस के प्रथम श्रेणी के कूपे में बैठकर पहुँचे थे। उनका जगह-जगह पर स्वागत हुआ, इटारसी रेलवे स्टेशन पर शुक्ल का ऐतिहासिक अभिनंदन किया गया। जब वे भोपाल पहुँचे, तो स्टेशन से उन्हें जुलूस की शक्ल में ले जाया गया।

नागपुर राजधानी में रविशंकर शुक्ल सन् 1946 से मध्य प्रान्त के मुख्यमंत्री के रूप में रहे थे। यह प्रदेश जिसमें विदर्भ के कई जिले शामिल थे, आजादी के पहले सेंट्रल प्रॉविन्स और बरार के नाम से जाना जाता था। 1 नबंवर 1956 को ही शुक्ल के शपथ लेने के पहले राज्यपाल सीतारमैया को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हिदायतउल्ला ने शपथ दिलाई। इसके पहले सीतारमैया, रविशंकर शुक्ल के साथ नागपुर में भी राज्यपाल थे। पहले मंत्रिमंडल में बारह कैबिनेट और ग्यारह उपमंत्री थे।

नए मध्यप्रदेश में रविशंकर शुक्ल दो महीने ही मुख्यमंत्री रह पाए थे और 31 दिसम्बर 1956 को उनका दिल्ली में देहांत हो गया। वे दिल्ली 1957 में होने वाले आम चुनावों में प्रत्याशियों की लिस्ट पर मुहर लगवाने गए थे। वहां जब उनसे कहा गया कि पार्टी उन्हें राज्यपाल बनाकर भेजना चाहती है तथा मध्यप्रदेश में नया नेतृत्व बैठाने पर विचार कर रही है तो उन्हें झटका लगा। यह आघात इतना बड़ा था कि उनकी मृत्यु हो गई।

(साभार – राजनीतिनामा मध्यप्रदेश)

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