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क्या अपने कार्यकाल की आखिरी पारी खेल रहे CM शिवराज?

अमित शाह ने सीएम शिवराज को फिर मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर पूछे गए सवाल पर दिया गोल-मोल जवाब

भोपाल (जोशहोश डेस्क) मध्यप्रदेश में क्या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने कार्यकाल की आखिरी पारी खेल रहे हैं? यह सवाल रविवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के बाद सियासी गलियारों की चर्चाओं में प्रमुखता से पूछा जा रहा है। कांग्रेस ने भी अमित शाह के भोपाल और ग्वालियर दौरे को इस सवाल से जोड़ा है।

सीएम शिवराज के भविष्य को लेकर सुगबुगाहटों का दौर पहले से ही चल रहा है। रविवार को अमित शाह ने भाजपा की जीत पर सीएम शिवराज को फिर मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर पूछे गए सवाल पर जो गोल मोल जवाब दिया उसके बाद तो सियासी पंडितों में शिवराज के भविष्य को लेकर चर्चाओं का दौर ही चल पड़ा।

इधर कांग्रेस ने भी मध्यप्रदेश चुनाव की कमान अमित शाह द्वारा संभालने को लेकर कमोबेश ऐसी ही बात कही है। राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने मीडिया से चर्चा में भी इसका उल्लेख किया। विवेक तन्खा ने दो टूक कहा प्रदेश सरकार का रिपोर्ट कार्ड केंद्रीय गृहमंत्री द्वारा पेश किये जाने का यही मतलब है कि भाजपा को अब शिवराज पर भरोसा नहीं रहा। उन्होंने कहा कि अब अमित शाह ने यह भी साफ कर दिया है कि भाजपा यह चुनाव शिवराज के चेहरे पर नहीं लड़ रही है।

अमित शाह के जवाब के बाद कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने भी दोहराया कि जनता का विश्वास खो चुके शिवराज सिंह जी पर तो अब पार्टी को भी भरोसा नहीं रहा। हम नहीं कह रहे हैं, रिपोर्ट कार्ड जारी करते हुए खुद अमित शाह ने शिवराज जी के लिए भविष्य के इशारे कर दिए हैं।

बता दें कि रविवार को केंद्रीय गृहमंत्री शाह से पूछा गया था कि बीजेपी को बहुमत मिलने पर अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? इस सवाल पर अमित शाह ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान अभी मुख्यमंत्री हैं, विधानसभा चुनाव के बाद क्या करना है, किसे जिम्‍मेदारी देनी है, इसके बारे में पार्टी को तय करना है। उन्होंने पत्रकारों की तरफ इशारा करते हुए यहाँ तक कहा कि पार्टी का काम पार्टी को करने दीजिए, आप मत कीजिए।

इधर यह पहले ही कहा जा रहा है कि मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार के खिलाफ जबर्दस्त एंटीइन्कम्बेंसी को देखते हुए ही इस भाजपा ने पूरे चुनावी अभियान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर केंद्रित करने की रणनीति बनाई है। पार्टी का थीम सांग ‘MP के मन में मोदी’ भी यही इशारा कर रहा है कि भाजपा आलाकमान प्रदेश स्तर के चेहरों को आगे रखकर रिस्क लेने के मूड में नहीं है। यही कारण है कि पूरे प्रचार अभियान ओर रणनीति को आलाकमान ने अपने हाथों में ले लिया है।

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