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मनावर में बोले दिग्विजय-किसानों की शहादत का हो सम्मान, दी जाए राहत राशि

जन जागरण अभियान के अंतर्गत मनावर में आयोजित प्रभात फेरी में शामिल हुए दिग्विजय सिंह शुक्रवार सुबह।कृषि कानून वापसी के बाद रखी तीन मांग।

देवास (जोशहोश डेस्क) कृषि कानूनों की वापसी किसान आंदोलन की विजय है, लोकतंत्र की विजय है। आंदोलन के दौरान जो किसान शहीद हुए हैं उनकी शहादत को पूरे सम्मान के साथ स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार को उनके परिजनों को राहत राशि देना चाहिए। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मनावर में कही।

दिग्विजय सिंह शुक्रवार सुबह जन जागरण अभियान के अंतर्गत मनावर में आयोजित प्रभात फेरी में शामिल हुए। यहाँ उन्होंने महंगाई और केंद्र सरकार की जान विरोधी नीतियों को लेकर जनता से संवाद किया। उन्होंने पेट्रोल डीजल पर केंद्र सरकार द्वारा ली जा एक्ससाइज़ ड्यूटी से जनता को अवगत कराया और ऑइल बांड को लेकर किये जा रहे दुष्प्रचार की हकीकत भी भी बताई।

कृषि कानूनों की वापसी को लेकर दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैं उन बहादुर किसानों को बधाई देता हूं जो आज 1 साल से धरने पर बैठे थे। उन शहीदों को श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने इस कानून के विरोध में संघर्ष करते हुए अपनी जान दी। देश के किसानों ने एक बार फिर से जता दिया कि उनसे बिना बिना पूछे कोई भी अगर आप कानून लाएंगे तो किसान अपना हित समझते हैं आप उन्हें मूर्ख नही बना सकते।

उन्होंने कहा कि अब मेरी प्रधानमंत्री जी से तीन मांगे हैं। पहली यह कि आने वाले सेशन में वे इस कानून को निरस्त करने के लिए कानून लाएं ताकि उस पर पार्लियामेंट की सील लग सके। दूसरी यह कि इस मामले में कानूनन स्वरूप देने के लिए वे सभी राजनीतिक दल, सभी किसानों के संगठनों के साथ चर्चा करें और उसके बाद आने वाले सत्र में किसानों के पक्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए कानून लाएं। साथ ही आंदोलन में किसान जो शहीद हुए हैं पूरे सम्मान के साथ उनकी शहादत को स्वीकार करते हुए उनके परिजनों को राहत राशि दी जाए।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि नरेंद्र मोदी जी और भारतीय जनता पार्टी शायद किसानों की ताकत नहीं समझती। कांग्रेस जब भूमि अधिग्रहण अधिनियम लाए भाजपा ने उसका विरोध किया और नरेंद्र मोदी जी ने उसके खिलाफ ऑर्डिनेंस निकाला था लेकिन जब किसानों ने विरोध किया तब मजबूरी में उसे स्वीकार करना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि राज्य शासन इसका पालन नहीं कर रहे हैं मध्यप्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र में जो ज़मीनें अधिग्रहित की जाती हैं उसका सरकारी रेट से चार गुना मुआवजा देना चाहिए, वह नहीं दिया जाता है।

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