इंदौर को भिखारी मुक्त शहर बनाने की कवायद

इंदौर (जोशहोश डेस्क) मध्यप्रदेश की व्यापारिक राजधानी इंदौर को भिक्षुक मुक्त शहर बनाने की कवायद तेज हो गई है। यहां भिक्षुकों के पुनर्वास कैसे हो, समाज से जुड़े लोग इसमें किस तरह से सहयोग करें, इसके भी प्रयास शुरु हो गए हैं। बता दें कि पिछली कड़कड़ाती ठंड के दौरान शहर की सड़कों पर डेरा डाले गरीब, असहाय बुजुर्गों के साथ नगर निगम के कर्मचारियों ने अमानवीय बर्ताव करते हुए उन्हें कचरा गाड़ी में भरकर शहर के बाहर छोड़ने की कोशिश की थी, मगर कुछ लोगों के विरोध के चलते वे ऐसा नहीं कर पाए थे। उसके बाद प्रशासन ने बुजुर्ग, असहाय लोगों की मदद की पहल की और अब भिक्षुकों के लिए पुनर्वास के प्रयास हो रहे हैं।

इंदौर के जिलाधिकारी मनीष सिंह ने भिक्षुक पुनर्वास अभियान के तहत शहर में रहने वाले बेसहारा व्यक्तियों एवं भिक्षुकों के पुनर्वास के लिये अधिकारियों के साथ मंगलवार को बैठक की।

इस दौरान कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने के लिये भिक्षुक पुनर्वास केन्द्र संचालित किया जायेगा। इस केंद्र में भिक्षावृत्ति करने वाले लागों की समुचित व्यवस्था की जायेगी। जिसमें उनके स्वास्थ्य परीक्षण, भोजन और कपड़ों आदि की व्यवस्था शामिल रहेगी। इस केंद्र में भिक्षुकों की देखभाल कर उन्हें भिक्षावृत्ति के व्यापार से बाहर निकालने का प्रयास किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि भिक्षुक मुक्त शहर बनाने का यह प्रयास सिर्फ जन-भागीदारी के साथ ही सफल बनाया जा सकता है।इसलिए स्वयं सेवी सगठन सुझाव दें और आगे बढ़कर प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे इस अभियान में सहयोग प्रदान करें।

उन्होंने कहा कि स्वयं सेवी संगठनों के माध्यम से हमें ऐसे स्वयंसेवकों एवं व्यक्तियों की जरूरत है, जो पुनर्वास केन्द्र में आरंभिक चरण में मानवीयता एवं संवेदनशीलता के साथ भिक्षुकों एवं बेसहरा व्यक्तियों की देखभाल कर सकें। देख-भाल के साथ-साथ स्वयंसेवी संगठन भिक्षावृत्ति स्थलों का चिन्हांकन तथा शहर में भिक्षुकों का सर्वे, कौशल प्रशिक्षण, कार्य क्षमता का आकलन कराने के कार्य में भी सहयोग प्रदान कर सकते हैं।

(इस खबर के इनपुट आईएएनएस से लिए गए हैं।)

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