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रायसेन: जान पर फिर भारी क़र्ज़, किसान ने अपने ही खेत में फांसी लगाकर दी जान

प्रदेश में थमता नहीं दिख रहा किसान आत्महत्या का सिलसिला, एक और किसान की क़र्ज़ ने ली जान।

रायसेन (जोशहोश डेस्क) क़र्ज़ का बोझ एक और किसान की जान पर भारी पड़ा। रायसेन में बैंक, सोसाइटी और बिजली बिलों से कर्ज तले दबे एक किसान ने अपने खेत पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। परिजनों के मुताबिक किसान को बैंक द्वारा लगातार नोटिस दिया जा रहा था।

घटना रायसेन जिले के जमुनिया गाँव की है। किसान गोरेलाल लोधी शुक्रवार शाम घर से खेत पर जाने का कहकर निकले थे। खेत पहुंचने के बाद 65 वर्षीय गोरेलाल लोधी ने पेड़ में फंदा डालकर फांसी लगा ली। सुबह किसान का शव पेड़ से लटकता मिला। दीवानगंज पुलिस ने परिजनों के बयान दर्ज कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

किसान के पास करीब 10 एकड़ जमीन थी और उस पर करीब 8 लाख रुपए कर्ज था। मृतक किसान के बेटे के मुताबिक उसके पिता पर बिजली बिल, सोसाइटी और बैंक का 8 लाख रुपए कर्ज था। बैंक द्वारा वसूली के लिए नोटिस दिया जा रहा था, इसी के चलते वे परेशान थे।

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गौरतलब है कि प्रदेश में किसान आत्महत्या का सिलसिला थमता दिखाई नहीं दे रहा है। सात दिनों में क़र्ज़ से त्रस्त आकर दूसरे किसान ने जान गवाईं है। इसी महीने की शुरुआत में रविवार को खरगोन के मलगांव में एक किसान से खेत में सल्फास खाकर जान दे दी थी। किसान को बैंक कर्ज जमा करने के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था।

किसान- खेतिहर मजदूरों की आत्महत्या में MP नंबर 4 पर

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों मुताबिक भी किसानों और कृषि मजदूरों की आत्महत्या रुकने की बजाय बढ़ रही है। देश में 2020 के दौरान कृषि क्षेत्र में 10,677 लोगों की आत्महत्या की, इसमें 5,579 किसान और 5,098 खेतिहर मजदूरों की आत्महत्याएं शामिल हैं। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 4,006 किसान या खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की। इसके बाद कर्नाटक (2,016), आंध्र प्रदेश (889), मध्य प्रदेश (735) और छत्तीसगढ़ (537) में कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों ने आत्महत्या की है। ये राज्य 2019 में भी इस मामले में दूसरे राज्यों से आगे थे।

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