मामा का शासन: झूठी घोषणाएं, खोखले विज्ञापन, बड़बोले भाषण… JV का तीखा हमला

आंकड़ों के साथ जयवर्धन सिंह की दो टूक, शिवराज सरकार के दावे और हकीकत में जमीन आसमान का अंतर

भोपाल (जोशहोश डेस्क) शिवराज सरकार एक मार्च को विधानसभा में बजट पेश करेगी। बजट से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को सदन के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। वहीं बजट से एक दिन पूर्व कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने बीते साल के बजट के आंकड़े प्रस्तुत कर शिवराज सरकार पर तीखा हमला बोला।

जयवर्धन सिंह ने आंकड़ों का हवाला देते हुए दो टूक कहा कि शिवराज सरकार के दावे और हकीकत में जमीन आसमान का अंतर है। उन्होंने यहाँ तक कहा कि मामा के शासन का अर्थ है झूठी घोषणाएं, खोखले विज्ञापन और बड़बोले भाषण।

जयवर्धन सिंह ने मंगलवार को मीडिया से चर्चा में कहा कि केग द्वारा 6 दिसम्बर 2022 को किये गए एप्रोपिएशन अकाउंट के मूल्यांकन से भाजपा सरकार के तथाकथित विकास की ढोल की पोल खुल गई है। मप्र की भाजपा सरकार ने मप्र के विकास के लिए अपने बजट में (सप्लीमेंट्री सहित) 2 लाख 82 हजार 779.6 करोड़ रूपये से प्रदेश के विकास का ढिंढ़ोरा पीटा था। रास्ते चलते शिवराज जी झूठी घोषणाएं करते थे और वक्त-बे-वक्त योजनाओं के नारियल फोड़ देते थे। मगर केग के विनियोग लेखा में चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इस उपरोक्त बजट में से शिवराज सरकार ने 2021-22 में 39 हजार 786.2 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किये, जिसमें से रेवेन्यु अकाउंट के हिस्से में 23 हजार 2 करोड़ और केपिटल अकाउंट में 16 हजार 784 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किये।

जयवर्धन सिंह ने आगे कहा कि रेवेन्यु अकाउंट में इतनी बड़ी राशि खर्च नहीं करने का अर्थ यह हुआ कि गरीबों के विकास की योजनाओं पर सीधा आघात किया गया, साथ ही केपिटल अकाउंट में खर्च नहीं करने का अर्थ है कि प्रदेश की अधोसंरचना विकास के साथ धोखा किया गया। किसान कल्याण पशुपालन, मछली पालन डेयरी विभागां के लगभग 831 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किये गये। इसी प्रकार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के 961.24 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किये। इसी प्रकार पीएचई के 1233.70 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किये।

इसी प्रकार शहरी विकास और आवास मंत्रालय के 1161.56 करोड़ रुपये जल संसाधन विभाग के 991.6 करोड़ रुपये पीडब्ल्यूडी के 1133.23 करोड़ रुपये स्कूली शिक्षा (प्रायमरी एज्युकेशन सहित) के 3784.53 करोड़ रुपये, ग्रामीण विकास के 1879.76 करोड़ रुपये,आदिवासी विकास विभाग के 2520.7 करोड़ रुपये, उच्च शिक्षा 900 करोड़ रुपये, अनुसूचित जाति विकास 312.5 करोड़ रुपये, आध्यात्मिक विभाग 77 करोड़ रुपये, महिला एवं बाल विकास विभाग 610.8 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किये गये।

केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार पर सवाल उठाते हुए जयवर्धन सिंह ने बताया कि दोनों सरकारें प्रदेश के विकास को किस प्रकार गर्त में डाल रही है, इसे लेकर चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं में 47 हजार 458 करोड़ रुपये वर्ष 2022-23 में खर्च किये जाने थे, जिसमें से केंद्र सरकार द्वारा 32 हजार 556.34 करोड़ रुपये प्रदेश को मिलने थे और राज्य सरकार द्वारा 14 हजार 901.7 करोड़ रुपये खर्च किये जाने थे, मगर भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार ने प्रदेश के साथ इतना बड़ा धोखा किया कि 31 जनवरी 2023 तक केंद्र सरकार द्वारा अपने हिस्से में से सिर्फ 16 हजार 792 करोड़ रुपये ही जारी किये। अर्थात लगभग 50 प्रतिशत राशि वर्ष अंत होने के दो माह पहले तक भी नहीं भेजी। केंद्र की ग्रांट नहीं मिलने का आशय यह है कि राज्य सरकार भी अपने हिस्से की अनुपातिक राशि खर्च नहीं करती। अर्थात एक अनुमान के तौर पर इस राशि में से लगभग 22 से 23 हजार करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किये गये।

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