जानिए क्या है अलग विंध्य प्रदेश की मांग का ज्योतिरादित्य सिंधिया से कनेक्शन?

विंध्य प्रदेश की मांग फिर सुर्खियों में है। मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी की सक्रियता का कारण ज्योतिरादित्य सिंधिया को माना जा रहा है।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) सूबे में अलग विंध्य प्रदेश (Vindhya Pradesh) की मांग एक बार फिर सुर्खियों में है। मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी (Narayan Tripathi) विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर काफी सक्रिय हैं। नारायण त्रिपाठी की सक्रियता का कारण भाजपा के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya M. Scindia) के समर्थक श्रीकांत चतुर्वेदी को माना जा रहा है। जो बीते सितंबर में कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा के साथ हो लिए हैं।

नारायण त्रिपाठी रीवा, सतना और आसपास के इलाके में लगातार सेमीनार और बैठक कर विंध्य प्रदेश की मांग को बुलंद कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने लगभग तीन सौ कारों के साथ कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय सिंह के गृहक्षेत्र चुरहट में विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर शक्ति प्रदर्शन भी किया था।

हालांकि नारायण त्रिपाठी की विंध्य प्रदेश के लिए सक्रियता भारतीय जनता पार्टी को रास नहीं आ रही है।पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने इस संदर्भ में नारायण त्रिपाठी को तलब कर हिदायत भी दी थी इसके बाद भी नारायण त्रिपाठी टस से मस नहीं हो रहे हैं।

इसका कारण ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक श्रीकांत चतुर्वेदी को माना जा रहा है। श्रीकांत चतुर्वेदी कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं। बड़ी बात यह है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में श्रीकांत चतुर्वेदी ने कांग्रेस के टिकट पर नारायण त्रिपाठी को कड़ी टक्कर दी थी। नारायण त्रिपाठी यह चुनाव करीब तीन हजार वोटों के अंतर से ही जीत पाए थे।

अब यह माना जा रहा है कि श्रीकांत चतुर्वेदी के भाजपा में आने से नारायण त्रिपाठी के टिकट को खतरा है। 2023 के विधानसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया मैहर विधानसभा सीट पर श्रीकांत चतुर्वेदी के लिए अड़ सकते हैं। ऐसे में नारायण त्रिपाठी के लिए मुश्किल होना स्वभाविक है।

भाजपा के भरोसेमंद भी नहीं

नारायण त्रिपाठी की विश्वसनीयता को लेकर भाजपा भी आशवस्त नहीं है। नारायण त्रिपाठी पार्टी लाइन के विरुद्ध जाकर पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार के पक्ष में वोट भी कर चुके हैं। सतना के सांसद गणेश सिंह की उनसे नाराजगी भी जगजाहिर है। इस तरह भाजपा में उनकी स्थिति लगतार कमजोर हुई है। अब विंध्य प्रदेश की मांग नारायण त्रिपाठी के कद-पद को बरकरार रखने की कवायद मानी जा रही है। जिसका सीधा कारण सिंधिया समर्थक श्रीकांत चतुर्वेदी की बीजेपी में एंट्री को माना जा रहा है।

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