गुजरात से क्यों नहीं मिले शेर? घोटालों से ध्यान हटाने सरकार का ‘चीता इवेंट’

कूनो में आयोजित कार्यक्रम पर कमलनाथ ने उठाये सवाल, पीसीसी डेलीगेट्स को भी किया संबोधित

भोपाल (जोशहोश डेस्क) नामीबिया से लाये चीतों को प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में शनिवार को छोड़ दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जनदिन पर कूनो आकर चीतों को पिंजरे से छोड़ा। वहीं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस इवेंट को मध्यप्रदेश में निरंतर सामने आ रहे घोटालों और भ्रष्टाचार के मामलों से ध्यान हटाने का प्रयास बताया साथ ही गुजरात से कूनो के लिए शेर न मिल पाने पर सवाल उठाये।

कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सरकार ने यह “चीता इवेंट” आयोजित किया है। यदि सरकार को चीते ही छोड़ना थे तो साधारण तरीक़े से भी छोड़े जा सकते थे लेकिन तीन लाख करोड़ के कर्जदार प्रदेश में चीता छोड़ने के लिए भी लाखों-करोड़ों खर्च कर एक ‘मेगा इवेंट’ आयोजित किया गया।

कमलनाथ ने श्योपुर में कुपोषण की स्थिति को भी इस कार्यक्रम से जोड़ा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के जिस श्यौपुर जिले के कूनो अभयारण्य में यह कार्यक्रम आयोजित हो रहा है ,वह श्यौपुर जिला देश में कुपोषण के मामले में वर्षों से शीर्ष पर है। मध्यप्रदेश में कुपोषण के बढ़ते आँकड़ो के बीच पोषण आहार घोटाला भी सामने आया है लेकिन सरकार की चिंता उस जिले से कुपोषण दूर करने की नहीं है ,उसकी चिंता तो वहां करोड़ों खर्च कर मेगा इवेंट करने में है।

कमलनाथ ने बताया कि भारत में चीते लाने की परियोजना की परिकल्पना मनमोहन सिंह सरकार के समय बनी थी। तत्कालीन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश के कार्यकाल में वर्ष 2008-09 में इसका प्रोजेक्ट तैयार हुआ था और इसकी प्रक्रिया को प्रारंभ किया गया था।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में इस विषय पर चर्चा हुई थी और नामीबिया से बातचीत प्रारंभ हुई थी। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2020 में इसकी अनुमति दी लेकिन भाजपा की तो शुरु से ही आदत है कि वह कांग्रेस सरकारों के समय किए गए कामों का भी झूठा श्रेय खुद लेती है।

कूनो-पालपुर अभयारण्य में गुजरात के गिर राष्ट्रीय पार्क से एशियाई शेरों को लाने को लेकर भी कमलनाथ ने सवाल उठाये। उन्होंने पूछा कि प्रदेश सरकार वर्षों से सिर्फ़ दावे ही कर रही है। करीब 9 वर्ष पूर्व सुप्रीम कोर्ट भी गुजरात सरकार को यह शेर देने का आदेश दे चुका है लेकिन मध्य प्रदेश सरकार आज तक गुजरात से इन शेरों को नहीं ला सकी है , इसके पीछे शिवराज सरकार की इच्छाशक्ति का अभाव है और इसके पीछे की सारी सच्चाई व वास्तविकता भी सभी को भली भाँति पता हैं। इस मुद्दे से ध्यान हटाने के भी यह चीता इवेंट किया जा रहा है।

कमलनाथ ने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश सरकार ने इस अभ्यारण से कई गांवो के सेकडो परिवारों का विस्थापन भी किया, करोड़ों रुपए खर्च भी किये लेकिन गुजरात सरकार की ज़िद के कारण आज तक यह शेर मध्यप्रदेश को नहीं मिल पाये है। जब मध्य प्रदेश में हमारी सरकार आई तो हमने दमदारी से व पुरजोर ढंग से मध्यप्रदेश के इस पक्ष को रखा और इस दिशा में प्रयास भी शुरू किए लेकिन हमारी सरकार बीच में गिरा दी गई।

भाजपा के पास केवल पैसा- पुलिस और प्रशासन

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार को पीसीसी डेलीगेट को भी संबोधित किया। मानस भवन में आयोजित कार्यक्रम में कमलनाथ ने कहा कि हमारा मुकाबला बीजेपी से है, बीजेपी की नीतियों से है, और उसके संगठन से हैं। केवल 12 महीने बचे हैं, आप लोग अभी से काम पर लग जाये। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास केवल पैसा, पुलिस और प्रशासन बचा है, यह वे भाजपा भी जानती है और जनता भी जानती है। कांग्रेसजन सीना ठोक कर मैदान में जाये और कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों को जनता को बतायें।

कांग्रेस के मप्र प्रभारी जेपी अग्रवाल ने भी प्रदेश कांग्रेस प्रतिनिधियों की बैठक को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव का पूरा एक साल बचा है, इस एक साल में आप लोगों से पूरी नजदीकी से जुड़कर पार्टी संगठन को मजबूत करूंगा। प्रदेश के हर जिले में जाऊंगा और सभी से एक-एक कर मिलूंगा। कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके कारण हमारी सरकार गिरी, ऐसे लोगों को जयचंद का नाम दिया गया है। हर राजनीतिक पार्टियों के सामने चुनौतियां आती हैं, लेकिन इसका हम सबको डटकर मुकाबला करना है।

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