MP

सेंचुरी डेनिम: 13 जुलाई तक VRS लेने का फरमान, विरोध में धरने पर मेधा पाटकर

मेधा पाटकर मंगलवार को धरना स्थल पर पहुँची और श्रमिकों के साथ 'वीआरएस नहीं, रोजगार चाहिए' का नारा बुलंद किया।

खरगोन (जोशहोश डेस्क) सेंचुरी डेनिम इकाई के श्रमिकों के 44 महीने से चल रहे आंदोलन का सामाजिक कार्यकर्ता  मेधा पाटकर ने भी समर्थन किया है। मेधा पाटकर मंगलवार को धरना स्थल पर पहुँची और श्रमिकों के साथ ‘वीआरएस नहीं, रोजगार चाहिए’ का नारा बुलंद किया। कारखाना प्रबंधन ने सभी श्रमिकों और कर्मचारियों को 13 जुलाई 2021 तक वीआरएस लेने को कहा है, जिसका व्यापक विरोध किया जा रहा है।

सेंचुरी डेनिम इकाई के श्रमिकों द्वारा 44 महीने से मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में एबी रोड पर ग्राम  सतराटी  में आंदोलन किया जा रहा है। 29 जून 2021 को कारखाना प्रबंधक द्वारा श्रमिक एवं कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के संबंध में पत्र लिखकर कहा गया कि 13 जुलाई 2021  तक सभी श्रमिक एवं कर्मचारी वीआरएस ले लें। आंदोलनकारियों के मुताबिकसेंचुरी डेनिम का यह निर्णय गैरकानूनी है तथा 90 प्रतिशत श्रमिकों को मंजूर नही है।

एक हजार श्रमिकों के रोजगार पर संकट

आंदोलन के संयोजक राज कुमार सिन्हा के मुताबिक सेंचुरी टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज द्वारा लॉकडाउन के पहले 680 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया गया, 2019-20 में 360 करोड रुपए मुनाफा कमाया। उसके बावजूद एक हजार श्रमिकों के रोजगार को खत्म करने पर कंपनी आमादा है।कंपनी के फैसले के खिलाफ 9 जुलाई 2021 को सेंचुरी भवन (बिरला भवन ) मुंबई पर कर्मचारियों द्वारा प्रदर्शन किया गया। जहां प्रबंधन के इशारे पर मेधा पाटकर और साथियों को गिरफ्तार किए कर लिया गया था।

जमीन हथियाने का मामला

जनता श्रमिक संघ की याचिका के चलते औद्योगिक ट्रिब्यूनल, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर मिल बंद होने के बावजूद श्रमिकों को वेतन दिया जा रहा है। आंदोलन कर रहे श्रमिकों के मुताबिक कुमार मंगलम बिड़ला समूह ने मिल बेचने का फर्जी विक्रय पत्र बनाकर जो धोखा किया था वह ट्रिब्यूनल और हाई कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया। कंपनी ने जिस मंजीत सिंह को मिल बेच रही है उन्हें मिल चलाने का कोई अनुभव भी नहीं है। ऐसे में यह जमीन हथियाने का मामला साबित हो रहा है।

एटक और इंटक द्वारा बीएमएस के साथ मिलकर (जिनके सेंचुरी डेनिम मिल में 10% सदस्य भी नहीं है) द्वारा वीआरएस लेने का समझौता किया गया है जिसे 90 प्रतिशत से अधिक श्रमिकों एवं कर्मचारियों द्वारा नकार दिया है। राज कुमार सिन्हा ने बताया कि कानून के मुताबिक प्रबंधन को राज्य सरकार से सहमति लेना आवश्यक है। बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ मध्यप्रदेश सरकार से मांग करता है कि वह श्रमिकों के रोजगार को बचाने के लिए प्रबंधन की 1000 श्रमिकों और कर्मचारियों को बेरोजगार करने वाली श्रमिक विरोधी कार्यवाही पर रोक लगाए।

Back to top button