सागर में मंत्री गोविंद राजपूत के पद-कद पर भारी पड़े युवा सरबजीत

युवा सरबजीत सिंह लोधी के हाथों अरविंद सिंह राजपूत टिंकू राजा की हार को सागर की सियासत का बड़ा उलटफेर माना जा रहा है।

सागर (जोशहोश डेस्क) प्रदेश में पंचायत चुनाव का तीसरा और अंतिम चरण भी कई दिग्गजों को बड़ा झटका दे गया। सबसे ज्यादा चर्चा सरकार के परिवहन और राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के भतीजे अरविंद सिंह राजपूत टिंकू राजा की हार की हो रही है। टिंकू राजा को युवा सरबजीत सिंह लोधी ने जिला पंचायत के वार्ड क्रमांक-5 में 5000 से ज्यादा मतों से पराजित किया है।

युवा सरबजीत सिंह लोधी के हाथों अरविंद सिंह राजपूत टिंकू राजा की हार को सागर की सियासत का बड़ा उलटफेर माना जा रहा है। इसका कारण भी सीधा यह है कि जिला पंचायत का वार्ड क्रमांक-5 शिवराज सरकार के कद्दावर मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत की सुरखी विधानसभा में आता है। जब अरविंद सिंह टिंकू राजा, ने यहाँ नामांकन भरा था तो यह माना जा रहा था कि टिंकू राजा को जीतने से कोई नहीं रोक सकता।

साथ ही भतीजे अरविंद सिंह राजपूत टिंकू राजा को जिताने में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत मंत्री ने पूरी ताकत झोंकी थी। कहा जाता है कि चुनाव में बाहुबल तथा धनबल का भी जमकर इस्तेमाल हुआ लेकिन फिर भी युवा सरबजीत ने इस वार्ड में बड़ी जीत दर्ज़ कर सागर की सियासत में बड़ा उलटफेर कर दिखाया है। हालांकि अधिकृत परिणामों की घोषणा 14 जुलाई को होगी लेकिन इतना तय है कि स्टंट राईडर्स के शौकीन सर्वजीत सिंह अब सबसे कम उम्र के पंचायत प्रतिनिधियों में शुमार हो गए हैं।

परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत के प्रभाव के चलते ही उनके बड़े भाई हीरा सिंह सागर जिला पंचायत सदस्य का निर्विरोध चुनाव जीते हैं वहीं अरविंद सिंह राजपूत की पत्नी साधना नीतू सिंह भी जनपद सदस्य का निर्विरोध चुनाव जीत चुकी हैं। अरविंद सिंह को भी निर्विरोध जिताने के लिए मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने भरपूर प्रयास किया लेकिन सरबजीत के लिए भाजपाईयों ने ही गोविंद राजपूत को धता बता दिया।

अरविंद सिंह राजपूत टिंकू राजा हार से सागर के सियासी समीकरण बदलना भी तय है। क्योकि सरबजीत सिंह लोधी निवर्तमान जिला पंचायत उपाध्यक्ष तृप्ति सिंह के भतीजे और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह के समर्थक हैं। अब इस चुनाव के बाद गोविंद सिंह राजपूत और प्रह्लाद पटेल के बीच में भी दरार आना तय माना जा रहा है वहीं गोविन्द राजपूत के विरोधियों को अपनी ही पार्टी का एक युवा चेहरा मिल गया है जो मंत्री के गढ़ में उन्हें चुनौती देने की दम रखता है।

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