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MPPSC: 4 साल में परीक्षा पर 68.46 करोड़ खर्च, नौकरी दी ज़ीरो

लोक सेवा आयोग ने परीक्षा आयोजित करने में 68.46 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, लेकिन इन परीक्षाओं में से एक का भी अंतिम परिणाम जारी नहीं हो सका

इंदौर (जोशहोश डेस्क) मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने अभ्यर्थियों के लिए मुसीबत का सबब साबित हो रहा है। बीते चार सालों में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने परीक्षा आयोजित करने में 68.46 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, लेकिन इन परीक्षाओं में से एक का भी अंतिम परिणाम जारी नहीं हो सका है। नतीज़ा यह रहा की आयोग से एक भी अभ्यर्थी को किसी को नौकरी नहीं मिल पाई है।

सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी में यह सामने आया है कि मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग बीते चार सालों में 10 भर्ती परीक्षाएं आयोजित कीं है, इनमें 1400 पदों के लिए 7.54 लाख अधिक उम्मीदवार शामिल हुए थे लेकिन ये सभी अब परिणामों का इंतज़ार कर रहे हैं।

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट में ओबीसी आरक्षण सहित अन्य केस के कारण मध्यप्रदेश लोक सेवा इनमें से एक भी भर्ती परीक्षा का अंतिम परिणाम जारी नहीं कर सका है। कानूनी अड़चनों के बावजूद, पीएससी-2020 की मुख्य परीक्षा हाल ही में अनारक्षित श्रेणी को 40 फीसदी और ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देकर पूर्व परीक्षा परिणामों में दोनों को अधिकतम 27 फीसदी आरक्षण देकर आयोजित की गई थी। इससे कुल आरक्षण 113 फीसदी तक जा रहा था।

एमपी हाईकोर्ट से इस फॉर्म्युले को खारिज कर दिया। राज्य इंजीनियरिंग सेवा, दंत चिकित्सक, सहायक निदेशक (सामाजिक न्याय), सहायक प्रबंधक (सार्वजनकि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण) और सहायक निदेशक (कृषि विभाग) जैसी अन्य परीक्षाएं भी इसकी वजह से अटकी हुई हैं।

एमपीपीएससी के ओएसडी आर पंचभाई ने कहा कि 2019 से अब तक हुई परीक्षाएं ओबीसी आरक्षण के मुद्दे के कारण विभिन्न चरणों में अटकी हुई हैं। कुछ परीक्षाओं में इंटरव्यू आयोजित किए गए हैं और अंतिम परिणाम प्रतिक्षित हैं, अन्य मध्यवर्ती चरणों में हैं। आयोग ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर फैसले का इंतजार करेगा क्योंकि ये बहुस्तरीय परीक्षाए हैं।

मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने 2022 में 283 पदों के लिए पीएससी-2021 परीक्षा आयोजित की थी, जिसके लिए 3.55 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन दिया था। पिछले दो वर्षों की पीएससी भर्तियों को मंजूरी मिलने और अंतिम परिणाम जारी होने तक यह भर्ती अभियान भी अधर में रहेगा। आयोग के रेकॉर्ड से यह भी पता चलता है कि उन्होंने चार वर्षों में उन विज्ञापनों के प्रकाशन के माध्यम से लगभग 28 करोड़ रुपये कमाए।

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