सुप्रसिद्ध लेखिका मन्नू भंडारी का निधन, ‘यही सच है’ बहुत याद आएगा ‘आपका बंटी’

मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में जन्म से साहित्य जगत के शीर्ष तक पहुँची मन्नू भंडारी को उनकी सधी भाषा, सहज संवेदना और सधी दृष्टि के लिए सदैव याद रखा जायेगा।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) सुप्रसिद्ध कहानीकार और ‘यही सच है’ ‘आपका बंटी’ व ‘महाभोज’, जैसी कालजयी रचनाओं की लेखिका मन्नू भंडारी का निधन हो गया। वे 90 वर्ष की थीं। मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में जन्म से साहित्य जगत के शीर्ष तक पहुँची मन्नू भंडारी को उनकी सधी भाषा, सहज संवेदना और सधी दृष्टि के लिए सदैव याद रखा जायेगा।

मन्नू भंडारी का जन्म मध्य प्रदेश में मंदसौर जिले के भानपुरा गाँव में 3 अप्रैल 1931 में हुआ था। उनके बचपन का बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था। बचपन में प्यार से सभी’ मन्नू ‘ पुकारते थे इसी लिए लेखन के लिए मन्नू नाम का चुनाव किया गया और शादी के बाद भी ‘मन्नू भंडारी’ही रही। उन्होंने एम ए तक शिक्षा पाई और वर्षों तक दिल्ली के मिरांडा हाउस में अध्यापिका रहीं।

उनके निधन से साहित्य जगत शोकमग्न है। सोशल मीडिया पर उनके लेखन का स्मरण किया जा रहा है-

धर्मयुग में धारावाहिक रूप से प्रकाशित उपन्यास आपका बंटी से लोकप्रियता प्राप्त करने वाली मन्नू भंडारी विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में प्रेमचंद सृजनपीठ की अध्यक्षा भी रहीं। लेखन का संस्कार उन्हें विरासत में मिला। उनके पिता सुख सम्पतराय भी जाने माने लेखक थे। उनका उपन्यास आपका बंटी बेहद चर्चित रहा। यह उपन्यास विवाह विच्छेद की त्रासदी में पिस रहे एक बच्चे को केंद्र में रखकर लिखा गया था।

वहीं लेखक और पति राजेंद्र यादव के साथ लिखा गया उनका उपन्यास एक इंच मुस्कान पढ़े लिखे आधुनिक लोगों की एक दुखांत प्रेमकथा था जो काफी लोकप्रिय हुआ था। इसी प्रकार ‘यही सच है’ पर आधारित रजनीगंधा नामक फिल्म अत्यंत लोकप्रिय हुई थी और इसे 1974 की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था।

साहित्य सेवा के लिए उन्हें कई पुरस्कारों सी भी नवाजा गया। हिन्दी अकादमी, दिल्ली का शिखर सम्मान, बिहार सरकार, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, व्यास सम्मान और उत्तर-प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा उन्हें पुरस्कृत किया गया।

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