नरोत्तम मिश्रा-कांग्रेस में पक रही सियासी खिचड़ी? उपचुनाव के नतीजों का इंतज़ार!

नरोत्तम मिश्रा और कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा के बीच आधा घंटा चली मुलाकात से प्रदेश की सियासत में हलचल।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) प्रदेश की खंडवा लोकसभा के साथ के तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए प्रचार जोर पकड़ता जा रहा है। वहीं पक्ष विपक्ष के दिग्गजों के बीच मेल मुलाकातों से सियासी पारा भी चढ़ता जा रहा है। इस बीच गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा के बीच आधा घंटा चली मुलाकात से प्रदेश की सियासत में हलचल है।

सियासी गलियारों में ये चर्चाएं चल पड़ीं हैं कि नरोत्तम मिश्रा और कांग्रेस के बीच सियासी खिचड़ी पक रही है और उपचुनाव के नतीजों के बाद प्रदेश की सियासत में बड़ा उलटफेर दिख सकता है। इस उलटफेर को लेकर अलग-अलग अटकलें लगाई जा रही हैं। इनमें नरोत्तम मिश्रा के पाला बदलने तक की बात की अटकल है। भोपाल के समाचार पोर्टल लोकनीति पर इस आशय की खबर भी है।

दूसरी ओर नरोत्तम मिश्रा और सज्जन सिंह वर्मा की मुलाकात पर कांग्रेस प्रवक्ता अजय सिंह यादव की प्रतिक्रिया भी दिलचस्प है। उन्होंने मीडिया से कहा है कि गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा खुद पार्टी में उपेक्षित है, जिस तरह उन्हें बड़े बड़े सपने दिखाए गए, मुख्यमंत्री पद से भी दूर रखा गया, यहां तक की सरकार बनने के बाद अब ग्वालियर-चंबल में भी उनकी उपेक्षा हो रही है। ऐसे में गृहमंत्री भी भाजपा से असंतुष्ट होकर कांग्रेस में अपनी संभावनाएं तलाश सकते हैं।

दूसरी ओर सज्जन सिंह वर्मा के भी पाला बदलने की चर्चा है। हालांकि नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात को सज्जन सिंह वर्मा ने अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर सौजन्य भेंट बताकर इन चर्चाओं को विराम दे दिया है। सज्जन सिंह वर्मा को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का समर्थक माना जाता है।

इससे पहले भी कांग्रेस के कद्दावर नेता अजय सिंह की नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात ने प्रदेश की सियासत में खलबली मचा दी थी। अजय सिंह भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से भी मिले थे लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे और विंध्य के बड़े नेता अजय सिंह ने खुद सोशल मीडिया पर भाजपा में शामिल होने की खबरों का खंडन कर अटकलों को विराम दे दिया था।

मेल मुलाकातों के दौर के बीच अब दो नवंबर को उपचुनाव के परिणामों का इंतजार है। दोनों ही दल अपनी न सिर्फ अपनी जीत के दावे तो कर रहे हैं बल्कि चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। अब देखना यह है कि जनता की अदालत में कौन बाजी मारता है और क्या उपचुनाव के नतीजों के बाद इन मेल मुलाकातों के इस सिलसिले का भी कोई नतीज़ा सामने आएगा?

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