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दमोह को लाॅकडाउन से ‘चुनावी’ छूट, प्रचार के लिए पहुंचे शिवराज

प्रदेश के सभी शहरों में अब 60 घंटे के लाॅकडाउन का ऐलान किया गया है। शुक्रवार शाम 6 बजे से लाॅकडाउन प्रभावी हो जाएगा। वहीं दमोह को लाॅकडाउन से छूट मिली है।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को लेकर प्रदेश के सभी शहरों में अब 60 घंटे के लाॅकडाउन का ऐलान किया गया है। शुक्रवार शाम 6 बजे से लाॅकडाउन प्रभावी हो जाएगा। वहीं दमोह को लाॅकडाउन से छूट मिली है। यहाँ लाॅकडाउन का निर्णय निर्वाचन अधिकारी को सौंपा गया है। गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनावी सभा लेने दमोह पहुंचे।

इससे पहले गुरुवार सुबह मुख्यमंत्री शिवराज ने कोरोना को लेकर हाईलेवल मीटिंग ली। मीटिंग में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, डीजीपी विवेक जौहरी, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान, अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा, भोपाल कमिश्नर कविंद्र किवायत समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे। मीटिंग के बाद पूरे प्रदेश के शहरी इलाकों में शनिवार और रविवार का लाॅकडाउन का निर्णय लिया गया।

सवाल यह है कि क्या दमोह में कोरोना का कोई खतरा नहीं जो दमोह को लाॅकडाउन से अलग रखा है? या उपचुनाव के चलते दमोह को जानते हुए खतरे में डाला जा रहा है? गौरतलब है कि दमोह में 17 अप्रैल को मतदान होना है। दोनों ही दल यहां प्रचार में जुटे हैं। गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी यहां चुनावी सभा को संबोधित किया।

दोनों ही दल यहां प्रचार के अंतिम दिनों में पूरी ताकत लगाने की योजना बनाए हैं। ऐसे में चुनावी रैलियां के कारण दमोह खतरे में पड़ सकता है। दमोह में कांग्रेस दोनों ने ही अपने विधायकों और अन्य दिग्गज नेताओं को यहां उतार दिया है। ऐसे में ये नेता अपने इलाके में भी कोरोना करियर साबित हो सकते हैं।

प्रदेश में बीते 24 घंटों में कोरोना के चार हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं। वही 27 लोगों की मौत है गई। बीते छह महीनों में यह नए केस की सबसे ज्यादा संख्या है। वहीं प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से मौतों के मामले सामने आने लगे हैं। इंदौर में रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए मारामारी का आलम है। ऐसे में दमोह को लाॅकडाउन से अलग रखने पर सवाल उठना लाजिमी हैं।

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