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9 साल में 72 हजार मौत, MP के सरकारी अस्पतालों में नवजातों का हाल

कांग्रेस ने सरकारी अस्पतालों का आंकड़ा देकर मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर खड़े किये गंभीर सवाल

भोपाल (जोशहोश डेस्क) मध्यप्रदेश में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की कमी से 9 साल में सरकारी अस्पतालों में 72 हजार नवजातों की मौत हुई है। प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व महापौर विभा पटेल ने विभिन्न रिपोर्ट्स के हवाले से यह आंकड़ा देते हुए प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं।

विभा पटेल ने विभिन्न हेल्थ रिपोर्ट के हवाले से कहा कि प्रदेश में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की कमी से 9 साल में सरकारी अस्पतालों में 72 हजार नवजातों की मौत हुई है। ये भी अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मप्र में अभी 16,996 लोगों पर एक डॉक्टर है, जबकि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक कम से कम 1000 की आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए।

शिवराज सरकार पर सवाल उठाते हुए विभा पटेल ने कहा कि प्रदेश की असंवेदनशील सरकार की लापरवाही और उदासीनता के कारण मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में इलाज लेने वाले मरीजों की जान खतरे में है। इसका ताजा मामला जबलपुर का है। यहां के विक्टोरिया अस्पताल में मरीजों को बैक्टीरियल फंगस वाला स्लाइन चढ़ा दिया गया। इसका खुलासा भी कोलकाता की एक लैब ने किया है।

विभा पटेल के मुताबिक़ ये सब आईबी फ्लूड सप्लाई करने वाली कंपनी से कमीशन लेने के चक्कर में हुआ। खाद्य एवं औषधि प्रशासन के एक ड्रग इंस्पेक्टर ने भी माना है कि बोतल में बैक्टीरियल एंडोटाक्विन मिला है। ये संक्रमित था। इसके सेंपल की खरीदी के समय जांच भी नहीं की गई। ये एक बड़ा घोटाला है। अब मामले में जवाबदेह स्वास्थ्य विभाग लीपापोती कर रहा है। जानलेवा लापरवाही की जिम्मेदारी खुद स्वास्थ्य महकमा नहीं ले रहा।

विभिन्न हेल्थ रिपोर्ट के हवाले से विभा पटेल ने कहा कि ये भी अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मप्र में अभी 16,996 लोगों पर एक डॉक्टर है, जबकि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक कम से कम 1000 की आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह चौहान की सरकार पिछले 18 वर्षों से हैं। इसके बावजूद ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में मध्यप्रदेश देश में सबसे खराब स्थान पर है। यहां स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के 95 पद खाली हैं। खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में सर्जन, महिला एवं बाल रोग समेत अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है। इसका खुलासा भी रूरल हेल्थ स्टैटिक्स की 2021-22 की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। इसके बावजूद शिवराज सिंह चौहान सरकार ने इस रिपोर्ट पर जरुरी कार्यवाही करने के बदले ठंडे बस्ते में डाल दिया।

विभा पटेल ने कहा कि अभी प्रदेश में 5000 डॉक्टरों की जरूरत है। 13 मेडिकल कॉलेजों में 1000 तो सरकारी अस्पतालों में 4000 डॉक्टरों के पद खाली हैं। 16 हजार नर्सिंग स्टाफ की कमी है।इन पदों की पूर्ति के लिए राज्य सरकार ने जरूरी प्रयास नहीं किए। अधिकांश अस्पतालों में संस्थागत ढांचा कमजोर होने, आवश्यक व्यवस्थाएं, जरुरी साधन आदि नहीं होने से डॉक्टरों में सरकारी नौकरी को लेकर क्रेज भी नहीं है। विभा पटेल ने कहा कि ये अत्यंत संवेदनशील मामला है। लाखों लोगों के जीवन से जुड़े इस मुद्दे पर महिला कांग्रेस चुप नहीं रहेगी।

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