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विरोध के बीच बकस्वाहा के जंगल काटने राजस्थान की कंपनी ने भरा टेंडर

बकस्वाहा में विरोध के बीच जंगल काटने के प्रक्रिया भी शुरु होती दिखाई दे रही है।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) हीरा खदान के लिए छतरपुर जिले के बकस्वाहा में जंगल काटने का विरोध एक ओर तेज होता जा रहा है वहीं दूसरी ओर जंगल की कटाई प्रक्रिया भी शुरु होती दिखाई दे रही है। राजस्थान की एक कंपनी ने बकस्वाहा के जंगल काटने का टेंडर भरा है।

दैनिक सच एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक इस सम्बन्ध में एसडीएम और डीएफओ के रिपोर्ट के बाद कलेक्टर को फैसला लेना होगा।

बकस्वाहा के जंगल की जमीन में 3.42 करोड़ कैरेट हीरे दबे होने का अनुमान है। इन हीरों के लिए 382.131 हेक्टेयर का जंगल खत्म होने की आशंका है। वन विभाग के सर्वे मे इस जमीन पर करीब 2 लाख 15 हजार 875 पेड़ हैं इनमें करीब 40 हजार पेड़ सागौन के हैं।

इससे पहले देश भर में बकस्वाहा के जंगलों को काटने को लेकर विरोध के स्वर बुलंद हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर ‘सेव बकस्वाहा फाॅरेस्ट’ कैंपेन चल रहा है। करीब 50 से ज्यादा स्वयंसेवी संस्थाएं जंगल काटे जाने के विरोध में एकजुट हो चुकी हैं। यह उम्मीद जताई जा रही है कि कोरोना का कहर थमते ही बकस्वाहा को बचाने का आंदोलन और तेज हो जाएगा।

इधर यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट के साथ ही एनजीटी तक भी पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली की नेहा सिंह ने याचिका दायर की है। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर लिया है। वहीं एनजीटी ने भी एक जनहित याचिका पर सरकार से जवाब तलब किया है।

बंदर डायमंड प्रोजेक्ट के तहत इस जगह का सर्वे 20 साल पहले शुरू हुआ था। प्रदेश सरकार द्वारा दो साल पहले की गयी इस जंगल की नीलामी मे आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सबसे ज्यादा बोली लगा 50 यह जमीन साल के लिए लीज पर ली है। कंपनी ने 382.131 हेक्टेयर का जंगल मांगा है। इसमे में 62.64 हेक्टेयर क्षेत्र हीरे निकालने के लिए चिन्हित किया है। इस काम में कंपनी 2500 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है।

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