क्या सिंधिया एक भी समर्थक को नहीं दिला पाए महापौर का टिकट?

भाजपा की मेयर कैंडिडेट लिस्ट में एक भी नाम ऐसा नहीं जो सिंधिया समर्थक हो या जो सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुआ हो।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश के 16 नगर निगमों के लिए अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है। सबसे ज्यादा पेंच ग्वालियर में फंसा। यहां दो केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया की पसंद भाजपा के लिए बड़ी चुनौती साबित हुई। अब सुमन वर्मा को भाजपा ने यहां अपना उम्मीदवार बनाया है जो नरेंद्र सिंह तोमर के खेमे की मानी जा रही हैं। सभी 16 नामों के ऐलान के बाद सियासी गलियारों में यह सवाल पूछा जा रहा है कि सिंधिया आखिर अपने कितने समर्थकों को भाजपा का मेयर कैंडिडेट बना पाए?

बैठकों के लंबे सिलसिले और कई कमराबंद मुलाकातों के बाद भाजपा के 16 नाम सामने आए हैं जबकि कांग्रेस 15 नामों का ऐलान भाजपा से काफी पहले कर चुकी है। अब जब भाजपा के नाम सामने आ चुके हैं तो सबसे ज्यादा किरकिरी कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया की हो रही है।

कारण भी साफ है भाजपा की मेयर कैंडिडेट लिस्ट में एक भी नाम ऐसा नहीं जो सिंधिया समर्थक हो या जो सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुआ हो। अब कांग्रेस इस स्थिति में सिंधिया पर कटाक्ष कर रही है, वहीं सियासी गलियारों में भी भाजपा में सिंधिया के कद को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं-

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जिस तरह भाजपा में अपना कद बढ़ाया था और जिस तरह वे भाजपा के साथ राष्टीय स्वयं सेवक संघ में पैठ बनाते दिख रहे थे उससे यह माना जा रहा था कि वे भाजपा में बड़ी ताकत बन चुके हैं। ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही थी कि 16 मेयर कैंडिडेट में कुछ नाम सिंधिया समर्थकों के भी होंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

हालांकि जब सिंधिया कमलनाथ सरकार गिरा भाजपा में आए थे तब अपने साथ आए सभी 21 विधायकों को वे भाजपा का टिकट दिलाने में सफल हुए थे। यही नहीं शिवराज मंत्रिमंडल में भी सिंधिया अपने समर्थकों को भारी भरकम मंत्रालय दिलाने में कामयाब हुए थे लेकिन भाजपा की मेयर कैंडिडेट लिस्ट से सिंधिया समर्थक निराश दिखाई दे रहे हैं।

अब देखना यह है कि महापौर कैंडिडेट की लिस्ट से निराश सिंधिया समर्थकों को नगर पालिका अध्यक्षों की लिस्ट में कितना महत्व मिलता है। कुल मिलाकर निकाय चुनाव में सिंधिया समर्थकों को मिला महत्त्व उनके लिए आगामी चुनाव की तस्वीर भी साफ़ कर देगा।

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