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लापरवाही पर पहले अफसर को नोटिस, किरकिरी के बाद किया निरस्त

चर्चा में रहा मुख्यमंत्री शिवराज को खजुराहो प्रवास पर ठंडी चाय सर्व किये जाने का मामला, बदले गए आदेश, कांग्रेस ने किये कटाक्ष

छतरपुर (जोशहोश डेस्क) मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को खजुराहो प्रवास पर ठंडी चाय सर्व किये जाने का मामला मंगलवार बेहद चर्चा में रहा। पहले इस मामले में एसडीएम ने कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी को कारण बताओ नोटिस थमा दिया और जब किरकिरी हुई तो कलेक्टर ने कारण बताओ नोटिस को निरस्त किये जाने का आदेश जारी कर दिया।

मामला छतरपुर जिले का है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान 11 जुलाई को खजुराहो गए थे। एयरपोर्ट पर उनकी जिम्मेदारी जिले के कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी राकेश कन्हुआ को दी गई थी। बताया जा रहा है कि इस दौरान सीएम शिवराज को जो चाय सर्व की गई वह पूरी तरह ठंडी हो चुकी। इसके बाद राजनगर एसडीएम ने राकेश कन्हुआ को कार्य में लापरवाही का नोटिस थमा दिया था और उनसे तीन दिन में जवाब माँगा गया था।

इस नोटिस की सियासी गलियारे में भी चर्चा हुई। कांग्रेस ने इस नोटिस को लेकर सीएम शिवराज पर कटाक्ष भी किया। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने लिखा- मामाजी को ठंडी चाय पिलाने पर फ़ूड इंडपेक्टर पर गिरी गाज। जनता को भले राशन तक ना मिले, पीड़ित को एम्बुलेंस ना मिले लेकिन मुखिया को चाय ठंडी नही मिलना चाहिये…?

https://twitter.com/NarendraSaluja/status/1546758304554053632?s=20&t=bjLnehcGsG_mTT0Fh-T2_g

मामले को तूल पकड़ता फिर एक आदेश जारी किया गया। अब ये आदेश छतरपुर कलेक्टर की ओर से आया, जिसमें एसडीएम को नोटिस निरस्त करने का आदेश दिया गया-

https://twitter.com/NarendraSaluja/status/1546788895605477376?s=20&t=bjLnehcGsG_mTT0Fh-T2_g

कलेक्टर के आदेश में यह लिखा गया कि माननीय मुख्यमंत्री ने इस संबंध में और प्रोटोकॉल उल्लंघन को लेकर कोई टिप्प्णी नहीं की गई इसलिए कारण बताओ नोटिस को निरस्त किया जाना सुनिश्चित करें। जबकि इससे पहले एसडीएम ने कारण बताओ नोटिस में लिखा था कि माननीय मुख्यमंत्रीजी को उपलब्ध कराई गई चाय का स्तर सही नहीं था एवं तो ठंडी थी। परिणामस्वरूप जिला प्रशासन की अशोभनीय स्थिति निर्मित हुई एवं प्रोटोकॉल के अनुपालन में प्रश्नचिन्ह उद्भूत हुआ है। आपके द्वारा वीवीआईपी व्यवस्था को हल्के में दिए जाने से उक्त स्थिति निर्मित हुई है एवं कोताही बरती गई है, जो प्रोटोकॉल के प्रावधानों के विपरीत होने से कदाचरण है।

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