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25 मई से शुरू होना था बीना का बहुप्रचारित अस्पताल, मुख्यमंत्री जी आज 26 मई है ?

बीना रिफायनरी के पास एक हजार बिस्तर के अस्थाई कोविड अस्पताल का निर्माण तय वक्त पर पूरा नहीं हो सका।

बीना (जोशहोश डेस्क) कोरोना की दूसरी लहर जब प्रदेश में कहर ढा रही थी और ऑक्सीजन की मारामारी चरम पर थी तब मुख्यमंत्री शिवराज ने 19 अप्रैल को बीना रिफायनरी के पास एक हजार बिस्तर के अस्थायी कोविड अस्पताल के निर्माण का ऐलान किया था लेकिन सरकार कोरोना संकट के बाद भी तय वक्त पर अस्पताल का काम पूरा नहीं कर पाई। शुरुआत में मई के पहले सप्ताह से अस्पताल में इलाज शुरू होना था फिर 15 मई के बाद सरकार ने 25 मई की तारीख निश्चित की। अब 25 मई भी निकल चुकी है और अस्पताल में इलाज शुरू नहीं हो सका है।

बीना रिफायनरी के पास आगासौद चक्क में इस अस्पताल का निर्माण व्यापक प्रचार प्रसार के बीच प्रारंभ किया गया था। रिफायनरी से ऑक्सीजन की उपलब्धता को देखते हुए इस स्थान को अस्पताल के लिए चुना गया था। मंत्री भूपेंद्र सिंह को यहां निर्माण कार्य की देख रेख के लिए प्रभारी बनाया गया था। मुख्यमंत्री शिवराज भी अस्पताल के निर्माण की तैयारियों का पूरे दल-बल के साथ जायजा लेने पहुंचे थे।

पूरा अमला झोंकने के बाद भी अस्पताल निर्धारित समय पर शुरू नहीं हो सका जबकि प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री ने भूपेंद्र सिंह ने 22 अप्रैल को मौके पर मुआयना करते हुए कहा था कि अस्पताल 5 मई प्रारम्भ होगा लेकिन काम लेट होता गया।

रविवार 9 मई को जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अन्य नेताओं के साथ यहां निर्माण कार्यों का जायजा लेने पहुंचे तब कलेक्टर दीपक सिंह ने कहा था कि, डोम स्ट्रक्चर तथा विद्युतीकरण का कार्य 25 मई तक पूर्ण कर लिया जाएगा।

सरकार ने भी यह दावा किया था कि जल प्रदाय, सड़क एवं कांक्रीट फ्लोरिंग का कार्य 15 मई तक तथा 200 पॉइंट्स पर ऑक्सीजन पाइप लाइन का निर्माण समय-सीमा में पूरा कर लिया जाएगा व फ़र्नीचर तथा अन्य उपकरणों से संबंधित समस्त क्रय आदेश भी जारी किए जा चुके हैं। यानी 25 मई तक काम पूरा कर अस्पताल शुरू कर देना था।

अब 25 मई भी निकल चुकी है लेकिन अस्पताल शुरू होने की कगार पर नहीं पहुंच पाया है। अब जून के प्रथम सप्ताह में इसके काम शुरू करने की बात कही जा रही है। वह भी 200 बिस्तर की क्षमता के साथ जबकि घोषणा के समय अस्पताल की क्षमता एक हज़ार बिस्तर की बताई गई थी।

इधर अस्पताल के लिए डोम, ऑक्सीजन पाइप लाइन, डोम में सीमेंट- कंक्रीट, एप्रोच रोड, बिजली-पानी सप्लाई समेत अन्य व्यवस्थाओं पर ही करीब 22 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। बड़ी बात यह है कि अभी अस्पताल की मशीनरी और स्टाफ पर होने वाले खर्च का इसमें कोई जिक्र ही नहीं है। काम शुरू होते समय शिवराज पूरे प्रशासनिक अमले और डॉक्टरों की टीम के साथ यहां पहुंचे थे। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के अलावा प्रदेश सरकार के मंत्री भी समय समय पर यहां निरीक्षण के लिए पहुंचते रहते हैं। उन पर होने वाला खर्च तो इसमें शामिल ही नहीं है।

अब तो लेटलतीफी का शिकार हुए इस अस्पताल की उपयोगिता ही पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि समय और जरुरत पर इसका निर्माण पूरा ही नहीं हो पाया। सागर के युवा बुद्धिजीवी सरस जैन के मुताबिक प्रदेश में कोरोना के हालात में सुधार के साथ ही अकेले सागर जिले के अस्पताल और कोविड केयर सेंटर में करीब 400 से 500 बेड रिक्त हैं। ऐसे में 200 बेड के लिए इतनी बड़ी राशि खर्च करना तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता है वह भी एक अस्थाई व्यवस्था के लिए। सरल जैन का कहना है कि बेहतर यह होता कि सरकार इस अस्थाई अस्पताल पर खर्च हो रही राशि को स्थाई अस्पतालों और कोविड सेंटर पर खर्च करती जो हमेशा सागर-बीना के लोगों के लिए इस्तेमाल में आते।

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