हड़ताल पर 55 हजार सहकारिता कर्मचारी, मनाए जाएंगे या हटाए जाएंगे?

प्रदेश के 52 में से 50 जिलों में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए 55 हजार सहकारिता कर्मचारियों और सरकार के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) प्रदेश के 52 में से 50 जिलों में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए 55 हजार सहकारिता कर्मचारियों और सरकार के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। सरकार ने 4 फरवरी से हड़ताल पर गए करीब 14 हजार सहकारिता कर्मचारियों को बर्खास्तगी का नोटिस थमा दिया है। कर्मचारियों पर एस्मा लगाए जाने की भी तैयारी है। वहीं सहकारिता कर्मचारी भी झुकने को तैयार नहीं। हड़ताली कर्मचारी 18 फरवरी को भोपाल में बड़ा प्रदर्शन कर सामूहिक इस्तीफे देने की तैयारी में हैं।

दूसरी ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सहकारिता कर्मचारियों को मांगों को लेकर स्वयं सक्रिय हुए हैं। इसके बाद सहकारिता अधिकारियों की बैठक बुलाई गई है। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया को बुलाकर मामले मामले का अपडेट भी ले सकते हैं।

सहकारिता विभाग के हजारों कर्मचारी स्वयं को शासकीय कर्मचारी घोषित किए जाने के साथ ही वेतन भत्ते व अन्य सुविधाओं की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं। हड़ताल से प्रदेश की 15 हजार से अधिक राशन की दुकानों पर ताले लग गए हैं। वहीं गेहूं उपार्जन के लिए किसानों का पंजीयन भी नहीं हो पा रहा है।

कृषि मंत्री कमल पटेल की धमकी
कषि मंत्री कमल पटेल ने कहा है कि यदि सहकारिता विभाग के कर्मचारी हड़ताल से नहीं लौटे तो उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि गेहूं उपार्जन के लिए किसानों के पंजीयन की तारीख बढ़ाई जाएगी। साथ ही मंत्री कमल पटेल ने कहा कि पंजीयन और पफसल खरीदी का काम पटवारी करेंगे।

समर्थन में आए पंचायत सचिव, सरकारी आदेश का विरोध

वहीं पंचायत सचिवों के संगठन ने हड़ताली सहकारिता कर्मचारियों का समर्थन किया है। संगठन ने सहकारिता अधिकारियों के उस आदेश का भी विरोध किया जिसमें कहा गया है कि राशन की दुकानों की वैकल्पिक व्यवस्था में पंचायत सचिवों और ग्राम सहायकों की सेवाएं ली जाएं।

पंचायत सचिव संघ सागर के जिलाध्यक्ष जगन्नाथ प्रसाद ने बताया कि संघ पूरी तरह सहकारित कर्मचारियों के समर्थन में है। सरकार को फूट डालो की नीति से बचना चाहिए। पंचायत सचिव सहकारिता सोसायटी के सेल्समैन का काम नहीं करेंगे। पंचायत सचिव केवल पंचायत विभाग के आदेश का ही पालन करेंगे।

दूसरी ओर रविवार को सहकारिता मंत्री और कर्मचारी महासंघ पदाधिकारियों के बीच बैठक के बाद संगठन के अध्यक्ष के बीएस चौहान ने कहा कि संगठन अपनी मांगो पर कायम है। सभी 55 हजार कर्मचारियों को शासकीय कर्मचारियों की तरह वेतन और भत्ते दिए जाने पर कोई सहमति नहीं बनी है। हालांकि वेतन पुनरीक्षण के लिए उच्च स्तरीय समिति जरूर किए जाने की बात कही गई है। सोमवार को संगठन की कोर कमेटी के साथ बैठक में सभी मुददों पर फिर चर्चा होगी।

वहीं भारतीय कियान मजदूर संयुक्त यूनियन भी सहकारिता कर्मचारियों के समर्थन में आई गई है। यूनियन के पदाधिकारी सुशील त्रिपाठी ने कहा कि सहकारिता सेल्समेन भी गरीब परिवार का बेटा है। अगर सरकार उचित मांगों को न मानकर दबाव बना किसी दूसरी एजेंसी से काम कराने की कोशिश करेगी तो इसका विरोध किया जाएगा। अगर सहकारिता कर्मचारियों के खिलाफ निर्णय वापस नहीं लिए गए तो यूनियन इसका विरोध करेगी।

एक मंत्री कर रहे बात तो दूसरे धमका रहे
स्हकारिता कर्मचारियों को लेकर जहां सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया बातचीत का मार्ग अपनाए हैं। वहीं कृषि मंत्री कमल पटेल कर्मचारियों को बर्खास्तगी की धमकी दे रहे हैं। भदौरिया ने रविवार को कर्मचारी संगठनों से वार्ता की वहीं कमल पटेल ने कर्मचारियों को हटाने की धमकी दी।

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