बाघ क्यों हो जाते हैं आदमखोर?

आदमखोर एक आम बोलचाल में प्रचलित शब्द है। इसके बारे में वाइल्ड लाइफ एक्ट 1972 के सेक्शन 11 में विस्तार से बताया गया है।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) मध्यप्रदेश के हरदा जिले के रहटगांव में बाघ ने सोमवार को एक दिन में ही दो बार हमले कर दिए। पहली बार बाघ ने एक ग्रामीण को शिकार बनाया जिसकी मौके पर ही मौत हो गई। वहीं दूसरा हमला वन विभाग की टीम पर किया। जिसमें एक वनरक्षक हरिओम जगनवार गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। जिसके बाद अब बाघ को पकड़ने के लिए भोपाल से टीम बुलाई गई है।

आइए समझने की कोशिश करते हैं कि कोई बाघ या जानवर आदमखोर क्यों हो जाता है और इसके बाद उसका शिकार किस तरह से किया जाता है।

आदमखोर क्यों हो जाते हैं बाघ

माना जाता है कि केवल घायल और वृद्ध बाघ ही आदमखोर बनते हैं। क्योंकि इंसान उनके लिए आसान शिकार होता है। लेकिन अक्सर युवा बाघ भी इंसानों का शिकार करते देखे गए हैं। कई बार बाघ को शारीरिक दिक्कत होती है, या फिर उसके दांत टूटे हुए होते हैं। इस वजह से भी वह इंसानों, बच्चों और मवेशियों को अपना शिकार बनाता है। विशेषज्ञों की माने तो एक हजार में एक से भी कम बाघ आदमखोर बनते हैं।

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आदमखोर जानवर के शिकार पर कानून

आदमखोर एक आम बोलचाल में प्रचलित शब्द है। इसके बारे में वाइल्ड लाइफ एक्ट 1972 के सेक्शन 11 में विस्तार से बताया गया है। एक्ट के अनुसार जो जानवर डेंजरस टू ह्यूमन लाइफ यानी इंसानों के लिए खतरनाक होता है, उसके शिकार की अनुमति दी जाती है। इसके लिए भी एक प्रोसेस अपनाई जाती है। जैसे टाइगर, लैपर्ड, एलिफेंट आदि जानवरी जब इंसानी जिंदगी के लिए खतरा हो जाते हैं तो इन्हें मारने की अनुमति है। जो जानवर इंसानी इलाकों में लगातार आता है और इंसानों की जान लेता है उसे आदमखोर कहा जा सकता है।

कौन देता है शिकार का आदेश

किसी भी जानवर को मारने का आदेश चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन देता है। वाइल्डलाइफ एक्ट 1972 के सेक्शन 11(1) में इसका जिक्र है। हर राज्य में एक चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन होता है और उन्हीं के आदेश के बाद किसी जानवर का शिकार किया जा सकता है। इसके लिए चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन के सामने शिकार करने की वजह रखनी होती है, यदि चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन वजह को सही मानता है तो ही जानवर को शिकार किया जा सकता है। देश के कई राज्यों में जानवरों को बेहोश करने और उन्हें पकड़ने में सक्षम लोगों की कमी है, इसलिए उन्हें मारना ही एक आसान रास्ता होता है।

आदमखोर जानवरों के चर्चित मामले

जैसे-जैसे इंसानों की आबादी बढ़ रही है, जंगलों का क्षेत्रफल कम होता जा रहा है। जंगलों के पास वाले गांवों में अक्सर बाघों और इंसानों की भिड़त सुनने को मिलती है। 2018 में एक बाघिन अवनि को मार दिया गया था। अवनि ने दो सालों में 14 इंसानों को अपना शिकार बनाया था इस वजह से महाराष्ट्र सरकार ने अवनि को मारने के लिए शूट-एट-साइट का आदेश दिया था।

हाल ही में महाराष्ट्र में वन विभाग ने एक तेंदुए को आदमखोर घोषित किया है। वन विभाग ने अपने आदेश में कहा कि इस खतरनाक तेंदुए को या तो काबू किया जाए वरना उसे मार दिया जाए। इस तेंदुए ने 7 दिसंबर को एक 8 साल की बच्ची को मार डाला और इससे पहले भी तेंदुआ सात लोगों की जान ले चुका है।

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