PM मोदी को 108 पूर्व नौकरशाहों का पत्र, ‘नफरत-उन्माद’ पर चुप्पी क्यों?
पूर्व नौकरशाहों ने नफरत और उन्माद की राजनीति पर जताई चिंता, पीएम मोदी की चुप्पी पर उठाए सवाल।
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली(जोशहोश डेस्क) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 108 पूर्व नौकरशाहों ने एक पत्र लिखा है। पत्र में पूर्व नौकरशाहों ने देश में लगातार बढ़ रही नफरत और उन्माद की राजनीति पर चिंता जताई है और पीएम मोदी से इसे रोकने के लिए कदम उठाने की अपील की है। पूर्व नौकरशाहों ने इस खुले खत में प्रधानमंत्री द्वारा ऐसी घटनाओं को नंजरअंदाज करते हुए उन पर चुप्पी साध लेने को लेकर भी सख्त सवाल किए हैं।
पूर्व नौकरशाहों ने अपने पत्र में भारतीय जनता पार्टी द्वारा शासित राज्यों में नफरत की राजनीति ज्यादा होने की बात कही है। पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि देश ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहा है। इस महत्वपूर्ण वर्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसी भी तरह के ‘पक्षपातपूर्ण विचारों’ से परे जाकर नफरत और उन्माद की राजनीति को रोकना चाहिए। नौकरशाहों ने नफरत और उन्माद की राजनीति पर प्रधानमंत्री मोदी के चुप रहने को बड़ा खतरा बताया है।
पत्र पर 108 पूर्व नौकरशाहों ने दस्तखत किए हैं। इनमें पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) शिवशंकर मेनन, दिल्ली के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के प्रमुख सचिव टीकेए नायर भी शामिल हैं।
पत्र में कहा गया है कि हम देश में नफरत की राजनीति की एक आंधी देख रहे हैं, जिससे ना सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय बल्कि संविधान को भी चोट पहुंचाई जा रही है। साथ ही यह भी लिखा गया है कि हम इतने तीखे शब्दों का इस्तेमाल करना नहीं चाहते लेकिन जिस तरह हमारे पूर्वजों द्वारा तैयार की गई संवैधानिक इमारत को नष्ट किया जा रहा है वह हमें बोलने और अपना आक्रोश व्यक्त करने को मज़बूर कर रहा है।
पूर्व नौकरशाहों ने अपने पत्र में लिखा कि पिछले कुछ वर्षों और महीनों में असम, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर मुसलमानों के प्रति नफरत व हिंसा में वृद्धि ने एक भयावह नया आयाम हासिल कर लिया है।