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शरद यादव का निधन, जबलपुर-महाकौशल ने खो दिया अपना हितेषी पैरोकार

मध्यप्रदेश में जन्मे शरद यादव ने जबलपुर से राजनीति का आगाज किया और राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी पहचान बनाई

नई दिल्ली/भोपाल (जोशहोश डेस्क) वरिष्ठ नेता और जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का गुरुवार रात निधन हो गया। गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में शरद यादव ने अंतिम सांस ली। वे 75 वर्ष के थे। मध्यप्रदेश में जन्मे शरद यादव ने जबलपुर से राजनीति का आगाज किया और राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी पहचान बनाई। उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव बाबई में किया जाएगा जो मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले में स्थित है।

शरद यादव किडनी की समस्या से जूझ रहे थे। गुरुवार को कार्डियक अरेस्ट के बाद उन्हें गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल लाया गया था। उनके निधन की खबर उनकी बेटी सुहासिनी ने सोशल मीडिया पर दी थी। उनकी बेटी और बेटे ने ट्वीट पर लिखा- पापा अब इस दुनिया में नहीं रहे।

उनकी मौत की खबर मिलते ही राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं ने उन्हें याद करते हुए शोक जताया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा-अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में उन्होंने खुद को सांसद और मंत्री के रूप में प्रतिष्ठित किया। वे डॉ. लोहिया के आदर्शों से काफी प्रभावित थे। मैं हमेशा हमारी बातचीत को संजो कर रखूंगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। शांति।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शरद यादव के निवास पर पहुंच कर परिजनों को ढाढस बंधाया। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने उनके निधन पर लिखा कि देश की समाजवादी धारा के वरिष्ठ नेता, जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष, श्री शरद यादव जी के निधन से दुःखी हूँ। एक पूर्व केंद्रीय मंत्री व दशकों तक एक उत्कृष्ट सांसद के तौर पर देश सेवा का कार्य कर,उन्होंने समानता की राजनीति को मज़बूत किया। उनके परिवार एवं समर्थकों को मेरी गहरी संवेदनाएँ।

वहीं मध्यप्रदेश से जुड़ाव और महाकौशल के विकास के लिए भी शरद यादव को याद किया जा रहा है। सांसद विवेक तन्खा कि श्री शरद यादव के निधन से महाकौशल को बड़ी क्षति हुई है। 70 के दशक में युवाओं को नेतृत्व प्रदान कर जबलपुर और देश राजनीतिक परिवर्तन की शुरुआत शरद जी ने की। बाद में भले ही जबलपुर ने उनका साथ नही दिया परन्तु शरद जी ने जबलपुर महाकौशल के लिए हमेशा लड़ाई लड़ी चाहे हवाई सेवाओ की सुविधा हो या दिल्ली के लिए कुतुब एक्सप्रेस, रेलवे जोन की स्थापना हो हमेशा जबलपुर का हित किया। जबलपुर ओर महाकौशल ने अपना हितेषी, पैरोकार खो दिया। सादर श्रद्धांजलि।

शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम ( होशंगाबाद) जिले में स्थित बाबई गांव के किसान परिवार में हुआ । जबलपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई दौरान उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। वे छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित शरद यादव ने साल 1974 में पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। शरद इस सीट को जीतने में कामयाब रहे और पहली बार संसद भवन पहुंचे। इसके बाद साल 1977 में भी वे इसी सीट से सांसद चुने गए। उन्हें युवा जनता दल का अध्यक्ष भी बनाया गया। इसके बाद वे साल 1986 में राज्यसभा के लिए चुने गए। उन्होंने 1989 में उत्तरप्रेदश की बदायूं लोकसभा सीट से चुनाव जीता भी। 1991 में वे बिहार के मधेपुरा लोकसभा सीट से सांसद बने। साल 1997 में उन्हें जनता दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था । साल 2009 में वे 7वीं बार सांसद बने, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें मधेपुरा सीट से हार का सामना करना पड़ा।

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