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भोपाल पहुंची स्वर्णिम विजय मशाल

स्वर्णिम विजय मशाल (Swarnim Vijay Mashal) आज मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल पहुंची है।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) 1971 के भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध (Indo-Pak War) को 50 साल पूरे हो गए है। युद्ध में हासिल जीत का जश्न मनाने के लिए सोमवार को स्वर्णिम विजय मशाल (Swarnim Vijay Mashal) आज मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल पहुंची है। जिसका समारोह सुबह 10 बजे से चल रहा है।

15 जनवरी तक भोपाल में रहेगी मशाल
विजय मशाल भोपाल में 15 जनवरी तक रहेगी। मशाल सुदर्शन चक्र कोर के योद्धास्थल पर पहुंचेगी। जिसमें सेना के जवान शहर में मौजूद एनसीसी कैडेट्स, स्टूडेंट्स सहित युवाओं और बच्चों से मिलेंगे और बच्चों को देश के गौरवशाली अतीत के किस्से सुनाएंगे।

16 दिसंबर से जारी है आंदोलन
16 दिसंबर भारत में विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। पीएम मोदी द्वारा राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक की अमर ज्योति (Amar Jyoti) से ‘‘स्‍वर्णिम विजय मशाल’’ प्रज्‍ज्वलित कर उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में रवाना किया। विजय दिवस के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में मोदी के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) विपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुख उपस्थित थे।

‘बसंतर दिवस’ के रूप में भी मनाते हैं
इक वन कोर ने 16 दिसंबर 1971 को देश की पश्चिमी सीमा पर बसंतर नदी के किनारे खुले मोर्चे पर पाक सेना को अमेरिका से मिले पैटन टैंकों का कब्रिस्तान बना दिया था। इसीलिए भारतीय सेना की यह आक्रामक कोर 16 दिसम्बर को ‘विजय दिवस’ के अलावा निजी तौर पर ‘बसंतर दिवस’ के रूप में भी मनाती है।

कार्यक्रम का उद्देश्य
इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं और आने वाली पीढ़ी जो देश के लिए कुर्बान शहीदों को भूलती जा रही है, उनसे रू-ब-रू कराकर देशभक्ति का भाव जगाना है।

यहां जाएगी यात्रा
यात्रा’ दिल्ली से चलकर मथुरा होते हुए भरतपुर, अलवर, हिसार, जयपुर, कोटा, आदि सैन्य छावनी क्षेत्रों और उनके दायरे में आने वाले शहरों का भ्रमण करती हुई वापस दिल्ली पहुंचेगी। यात्रा की अवधि एक साल की होगी। यात्रा बांग्लादेश की राजधानी ढाका भी जाएगी।

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क्यों खास है यह युद्ध
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में हुआ युद्ध कई मायनों में खास था. इस युद्ध ने पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांट दिया और बांग्लादेश नाम के एक नए देश का जन्म हुआ। पाकिस्तान को भारत के सामने सरेंडर करना पड़ा और भारतीय सेना ने अपे अप्रतीम साहस और शौर्य का दुनिया के सामने लोहा मनावाया। 1971 में पाकिस्तान के साथ चली 13 दिन की लड़ाई के बाद आज के दिन भारतीय सेना ने फतह हासिल की थी। इस जंग में करीब 3843 भारतीय सैनिकों ने अपने प्राण न्योछावर किए। इस युद्ध की जीत का ही परिणाम था कि पाकिस्तान के करीब 90 हजार सैनिकों ने सरेंडर किया और फिर दुनिया ने इतिहास बनते देखा।

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