मेन स्ट्रीम मीडिया के बाद अब डिजिटल मीडिया की आजादी भी खतरे में!

भोपाल (जोशहोश डेस्क) सरकार की नई डिजिटल मीडिया नीति आने के बाद हजारों छोटे पत्रकार और खबरों की वेबसाइट चलाने वाले लोग खतरे में पड़ गए हैं। अब सरकार तय करेगी की आपकी न्यूज़ वेबसाइट या Youtube पर दिखाया जाने वाला कंटेंट कहीं नेटफ्लिक्स और अमेज़न की तरह तो नहीं है। महत्वपूर्ण बात यह है कि नई नीति में समाचार वेबसाइटों के लिए भी उसी लकड़ी से हाँका गया है जिससे कि अमेज़न और नेटफ्लिक्स जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को नियंत्रित किया जाएगा।

अब डिजिटल न्यूज मीडिया आईटी एक्ट के दायरे में होगी। आईटी एक्ट का मकसद सायबर अपराधों से जुड़े अपराधों की सजा तय करना है। जबकि भारत में मीडिया की स्वतंत्रता का निर्धारण 1954 के पहले प्रेस कमीशन के सुझावों के आधार पर तय होता है।

सीधे शब्दों में कहें तो नए नियमों के बाद अब अब नए कानूनों के तहत आपके खिलाफ आसानी से प्रकरण दर्ज हो सकता है। इसके लिए आपको जेल भी हो सकती है।

आईबी मिनिस्टर ने यह माना था कि उन्हें यह खुद नहीं पता कि देश में कितने पोर्टल हैं, जो न्यूज दिखा रहे हैं। ऐसे में सबसे पहली जरूरत इस बात की है कि इनकी जानकारी जुटाई जाए। उन्होंने इसके लिए कहा कि डिजिटल न्यूज मीडिया को अपने बारे में विस्तृत जानकारी देनी होगी। टीवी और अखबरा की तरह इन पोर्टल को भी रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा।

डिजिटल न्यूज मीडिया को यह भी बताना होगा कि उसका मालिक कौन है और उसमें किसने पैसा लगाया हुआ है। नए नियमों में डिजिटल न्यूज मीडिया को ग्रीवांस रिड्रेसल सिस्ट लागू करना होगा, मतलब शिकायातों पर कार्रवाई का सिस्टम बनाना होगा। अगर गलती पाई जाती है तो खुद से रेगुलेट करना होगा। टीवी या अखबार में भूल-सुधार या पेनाल्टी का प्रावधान है, वैसा ही प्रावधान डिजिटल न्यूज मीडिया के बारे में भी किया गया है।

अब इन नए नियमों के बाद यह कहा जा रहा है कि सरकार ने जिस तरह से मुख्य धारा की मीडिया को कंट्रोल कर लिया है उसी तरह से सरकार स्वतंत्र डिजिटल प्लेटफॉर्म को भी कंट्रोल करने की योजना बना रही है। इसके लिए सरकार ने अपनी तैयारी शुरू भी कर दी है।

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